श्री रामचरितमानस -सुंदरकांड (मूल) श्री हनुमान चालीसा शाहित Shri Ramcharirtmanas -Sundarakand

श्री रामचरितमानस सुंदरकांड (मूल) श्री हनुमान चालीसा शाहितवाल्मीकि रामायण दुनिया की सबसे उल्लेखनीय क्लासिक्स में से एक है और अपनी नैतिक अपील में सभी को उत्कृष्ट बनाती है। यह सभी के लिए सबक से भरा है और स्वस्थ साहित्य के सभी प्रेमियों द्वारा रुचि और लाभ के साथ पढ़ने के योग्य है। यह अपनी काव्य उत्कृष्टता के लिए विख्यात है

त्रेतायुग में महर्षि वाल्मीकि के श्रीमुख से साक्षात वेदों का ही श्रीमद्रामायण रूप में प्राकट्य हुआ, ऐसी आस्तिक जगत की मान्यता है। अतः श्रीमद्रामायण को वेदतुल्य प्रतिष्ठा प्राप्त है। धराधाम का आदिकाव्य होनेसे इसमें भगवान के लोकपावन चरित्र की सर्वप्रथम वाङ्मयी परिक्रमा है। इसके एक-एक श्लोक में भगवान के दिव्य गुण, सत्य, सौहार्द्र, दया, क्षमा, मृदुता, धीरता, गम्भीरता, ज्ञान, पराक्रम, प्रज्ञा-रंजकता, गुरुभक्ति, मैत्री, करुणा, शरणागत-वत्सलता जैसे अनन्त पुष्पोंकी दिव्य सुगन्ध है। प्रस्तुत पुस्तक में श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण के सुन्दरकाण्ड का हिंदी टीका के साथ प्रकाशन किया गया है

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Shri Ramacarita manas/श्री रामचरितमानस

रामचरितमानस अवधि भाषा में गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा १६वीं सदी में रचित प्रसिद्ध ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ को अवधि साहित्य (हिंदी साहित्य) की एक महान कृति माना जाता है। इसे सामान्यतः ‘तुलसी रामायण‘ या ‘तुलसीकृत रामायण’ भी कहा जाता है। रामचरितमानस भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान रखता है। रामचरितमानस की लोकप्रियता अद्वितीय है। उत्तर भारत में ‘रामायण’ के रूप में बहुत से लोगों द्वारा प्रतिदिन पढ़ा जाता है। शरद नवरात्रि में इसके सुन्दर काण्ड का पाठ पूरे नौ दिन किया जाता है। रामायण मण्डलों द्वारा मंगलवार और शनिवार को इसके सुन्दरकाण्ड का पाठ किया जाता है।

रामचरितमानस के नायक राम हैं जिनको एक मर्यादा पुरोषोत्तम के रूप में दर्शाया गया है जोकि अखिल ब्रह्माण्ड के स्वामी हरि नारायण भगवान के अवतार है जबकि महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण में राम को एक आदर्श चरित्र मानव के रूप में दिखाया गया है। जो सम्पूर्ण मानव समाज ये सिखाता है जीवन को किस प्रकार जिया जाय भले ही उसमे कितने भी विघ्न हों तुलसी के राम सर्वशक्तिमान होते हुए भी मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। गोस्वामी जी ने रामचरित का अनुपम शैली में दोहों, चौपाइयों, सोरठों तथा छंद का आश्रय लेकर वर्णन किया है।

रामचरितमानस को गोस्वामी जी ने सात काण्डों में विभक्त किया है। इन सात काण्डों के नाम हैं –
बालकाण्ड

अयोध्याकाण्ड
अरण्यकाण्ड
किष्किन्धाकाण्ड
सुंदरकाण्ड
लंकाकाण्ड (युद्धकाण्ड)
उत्तरकाण्ड
तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में अवधी के अलंकारो का बहुत सुन्दर प्रयोग किया है विशेषकर अनुप्रास अलंकार का। रामचरितमानस में प्रत्येक हिन्दू की अनन्य आस्था है और इसे हिन्दुओं का पवित्र ग्रन्थ माना जाता है।

तुलसीदास ने उन लोगों को भी राम की ही आराधना करने की सलाह दी है जो केवल निराकार को ही परमब्रह्म मानते हैं।

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श्रीरामचरितमानस (बृहदाकार)/ Shri Ramcharit Manas

रामचरितमानस अवधि भाषा में गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा १६वीं सदी में रचित प्रसिद्ध ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ को अवधि साहित्य (हिंदी साहित्य) की एक महान कृति माना जाता है। इसे सामान्यतः ‘तुलसी रामायण‘ या ‘तुलसीकृत रामायण’ भी कहा जाता है। रामचरितमानस भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान रखता है। रामचरितमानस की लोकप्रियता अद्वितीय है। उत्तर भारत में ‘रामायण’ के रूप में बहुत से लोगों द्वारा प्रतिदिन पढ़ा जाता है। शरद नवरात्रि में इसके सुन्दर काण्ड का पाठ पूरे नौ दिन किया जाता है। रामायण मण्डलों द्वारा मंगलवार और शनिवार को इसके सुन्दरकाण्ड का पाठ किया जाता है।

