सार संग्रह सत्संग के अमृत कण/ Sar Sangrah Satsang ke amrit-kan

प्रस्तुत पुस्तक में गीता के सार संग्रह एवं सत्संग के अमृत कणों का वर्णन किया गया है। स्वामी श्री रामसुखदास जी द्वारा संकलित गीता, रामायण, भागवत, महाभारत के मुख्य उपदेशों एवं सूक्तियों का सुन्दर संकलन।

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रामचरितमानस सुंदरकांड/ Ramcharitmanas Sundarakand

भगवान हनुमान की पूजा से सारे संकट दूर हो जाते हैं। भगवान हनुमान की वीर गाथा का वर्णन पवित्र रामायण के सुन्दरकांड में मिलता है। श्री रामचरितमानस का पंचम सोपान सुन्दरकाण्ड है। इस सोपान में 03 श्लोक, 02 छन्द, 58 चौपाई, 60 दोहे और लगभग 6241 शब्द हैं। मंगलवार के दिन सुंदरकांड का पाठ करने की परंपरा है। कहा जाता है कि चालीस सप्ताह तक लगातार जो व्यक्ति श्रद्धापूर्वक सुंदरकांड का पाठ करता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।

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श्रीसीतासहस्त्रनामस्तोत्र/ Shree Sita Sahastrannam Stotra

अद्भुतरामायण के अध्याय 25 में श्रीराम द्वारा रचित सीता सहस्रनाम शामिल है। प्रसंग का सार है – महर्षियों के एक समूह ने 10 सिर वाले रावण को मारकर लंका से अयोध्या लौटने के बाद श्रीराम का दौरा किया, और उन्हें बधाई दी। उन्होंने सबसे भयानक रावण को मारने के लिए उनकी प्रशंसा की। यह सुनकर श्रीराम के पास बैठी सीता ठहाका लगाकर मुस्कुरा दीं। इस पर ऋषियों को आश्चर्य हुआ और उन्होंने उनसे उनके व्यवहार का कारण बताने को कहा। उसने कहा कि 10 सिर वाले रावण को मारना इतना प्रशंसनीय नहीं है, और श्रीराम की असली प्रशंसा तभी हो सकती है जब वह 1000 सिर वाले रावण – 10 सिर वाले रावण के भाई को मार सके। कहानी के अनुसार, सीता के विवाह से पहले, एक ब्राह्मण अपने पिता के महल में चतुर्मास के लिए आया था। सीता की सेवा से बहुत संतुष्ट होकर ब्राह्मण उन्हें कई कहानियाँ सुनाया करते थे। कहानियों में से एक पुष्कर द्विप के इस 1000 सिर वाले रावण के बारे में थी, जिसने तीनों लोकों में सभी देवताओं और अन्य लोगों को जीत लिया था। कहानी सुनकर, श्रीराम ने 1000 सिर वाले रावण को मारने का फैसला किया और अपने सभी भाइयों और दोस्तों जैसे सुग्रीव, हनुमान, विभीषण आदि के साथ अपनी सेनाओं के साथ शुरुआत की। 
रावण तो था शक्तिशाली कि अपने बाणों से, उसने चार भाइयों, सुग्रीव, हनुमान, विभीषण और अन्य सहित पूरी सेना को खदेड़ दिया, जो सभी वापस लौट आए और कुछ ही समय में अपने-अपने घर पहुंच गए। पुष्पक विमान में केवल श्रीराम और सीता ही रह गए, आकाश में देवताओं, ऋषियों आदि के साथ, नीचे युद्ध देख रहे थे। भारी लड़ाई के बाद, श्रीराम पुष्पक विमान में घायल होकर गिर गए, जबकि रावण अपनी सफलता पर जोर-जोर से हंस रहा था। तब सीता विमान से उतरीं और तुरंत उग्रमूर्ति काली के रूप में बदल गईं और रावण और उसकी पूरी सेना को मार डाला। जब श्रीराम जाग गए, तो उन्होंने काली और उनकी मंडली को रावण के सिर के साथ नाचते और खेलते हुए देखा। यह सब देखकर श्रीराम भयभीत हो गए और 1008 नामों से सीता की स्तुति करने लगे।

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49 मरुत

*सुंदरकांड पढ़ते हुए 25 वें दोहे पर ध्यान थोड़ा रुक गया* । *तुलसीदास ने सुन्दर कांड में, जब हनुमान जी ने लंका मे आग लगाई थी, उस प्रसंग पर लिखा…

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18 Purana

"पुराणों से आधुनिक ज्ञान" "पुराणों को विद्यालयों में लागू करना क्यों अनिवार्य हो" अट्ठारह पुराणों का संक्षिप्त परिचयपुराण शब्द का अर्थ ही है प्राचीन कथा, पुराण विश्व साहित्य के सबसे…

