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Healthy Mind, Healthy Body
₹150.00Healthy Body, Healthy Mind Healthy Body, Healthy Mind refers to the strong connection between physical health and mental well-being. It suggests that maintaining a healthy body through proper nutrition, regular exercise, and adequate rest contributes to a sharp, focused, and positive mind. When the body is fit and active, it reduces stress, anxiety, and depression while enhancing cognitive function, emotional stability, and overall happiness. This philosophy encourages a balanced lifestyle where both physical and mental health are prioritized for overall well-being -
स्वामी विवेकानंद – चित्रमय जीवनी
"स्वामी विवेकानंद – चित्रमय जीवनी" एक रोचक और प्रेरणादायक पुस्तक है, जिसमें स्वामी विवेकानंद के जीवन, आदर्शों और शिक्षाओं को चित्रों के माध्यम से सरल और प्रभावी तरीके से प्रस्तुत किया गया है। यह विशेष रूप से बच्चों और युवाओं के लिए बनाई गई है ताकि वे स्वामी विवेकानंद के महान व्यक्तित्व और विचारों से प्रेरणा ले सकें।
पुस्तक की मुख्य विशेषताएँ
चित्रों के माध्यम से जीवन परिचय – स्वामी विवेकानंद के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं को सुंदर चित्रों और सरल भाषा में प्रस्तुत किया गया है।
सरल और रोचक भाषा – यह पुस्तक आसान हिंदी में लिखी गई है, जिससे बच्चे और युवा आसानी से समझ सकें।
प्रेरणादायक प्रसंग – पुस्तक में स्वामी विवेकानंद के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाएँ शामिल हैं, जैसे:- बालक नरेंद्र (स्वामी विवेकानंद) का बचपन और जिज्ञासु स्वभाव।
- श्री रामकृष्ण परमहंस से उनकी भेंट और आध्यात्मिक मार्गदर्शन।
- भारत भ्रमण और समाज सेवा का संकल्प।
- 1893 में शिकागो धर्म महासभा में ऐतिहासिक भाषण।
- युवाओं के लिए उनके संदेश और भारत के प्रति उनका प्रेम।
आध्यात्मिक और नैतिक शिक्षा – पुस्तक स्वामी विवेकानंद के विचारों को सरल तरीके से प्रस्तुत करती है, जैसे आत्मविश्वास, देशभक्ति, परिश्रम और मानव सेवा।
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कबीर अमृतवाणी/ Kabir Amritvani
₹160.00कबीर अमृतवाणी
"कबीर अमृतवाणी" संत कबीरदास के अमृतमय दोहों और साखियों का संग्रह है। यह ग्रंथ भक्ति, आत्मज्ञान और आध्यात्मिक जागृति पर आधारित है। कबीरदास ने अपने दोहों के माध्यम से अंधविश्वास, पाखंड और बाह्य आडंबरों का विरोध किया और सच्चे प्रेम, ईश्वर भक्ति और आत्मज्ञान का मार्ग दिखाया।
पुस्तक की प्रमुख विशेषताएँ:
भक्ति मार्ग का संदेश – बिना किसी बाहरी आडंबर के सीधे ईश्वर से जुड़ने की प्रेरणा।
सारगर्भित दोहे व साखियाँ – सरल भाषा में गहरी आध्यात्मिक बातें।
अंधविश्वास और पाखंड का विरोध – धर्म के नाम पर किए जाने वाले ढोंग और रूढ़ियों की आलोचना।
ज्ञान और आत्मबोध – जीवन का वास्तविक उद्देश्य स्वयं को और परमात्मा को जानना है।Kabir Amritvani
"Kabir Amritvani" is a collection of the divine verses (dohas and sakhis) of Sant Kabir, one of the greatest mystic poets and saints of the Bhakti movement in India. His teachings focus on spiritual wisdom, devotion (bhakti), and self-realization, breaking barriers of caste, religion, and rituals.
Key Themes of the Book:
Path of Bhakti (Devotion) – Encourages love and devotion towards the Supreme Being without rituals.
Universal Truth & Wisdom – Stresses that God is within, and true knowledge comes from self-awareness.