रामचरितमानस के नायक राम हैं जिनको एक मर्यादा पुरोषोत्तम के रूप में दर्शाया गया है जोकि अखिल ब्रह्माण्ड के स्वामी हरि नारायण भगवान के अवतार है जबकि महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण में राम को एक आदर्श चरित्र मानव के रूप में दिखाया गया है। जो सम्पूर्ण मानव समाज ये सिखाता है जीवन को किस प्रकार जिया जाय भले ही उसमे कितने भी विघ्न हों तुलसी के राम सर्वशक्तिमान होते हुए भी मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। गोस्वामी जी ने रामचरित का अनुपम शैली में दोहों, चौपाइयों, सोरठों तथा छंद का आश्रय लेकर वर्णन किया है।

रामचरितमानस को गोस्वामी जी ने सात काण्डों में विभक्त किया है। इन सात काण्डों के नाम हैं –
बालकाण्ड

अयोध्याकाण्ड
अरण्यकाण्ड
किष्किन्धाकाण्ड
सुंदरकाण्ड
लंकाकाण्ड (युद्धकाण्ड)
उत्तरकाण्ड
तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में अवधी के अलंकारो का बहुत सुन्दर प्रयोग किया है विशेषकर अनुप्रास अलंकार का। रामचरितमानस में प्रत्येक हिन्दू की अनन्य आस्था है और इसे हिन्दुओं का पवित्र ग्रन्थ माना जाता है।

तुलसीदास ने उन लोगों को भी राम की ही आराधना करने की सलाह दी है जो केवल निराकार को ही परमब्रह्म मानते हैं।

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श्रीरामचरितमानस/ Shri Ramcharit Manas

रामचरितमानस अवधि भाषा में गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा १६वीं सदी में रचित प्रसिद्ध ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ को अवधि साहित्य (हिंदी साहित्य) की एक महान कृति माना जाता है। इसे सामान्यतः ‘तुलसी रामायण‘ या ‘तुलसीकृत रामायण’ भी कहा जाता है। रामचरितमानस भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान रखता है। रामचरितमानस की लोकप्रियता अद्वितीय है। उत्तर भारत में ‘रामायण’ के रूप में बहुत से लोगों द्वारा प्रतिदिन पढ़ा जाता है। शरद नवरात्रि में इसके सुन्दर काण्ड का पाठ पूरे नौ दिन किया जाता है। रामायण मण्डलों द्वारा मंगलवार और शनिवार को इसके सुन्दरकाण्ड का पाठ किया जाता है।

रामचरितमानस के नायक राम हैं जिनको एक मर्यादा पुरोषोत्तम के रूप में दर्शाया गया है जोकि अखिल ब्रह्माण्ड के स्वामी हरि नारायण भगवान के अवतार है जबकि महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण में राम को एक आदर्श चरित्र मानव के रूप में दिखाया गया है। जो सम्पूर्ण मानव समाज ये सिखाता है जीवन को किस प्रकार जिया जाय भले ही उसमे कितने भी विघ्न हों तुलसी के राम सर्वशक्तिमान होते हुए भी मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। गोस्वामी जी ने रामचरित का अनुपम शैली में दोहों, चौपाइयों, सोरठों तथा छंद का आश्रय लेकर वर्णन किया है।

रामचरितमानस को गोस्वामी जी ने सात काण्डों में विभक्त किया है। इन सात काण्डों के नाम हैं –
बालकाण्ड

अयोध्याकाण्ड
अरण्यकाण्ड
किष्किन्धाकाण्ड
सुंदरकाण्ड
लंकाकाण्ड (युद्धकाण्ड)
उत्तरकाण्ड
तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में अवधी के अलंकारो का बहुत सुन्दर प्रयोग किया है विशेषकर अनुप्रास अलंकार का। रामचरितमानस में प्रत्येक हिन्दू की अनन्य आस्था है और इसे हिन्दुओं का पवित्र ग्रन्थ माना जाता है।

तुलसीदास ने उन लोगों को भी राम की ही आराधना करने की सलाह दी है जो केवल निराकार को ही परमब्रह्म मानते हैं।

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आदित्यहृदय स्तोत्रम्/ Aadityahridaya Stotram

“आदित्यहृदय स्तोत्रम्” संस्कृत में एक प्रमुख वेदिक स्तोत्र है जो सूर्य देवता की महिमा और महत्त्व का वर्णन करता है। यह स्तोत्र आदित्यहृदय ऋषि अगस्त्य ऋषि द्वारा भगवान राम को श्रीरामचंद्र प्रसन्न करने के लिए उपदेशित किया गया था। इसे “रामायण” के युद्ध कांड में प्रस्थानत्रय सम्मेलन में स्थित होते समय भगवान राम ने सुना था।

