श्री विष्णुसहस्त्रनाम/ Shri Vishnu Sahatsranaam

श्री विष्णु सहस्रनाम, एक तत्पुरुष यौगिक, विष्णु के 1,000 नामों (सहस्रनाम) की एक सूची है, जो हिंदू धर्म में भगवान के मुख्य रूपों में से एक है और वैष्णवों (विष्णु के अनुयायी) के लिए व्यक्तिगत सर्वोच्च भगवान है। यह हिंदू धर्म में सबसे पवित्र और आमतौर पर बोले जाने वाले स्तोत्रों में से एक है। महाभारत के अनुषासन पर्व में पाया गया विष्णुसहस्रनाम विष्णु के 1,000 नामों का सबसे लोकप्रिय संस्करण है। प्रत्येक नाम उनके अनगिनत महान गुणों में से एक की स्तुति करता है।

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श्रीमद् भगवद्गीता/ Shrimad Bhagwadgita

महाभारत युद्ध आरम्भ होने के ठीक पहले भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिया वह श्रीमद्भगवदगीता के नाम से प्रसिद्ध है। यह महाभारत के भीष्मपर्व का अंग है। गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं। गीता की गणना प्रस्थानत्रयी में की जाती है, जिसमें उपनिषद् और ब्रह्मसूत्र भी सम्मिलित हैं।

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श्रीमद् भगवद्गीता (पॉकेट साईज)/ Shrimad Bhagwadgita (Pocket Size)

महाभारत युद्ध आरम्भ होने के ठीक पहले भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिया वह श्रीमद्भगवदगीता के नाम से प्रसिद्ध है। यह महाभारत के भीष्मपर्व का अंग है। गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं। गीता की गणना प्रस्थानत्रयी में की जाती है, जिसमें उपनिषद् और ब्रह्मसूत्र भी सम्मिलित हैं।

श्रीमद्भगवद्गीता भगवान श्रीकृष्ण का मानव जीवनोपयोगी दिव्य उपदेश है। इस संस्करण में मूल श्लोक, हिन्दी-टीका, गीता-महिमा, प्रधान-विषय, त्याग से भगवत्प्राप्ति निबन्ध सहित दी गयी है। पाकेट आकार, बिना जिल्द के।

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श्रीमद् भगवद्गीता (पॉकेट साईज)/ Shrimad Bhagwad Gita (Pocket Size)

महाभारत युद्ध आरम्भ होने के ठीक पहले भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिया वह श्रीमद्भगवदगीता के नाम से प्रसिद्ध है। यह महाभारत के भीष्मपर्व का अंग है। गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं। गीता की गणना प्रस्थानत्रयी में की जाती है, जिसमें उपनिषद् और ब्रह्मसूत्र भी सम्मिलित हैं।

श्रीमद्भगवद्गीता भगवान श्रीकृष्ण का मानव जीवनोपयोगी दिव्य उपदेश है। इस संस्करण में मूल श्लोक, हिन्दी-टीका, गीता-महिमा, प्रधान-विषय, त्याग से भगवत्प्राप्ति निबन्ध सहित दी गयी है। पाकेट आकार,  जिल्द सहित।

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श्रीमद् भगवद्गीता/ Shrimad Bhagwadgita

महाभारत युद्ध आरम्भ होने के ठीक पहले भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिया वह श्रीमद्भगवदगीता के नाम से प्रसिद्ध है। यह महाभारत के भीष्मपर्व का अंग है। गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं। गीता की गणना प्रस्थानत्रयी में की जाती है, जिसमें उपनिषद् और ब्रह्मसूत्र भी सम्मिलित हैं।

श्रीमद्भगवद्गीता भगवान श्रीकृष्ण का मानव जीवनोपयोगी दिव्य उपदेश है। इस संस्करण में मूल श्लोक, हिन्दी-टीका, गीता-महिमा, प्रधान-विषय, त्याग से भगवत्प्राप्ति निबन्ध सहित दी गयी है। पाकेट आकार, जिल्द सहित। 

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श्रीमद् भगवदगीता भाषा/ Shreemad Bhagwad Gita Bhassa

यह महाभारत के भीष्मपर्व का अंग है। गीता में 18 अध्याय और 679 श्लोक हैं। गीता की गणना प्रस्थानत्रयी में की जाती है, जिसमें उपनिषद् और ब्रह्मसूत्र भी सम्मिलित हैं। अतएव भारतीय परम्परा के अनुसार गीता का स्थान वही है जो उपनिषद् और धर्मसूत्रों का है।

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कर्णवास का सत्संग/ Karnvas ka Satsang

कर्णवास का सत्संग

कर्णवास,उत्तर प्रदेश के बुलन्दशहर जिले में डिबाई के निकट गंगा तट पर स्थित एक ऐतिहासिक ग्राम है। यह प्राचीन भृगु-क्षेत्र माना गया है जहाँ कल्याणी देवी और कर्ण शिला दर्शनीय तीर्थ हैं। अलीगढ-वरेली रेलमार्ग से समीप ही स्थित राजघाट रेलवे स्टेशन पर उतर कर यहाँ पहुंचा जा सकता है।

महाभारत काल के कर्ण का इस स्थान से सम्बन्ध बताया जाता है, जिसका नामकरण महाभारत के नायक कर्ण के नाम पर किया गया है। राजा कर्ण परोपकार के लिए काफी प्रसिद्ध थे, इसलिए उन्हें ‘दानवीर कर्ण’ के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार कर्ण ने उस समय हर दिन 50 किग्रा सोना दान किया करते थे। पर्यटक यहां महाभारत काल के देवी कल्याणी मंदिर भी घूम सकते हैं। कर्णवास बुलंदशहर से ज्यादा दूर नहीं हैं ।

यहॉ पर श्री सेठ जी केे द्वारा दिये गये प्रवचनों को संकलित कर एक पुस्तक के रुप मे प्रकासित किया जा रहा है।

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मानव-कलयाण के साधन/ Manav Kalyan ke Sadhan

संसार में जितने भी सफल व्यक्ति अथवा महापुरुष हुए हैं; इसलिए नहीं कि वे अलौकिक प्रतिभा के धनी थे अथवा साधन-संपन्न थे; बल्कि इसलिए कि वे महान् व्यक्तित्व के स्वामी थे। विश्व में महापुरुषों और सफल व्यक्तियों की जीवनियाँ हमें बताती हैं कि सभी ने अपने व्यक्तित्व का विकास कर जीवन को अनुशासित किया और मानव-कल्याण का संदेश दिया।
महाभारत काल के एक अत्यंत गरीब व साधनहीन बालक एकलव्य में व्यक्तित्व निर्माण के सभी गुण मौजूद थे। उसमें सर्वश्रेष्ठ धनुर्धारी बनने की इतनी ललक थी कि वह अपनी सकारात्मक सोच के साथ अंधकार से प्रकाश की किरण का आभास करता हुआ एकाग्रचित्त और कड़े अम्यास के बलबूते पर ही जीवन के उद्देश्य तक पहुँचने में सफल हुआ था।
प्रस्तुत पुस्तक ‘महापुरुषों की शिक्षाप्रद कथाएँ’ में साहित्यकारों; राजनेताओं; दार्शनिकों; समाज-सुधारकों की प्रेरक कथाओं को समाहित किया गया है। ये कथाएँ मानवीय गुण; यथा परोपकार; सदाचार; सेवा; कर्मशीलता; धैर्य आदि का संचार करेंगी।
विश्वास है कि यह कथा-संकलन सभी पाठकों के जीवन में नई स्फूर्ति का संचार करते हुए उनमें आत्मविश्वास पैदा करेगा।

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