Criticism of Blind Faith & Hypocrisy – Rejects meaningless rituals and promotes inner purity.
Simple Yet Profound Poetry – Written in doha (couplet) form, making deep wisdom easy to understand. -
श्री कृष्ण भाव संचय – श्री हनुमानप्रसाद पोद्दार
"श्री कृष्ण भाव संचय" महान संत, चिंतक और गीताप्रेस गोरखपुर के प्रमुख प्रेरक श्री हनुमानप्रसाद पोद्दार द्वारा रचित एक अत्यंत भक्तिपूर्ण ग्रंथ है। यह पुस्तक भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति, उनके दिव्य लीलाओं और उपदेशों पर आधारित है, जो भक्तों को प्रेम और आत्मसमर्पण की भावना से भर देती है।
Shri Krishna Bhav Sanchay – By Shri Hanumanprasad Poddar
"Shri Krishna Bhav Sanchay" is a deeply spiritual and devotional book written by Shri Hanumanprasad Poddar, a revered saint, thinker, and key figure associated with Gita Press, Gorakhpur. This book is dedicated to Lord Krishna and beautifully compiles various thoughts, teachings, and devotional reflections on Krishna Bhakti (devotion to Lord Krishna).
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श्री शिव-चिंतन – श्री हनुमानप्रसाद पोद्दार
"श्री शिव-चिंतन" प्रसिद्ध आध्यात्मिक लेखक श्री हनुमानप्रसाद पोद्दार द्वारा लिखित एक पवित्र ग्रंथ है, जो भगवान शिव की महिमा, उनके तत्वज्ञान, उपासना और भक्ति का विस्तृत वर्णन करता है। यह पुस्तक गीताप्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित की जाती है और शिवभक्तों के लिए अत्यंत उपयोगी मानी जाती है।
Shri Shiv-Chintan – By Shri Hanumanprasad Poddar
"Shri Shiv-Chintan" is a revered spiritual book written by Shri Hanumanprasad Poddar, a well-known saint, thinker, and author associated with Gita Press, Gorakhpur. This book beautifully explores the glory, philosophy, and devotion of Lord Shiva, offering deep insights into his divine nature and teachings.
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रसिक अनन्य माल – भक्ति और प्रेम का दिव्य ग्रंथ
"रसिक अनन्य माल" एक अद्भुत आध्यात्मिक ग्रंथ है, जो शुद्ध भक्ति (अनन्य भक्ति), दिव्य प्रेम और भगवान के प्रति संपूर्ण समर्पण को स्पष्ट करता है। यह विशेष रूप से रसिक संतों की परंपरा से संबंधित है, जो भगवान श्रीकृष्ण के प्रति अनन्य प्रेम और भक्ति पर बल देते हैं।
मुख्य विषय-वस्तु
- इस ग्रंथ में अनन्य भक्ति (अखंड प्रेम और निस्वार्थ समर्पण) का महत्व बताया गया है।
- इसमें रसिक संतों के आध्यात्मिक अनुभवों का संग्रह है, जिन्होंने दिव्य प्रेम और भक्ति रस का अनुभव किया।
- यह संसार की माया से विरक्ति (वैराग्य) और भगवान में संपूर्ण आत्मसमर्पण का मार्ग दिखाता है।
- इसमें भजन, पद और भक्ति से ओतप्रोत काव्य के माध्यम से भगवान के प्रेम की अनुभूति कराई गई है।
Rasik Ananya Maal – A Devotional Treasure
"Rasik Ananya Maal" is a profound spiritual book that delves into the essence of devotion (bhakti), divine love, and complete surrender to God. It is particularly revered in the tradition of Rasik saints who emphasize unwavering love and exclusive devotion to the Divine.
Main Themes of the Book
- It focuses on pure, selfless devotion (Ananya Bhakti) towards Lord Krishna.
- The book highlights the mystical experiences of Rasik saints who have attained divine love.
- It discusses the importance of detachment from the material world and total surrender to God.
- Through poetic expressions and devotional hymns, it portrays the blissful experiences of divine union with God.