आदित्यहृदय स्तोत्रम् में सूर्य देवता की गुणगान, शक्ति, और महिमा का वर्णन है। इसके पठन से भक्त को शक्ति, साहस, और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। यह स्तोत्र उपासकों को शांति और सफलता की प्राप्ति में मदद करता है।

आदित्यहृदय स्तोत्रम् के कुछ पंक्तियों का अर्थिक अनुवाद निम्नलिखित होता है:

“ततो युद्धपरिश्रान्तं समरे चिन्तया स्थितम्। रावणं चाग्रतो दृष्ट्वा युद्धाय समुपस्थितम्॥१३॥”

“उसके बाद जब युद्ध के श्रम से थक गए, तब ध्यान से स्थित हुए। रावण को युद्ध के लिए खड़ा देखकर स्थित हो गए।॥१३॥”

आदित्यहृदय स्तोत्रम् को उपासना, ध्यान, और मनन के लिए भी उपयोग किया जाता है। इसके प्रतिदिन का पाठ शांति और सफलता की प्राप्ति में मदद कर सकता है।

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श्री रामचरितमानस( मूल )/ Shree Ramcharitmanas

श्री रामचरितमानस/ Shri Ramcharit Manas        सचित्र ,सटीक ,मोटा टाइप विशिष्ट संस्करण

(टीकाकार -हनुमानप्रसाद पोद्दार)

रामचरितमानस अवधि भाषा में गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा १६वीं सदी में रचित प्रसिद्ध ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ को अवधि साहित्य (हिंदी साहित्य) की एक महान कृति माना जाता है। इसे सामान्यतः ‘तुलसी रामायण‘ या ‘तुलसीकृत रामायण‘ भी कहा जाता है। रामचरितमानस भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान रखता है। रामचरितमानस की लोकप्रियता अद्वितीय है। उत्तर भारत में ‘रामायण‘ के रूप में बहुत से लोगों द्वारा प्रतिदिन पढ़ा जाता है। शरद नवरात्रि में इसके सुन्दर काण्ड का पाठ पूरे नौ दिन किया जाता है। रामायण मण्डलों द्वारा मंगलवार और शनिवार को इसके सुन्दरकाण्ड का पाठ किया जाता है।

रामचरितमानस के नायक राम हैं जिनको एक मर्यादा पुरोषोत्तम के रूप में दर्शाया गया है जोकि अखिल ब्रह्माण्ड के स्वामी हरि नारायण भगवान के अवतार है जबकि महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण में राम को एक आदर्श चरित्र मानव के रूप में दिखाया गया है। जो सम्पूर्ण मानव समाज ये सिखाता है जीवन को किस प्रकार जिया जाय भले ही उसमे कितने भी विघ्न हों तुलसी के राम सर्वशक्तिमान होते हुए भी मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। गोस्वामी जी ने रामचरित का अनुपम शैली में दोहों, चौपाइयों, सोरठों तथा छंद का आश्रय लेकर वर्णन किया है।

रामचरितमानस को गोस्वामी जी ने सात काण्डों में विभक्त किया है। इन सात काण्डों के नाम हैं – वालकाण्ड, अयोध्याकाण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किन्धाकाण्ड, सुन्दर काण्ड, लंकाकाण्ड(युद्धकाण्ड) और उत्तरकाण्ड। छन्दों की संख्या के अनुसार वालकाण्डऔर किष्किन्धाकाण्ड क्रमशः सबसे बड़े और छोटे काण्ड हैं। तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में अवधी के अलंकारो का बहुत सुन्दर प्रयोग किया है विशेषकर अनुप्रास अलंकार का। रामचरितमानस में प्रत्येक हिन्दू की अनन्य आस्था है और इसे हिन्दुओं का पवित्र ग्रन्थ माना जाता है।

तुलसीदास ने उन लोगों को भी राम की ही आराधना करने की सलाह दी है जो केवल निराकार को ही परमब्रह्म मानते हैं।

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सुंदरकांड\Sunderkand

सुंदरकांड, जिसे रामायण का सबसे सुंदर (सुंदर) हिस्सा माना जाता है, भगवान हनुमान की लंका यात्रा का वर्णन करता है। यह पुस्तक उनकी प्राचीन जीवन शैली को स्पष्ट करती है, जिसके अनुसरण से व्यक्ति के जीवन में कर्म और आध्यात्मिक ज्ञान और भक्ति (भक्ति) आती है। यह भी माना जाता है कि जब कोई सुंदरकांड पढ़ता है, तो भगवान हनुमान स्वयं अपनी उपस्थिति से पाठक पर कृपा करते हैं। सुंदरकांड, श्री हनुमान चालीसा, और संकटमोचन हनुमानाष्टक के संपूर्ण पाठ और व्याख्या भी शामिल है।

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