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मोहन मोहिनी/ Mohan Mohini

अयोध्या जैसी पावन नगरी में राधाष्टमी के दिन 1893 में जन्मे  गोस्वामी बिन्दु जी महाराज की शिक्षा, धार्मिक दीक्षा अयोध्या में हुई। रामायण, भागवत, भागवत गीता एवं अन्य शास्त्रों व पुराणों का उन्होंने  सम्यक अध्ययन किया। वे महान वक्ता, प्रवचनकर्ता और संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, ब्रज भाषा, अवधी, भोजपुरी आदि के ज्ञाता थे। बिंदु जी महान कवि, भजन लेखक, संगीतकार थे। वृन्दावन में बिंदु जी ने प्रेम धाम आश्रम की स्थापना कीI उनका मानना था कि श्रद्धा एवं प्रेम सभी धर्मों से महान हैं और प्रेम ही ईश्वर है। उन्होंने “मोहन मोहिनी”, “मानस माधुरी”, “राम राज्य”, “कीर्तन मंजरी”, “पाषाणी अहिल्या”, “मानस का मल्लाह”, “धर्मावतार”, “मुरली मनोहर”, “राम गीता”, “रास पंचाध्यायी”, “सुमन संची”, ” बोध वाणी”, “नवयुग विनोद” आदि ग्रंथों की रचना की।

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सुंदरकाण्ड/ Sundarakand

सुंदरकाण्ड मूलतः वाल्मीकि कृत रामायण का एक भाग है। गोस्वामी तुलसीदास कृत श्री राम चरित मानस तथा अन्य भाषाओं के रामायण में भी सुन्दरकाण्ड उपस्थित है। सुन्दरकाण्ड में हनुमान जी द्वारा किये गये महान कार्यों का वर्णन है। रामायण पाठ में सुन्दरकाण्ड के पाठ का विशेष महत्व माना जाता है।

सुंदरकांड, जिसे रामायण का सबसे सुंदर (सुंदर) हिस्सा माना जाता है, भगवान हनुमान की लंका यात्रा का वर्णन करता है। यह पुस्तक उनकी प्राचीन जीवन शैली को स्पष्ट करती है, जिसके अनुसरण से व्यक्ति के जीवन में कर्म और आध्यात्मिक ज्ञान और भक्ति (भक्ति) आती है। यह भी माना जाता है कि जब कोई सुंदरकांड पढ़ता है, तो भगवान हनुमान स्वयं अपनी उपस्थिति से पाठक पर कृपा करते हैं। सुंदरकांड, श्री हनुमान चालीसा और संकटमोचन हनुमानाष्टक के संपूर्ण पाठ और व्याख्या को लेकर, इस संस्करण में  भगवान राम और भगवान हनुमान की  कला भी शामिल है।

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बालकाण्ड/ Baalkand

बालकाण्ड वाल्मीकि कृत रामायण और गोस्वामी तुलसीदास कृत श्री राम चरित मानस का एक भाग (काण्ड या सोपान) है।
अयोध्या नगरी में दशरथ नाम के राजा हुये जिनकी कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा नामक पत्नियाँ थीं। संतान प्राप्ति हेतु अयोध्यापति दशरथ ने अपने गुरु श्री वशिष्ठ की आज्ञा से पुत्रकामेष्टि यज्ञ करवाया जिसे कि ऋंगी ऋषि ने सम्पन्न किया। भक्तिपूर्ण आहुतियाँ पाकर अग्निदेव प्रसन्न हुये और उन्होंने स्वयं प्रकट होकर राजा दशरथ को हविष्यपात्र (खीर, पायस) दिया जिसे कि उन्होंने अपनी तीनों पत्नियों में बाँट दिया। खीर के सेवन के परिणामस्वरूप कौशल्या के गर्भ से राम का, कैकेयी के गर्भ से भरत का तथा सुमित्रा के गर्भ से लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म हुआ।सीता स्वंयवर, राजकुमारों के बड़े होने पर आश्रम की राक्षसों से रक्षा हेतु ऋषि विश्वामित्र राजा दशरथ से राम और लक्ष्मण को मांग कर अपने साथ ले गये। राम ने ताड़का और सुबाहु जैसे राक्षसों को मार डाला और मारीच को बिना फल वाले बाण से मार कर समुद्र के पार भेज दिया। उधर लक्ष्मण ने राक्षसों की सारी सेना का संहार कर डाला। धनुषयज्ञ हेतु राजा जनक के निमंत्रण मिलने पर विश्वामित्र राम और लक्ष्मण के साथ उनकी नगरी मिथिला (जनकपुर) आ गये। रास्ते में राम ने गौतम मुनि की स्त्री अहल्या का उद्धार किया। मिथिला में राजा जनक की पुत्री सीता जिन्हें कि जानकी के नाम से भी जाना जाता है का स्वयंवर का भी आयोजन था जहाँ कि जनकप्रतिज्ञा के अनुसार शिवधनुष को तोड़ कर राम ने सीता से विवाह किया। राम और सीता के विवाह के साथ ही साथ गुरु वशिष्ठ ने भरत का माण्डवी से, लक्ष्मण का उर्मिला से और शत्रुघ्न का श्रुतकीर्ति से करवा दिया

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