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भक्ति रहस्य/Bhakti Rahasya
₹220.00भक्ति रहस्य – आध्यात्मिक प्रश्नों का संपूर्ण समाधान
"भक्ति रहस्य" एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक ग्रंथ है, जो भक्ति मार्ग के रहस्यों और गूढ़ सिद्धांतों को स्पष्ट करता है। यह ग्रंथ भक्ति, आत्मज्ञान और ईश्वर-साक्षात्कार की गहन व्याख्या प्रस्तुत करता है।
मुख्य विषयवस्तु
- यह पुस्तक उन जिज्ञासु साधकों के लिए है, जो आध्यात्मिक प्रश्नों के उत्तर चाहते हैं।
- इसमें भक्ति योग, ईश्वर की कृपा, सच्चे भक्त के गुण, आत्म-साक्षात्कार और मोक्ष का रहस्य बताया गया है।
- यह ग्रंथ भक्ति की नौ अवस्थाओं और उनके महत्व को भी दर्शाता है।
Bhakti Rahasya – Complete Solution to Spiritual Questions
"Bhakti Rahasya" is a significant spiritual book that delves into the mysteries of devotion (bhakti), self-realization, and divine grace. It serves as a guide for seekers who wish to understand the true essence of devotion and find answers to their spiritual queries.
Main Themes of the Book
- It is designed for spiritual seekers looking for clarity on deep spiritual questions.
- The book explains Bhakti Yoga, divine grace, the qualities of a true devotee, self-realization, and the secret to attaining liberation (moksha).
- It elaborates on the nine stages of devotion (Navadha Bhakti) and their significance.
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Bhaja Govindam and Charpat Panjarika Stotram are both revered Sanskrit compositions attributed to Adi Shankaracharya, the great Indian philosopher and Advaita Vedanta proponent.
Bhaja Govindam
- Also known as the Moha Mudgara, this text consists of 31 verses (some versions have 33 or more) emphasizing detachment from material life and devotion to God.
- It is a powerful work that urges individuals to seek spiritual wisdom over materialistic pursuits, reminding us of the impermanence of life.
- The central message is "Bhaja Govindam" (Worship Govinda/Krishna), implying that devotion and knowledge lead to liberation.
- It is said that Adi Shankaracharya composed this when he saw an old man still engaged in intellectual grammar studies, reminding him that such knowledge is futile without devotion.
भज गोविंदम् और चर्पट पंजरिका स्तोत्रम् पुस्तक आदि शंकराचार्य द्वारा रचित एक अत्यंत प्रसिद्ध संस्कृत ग्रंथ है, जो जीवन की नश्वरता और आध्यात्मिक मार्ग की महत्ता पर प्रकाश डालता है।
भज गोविंदम् (चर्पट पंजरिका स्तोत्रम्) का परिचय
- भज गोविंदम् को मोह मुद्गर भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है "मोह को नष्ट करने वाला"।
- इस ग्रंथ में 31 श्लोक (कुछ संस्करणों में 33) हैं, जिनमें यह बताया गया है कि भक्ति, ज्ञान और वैराग्य ही जीवन का वास्तविक उद्देश्य होना चाहिए।
- इसमें आदि शंकराचार्य यह संदेश देते हैं कि धन, यौवन और सांसारिक मोह क्षणभंगुर हैं और केवल गोविंद (भगवान कृष्ण) की भक्ति से ही जीवन सार्थक बनता है।
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बृज भाव/ Braj Bhav
₹60.00"ब्रज भाव" एक सुंदर और भावमयी भक्ति ग्रंथ है, जिसे महान संतवाणी संकलक श्री हनुमानप्रसाद पोद्दार जी ने संपादित किया है। श्री पोद्दार जी गीताप्रेस के संस्थापक सदस्यों में से एक थे और उन्होंने जीवन भर भारतीय आध्यात्मिकता, संस्कृति और भक्ति के प्रचार-प्रसार के लिए कार्य किया। उनकी संपादनशैली में गूढ़ विषय भी सहजता से हृदय तक पहुँचते हैं।
यह पुस्तक ब्रजभूमि के भाव, भक्ति और प्रेम का जीवंत चित्रण है — जहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने अपने बाल्यकाल की लीलाएं, गोपियों के साथ रास और श्रीराधा के साथ दिव्य प्रेम का अवतरण किया। इस ग्रंथ में न केवल ब्रज की लीलाओं का वर्णन है, बल्कि उन लीलाओं में छिपे भावतत्त्व और आध्यात्मिक संदेश भी निहित हैं।
मुख्य विषयवस्तु:
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ब्रज की महिमा और स्वरूप:
ब्रज को केवल एक स्थान न मानकर, भावों की भूमि के रूप में प्रस्तुत किया गया है। यहाँ का प्रत्येक कण श्रीकृष्ण की लीलाओं से ओतप्रोत है। -
राधा-कृष्ण का माधुर्य भाव:
राधा और कृष्ण का मिलन सांसारिक प्रेम नहीं, बल्कि आत्मा और परमात्मा का आध्यात्मिक संगम है। इनकी लीलाओं के माध्यम से पाठक को भक्ति, समर्पण और दिव्य प्रेम का बोध होता है। -
गोपियों की अनुपम भक्ति:
गोपियाँ भक्ति की चरमसीमा हैं। उनका प्रेम निःस्वार्थ और निश्छल है। यह पुस्तक उनके चरित्र के माध्यम से यह सिखाती है कि ईश्वर को पाने के लिए कैसा समर्पण चाहिए। -
विविध भक्ति-भाव (दास्य, सख्य, माधुर्य):
भक्त और भगवान के संबंध के विविध रूपों को बड़े सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया है। विशेष रूप से ‘माधुर्य भाव’ का विस्तार इस पुस्तक का हृदय है। -
रस और तत्त्व की व्याख्या:
श्रीकृष्ण को रसराज कहते हैं — क्योंकि वे प्रेम और भक्ति के सबसे गहरे भावों को प्रकट करते हैं। पुस्तक में इस विषय को शास्त्रीय शैली में परंतु सरल भाषा में समझाया गया है।
हनुमानप्रसाद पोद्दार जी ने इस पुस्तक को केवल एक साहित्यिक ग्रंथ के रूप में नहीं, बल्कि एक भक्ति के साधन के रूप में प्रस्तुत किया है। उन्होंने विभिन्न संतों, भक्त कवियों और शास्त्रीय ग्रंथों से भावपूर्ण प्रसंग, पद, श्लोक और कथाएं एकत्र कर ‘ब्रज भाव’ की आत्मा को इस पुस्तक में बाँध दिया है। उनकी लेखनी सरल, सजीव और मन को छूने वाली है।
पाठकों के लिए उपयोगिता:
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यह पुस्तक राधा-कृष्ण भक्तों के लिए अत्यंत भावविभोर अनुभव देने वाली है।
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साधना पथ पर चल रहे पाठकों के लिए इसमें भाव, समर्पण और प्रेम का प्रोत्साहन है।
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काव्य और रसिक भक्ति में रुचि रखने वालों के लिए यह एक अनमोल संग्रह है।
निष्कर्ष:
"ब्रज भाव" केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि ब्रज के दिव्य प्रेम का साक्षात्कार है। श्री हनुमानप्रसाद पोद्दार जी द्वारा संपादित यह ग्रंथ पाठक के हृदय में श्रीकृष्ण और श्रीराधा के प्रति मधुर, निश्छल और निष्काम भक्ति की भावना जाग्रत करता है। इसका पाठ एक भाव-स्नान के समान है, जिसमें डूबकर साधक ब्रज की उस दिव्यता को अनुभव कर सकता है, जो केवल प्रेमियों के लिए खुलती है।
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"संध्या, संध्या-गायत्री का महत्व और ब्रह्मचर्य" का वर्णन
🌅 संध्या क्या है?
‘संध्या’ का शाब्दिक अर्थ है — संधिकाल अर्थात दिन और रात के मिलन का समय।
प्रत्येक दिन में तीन संधिकाल होते हैं:-
प्रातः संध्या (सूर्योदय से पूर्व)
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मध्याह्न संध्या (दोपहर का समय)
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सायं संध्या (सूर्यास्त का समय)
🔆 ये काल अत्यंत पवित्र माने गए हैं, क्योंकि इन समयों में प्रकृति शांत और दिव्यता से युक्त होती है। यही समय ईश्वर-स्मरण, जप और ध्यान के लिए श्रेष्ठ माना गया है।
🪔 संध्या-गायत्री का महत्व
गायत्री मंत्र वेदों का सार है —
"ॐ भूर्भुवः स्वः ।
तत्सवितुर्वरेण्यं ।
भर्गो देवस्य धीमहि ।
धियो यो नः प्रचोदयात् ॥"🧘♂️ यह मंत्र सविता (सूर्य देवता) की उपासना है। इसका जप संध्या के समय करने से —
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मन शुद्ध होता है
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बुद्धि में सतोगुण की वृद्धि होती है
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आत्मबल और विवेक जाग्रत होता है
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पापों का क्षय होता है
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ब्रह्मविद्या की प्राप्ति का मार्ग खुलता है
🎇 गायत्री मंत्र को 'ब्रह्मविद्या' और 'मंत्रों की जननी' कहा गया है।
भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं कहा है:"गायत्री च्छन्दसामहम्।" (श्रीमद्भगवद्गीता 10.35)
🌟 ब्रह्मचर्य का महत्व
‘ब्रह्मचर्य’ का अर्थ केवल शारीरिक संयम नहीं, बल्कि इन्द्रिय-निग्रह, विचार-शुद्धि और ईश्वर में स्थित रहने का अभ्यास है।
🔹 ब्रह्मचर्य पालन से लाभ:
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शरीर बलवान होता है
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मन स्थिर और बुद्धि तेज होती है
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स्मरण शक्ति और आत्मविश्वास बढ़ता है
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साधना में प्रगति होती है
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आत्मज्ञान की प्राप्ति में सहायक होता है
🧘♂️ महर्षि पतंजलि ने कहा है —
"ब्रह्मचर्य प्रतिष्ठायां वीर्यलाभः॥"
(अष्टांगयोग, योगसूत्र 2.38)
"जब ब्रह्मचर्य पूर्ण रूप से स्थिर हो जाता है, तब अपूर्व तेजस्विता की प्राप्ति होती है।"
👉 संध्या आत्मा का स्नान है।
👉 गायत्री मंत्र आत्मा का भोजन है।
👉 ब्रह्मचर्य आत्मा की रक्षा है।जो व्यक्ति इन तीनों को जीवन में अपनाता है, वह आध्यात्मिक मार्ग पर अभ्युदय (सर्वांगीण उन्नति) और निःश्रेयस (मोक्ष) दोनों को प्राप्त करता है।
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"त्रिपिण्डी श्राद्धपद्धति" एक महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ है, जो हिन्दू धर्म में श्राद्ध, तर्पण और पितृकार्य की विधियों का सुस्पष्ट एवं प्रमाणिक विवरण प्रस्तुत करता है। इस पुस्तक का उद्देश्य पाठकों को त्रिपिण्डी श्राद्ध की विधिपूर्वक जानकारी देना है, जो पितरों को संतुष्ट करने की अत्यंत महत्वपूर्ण परंपरा है।
त्रिपिण्डी श्राद्ध क्या है?
त्रिपिण्डी श्राद्ध वह विधि है जिसमें पितरों को तीन पिण्ड (अर्थात अन्न की गोलियां) अर्पित की जाती हैं। यह विशेष श्राद्ध उन पितरों के लिए किया जाता है जिनका नियमित श्राद्ध नहीं हो पाया हो, या जिनके नाम, तिथि, या गोत्र ज्ञात न हों। यह श्राद्ध क्रिया पुत्र, पौत्र या अन्य परिजन द्वारा तीर्थ या घर पर विधिपूर्वक की जाती है।
पुस्तक की मुख्य विशेषताएँ:
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संस्कृत श्लोकों के साथ हिन्दी व्याख्या:
इस ग्रंथ में श्राद्ध विधि के प्रत्येक मंत्र का संस्कृत पाठ दिया गया है, साथ ही उसके नीचे सरल हिंदी में अर्थ और प्रक्रिया की स्पष्ट व्याख्या भी है। इससे साधारण पाठक भी समझकर विधि संपन्न कर सकता है। -
विस्तृत विधि-विधान:
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श्राद्ध के लिए उपयुक्त तिथि और समय
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स्थान और पात्रों का चयन
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सामग्री की सूची
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तर्पण, पिण्डदान, मंत्रोच्चार, आचमन, अर्घ्यदान आदि की क्रमवार प्रक्रिया
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विशेष तिथियों पर किए जाने वाले श्राद्ध के निर्देश
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ब्राह्मण भोज, दान और संकल्प की विधियाँ
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प्रामाणिकता और परंपरागतता:
यह पुस्तक वैदिक और स्मृति ग्रंथों पर आधारित है, अतः इसमें उल्लिखित विधियाँ पूर्णतः प्रामाणिक और पारंपरिक हैं। इसमें मनुस्मृति, गरुड़पुराण, अग्निपुराण, यमस्मृति आदि का संदर्भ मिलता है। -
धार्मिक और सामाजिक महत्व:
त्रिपिण्डी श्राद्ध न केवल धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह हमारे पितरों के प्रति श्रद्धा, कृतज्ञता और उत्तरदायित्व का प्रतीक भी है। यह पिंडदान उनके मोक्ष, शांति और पुनर्जन्म की सिद्धि में सहायक माना गया है। -
आसान भाषा, स्पष्ट दिशा-निर्देश:
पुस्तक की भाषा सरल और स्पष्ट है, जिससे विद्वान हो या सामान्य गृहस्थ – सभी इसके अनुसार विधि कर सकते हैं।
उपयोगिता:
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यह पुस्तक उन लोगों के लिए अनमोल है जो अपने पितरों के लिए श्राद्ध करना चाहते हैं, लेकिन प्रक्रिया नहीं जानते।
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यह पंडितों, धार्मिक विद्यार्थियों, पुरोहितों और आचार्यों के लिए भी एक आवश्यक मार्गदर्शिका है।
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इसे घर पर रखकर वार्षिक श्राद्ध, अमावस्या, पितृपक्ष, महालय, एकादशी, सूर्यग्रहण आदि पर विधिपूर्वक प्रयोग किया जा सकता है।
निष्कर्ष:
"त्रिपिण्डी श्राद्धपद्धति" केवल एक धार्मिक अनुष्ठान की विधि नहीं है, यह हिन्दू संस्कृति की उस आत्मीय भावना को दर्शाती है जो पितृभक्ति, कर्तव्यनिष्ठा और आत्मिक उन्नति में विश्वास रखती है। गीता प्रेस, गोरखपुर द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक हर हिन्दू परिवार के लिए एक अनिवार्य धार्मिक पुस्तक है, जो सनातन परंपरा की रक्षा और अभ्यास दोनों में सहायक है।
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भक्ति रहस्य – आध्यात्मिक प्रश्नों का संपूर्ण समाधान
"भक्ति रहस्य" एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक ग्रंथ है, जो भक्ति मार्ग के रहस्यों और गूढ़ सिद्धांतों को स्पष्ट करता है। यह ग्रंथ भक्ति, आत्मज्ञान और ईश्वर-साक्षात्कार की गहन व्याख्या प्रस्तुत करता है।
मुख्य विषयवस्तु
- यह पुस्तक उन जिज्ञासु साधकों के लिए है, जो आध्यात्मिक प्रश्नों के उत्तर चाहते हैं।
- इसमें भक्ति योग, ईश्वर की कृपा, सच्चे भक्त के गुण, आत्म-साक्षात्कार और मोक्ष का रहस्य बताया गया है।
- यह ग्रंथ भक्ति की नौ अवस्थाओं और उनके महत्व को भी दर्शाता है।
Bhakti Rahasya – Complete Solution to Spiritual Questions
"Bhakti Rahasya" is a significant spiritual book that delves into the mysteries of devotion (bhakti), self-realization, and divine grace. It serves as a guide for seekers who wish to understand the true essence of devotion and find answers to their spiritual queries.
Main Themes of the Book
- It is designed for spiritual seekers looking for clarity on deep spiritual questions.
- The book explains Bhakti Yoga, divine grace, the qualities of a true devotee, self-realization, and the secret to attaining liberation (moksha).
- It elaborates on the nine stages of devotion (Navadha Bhakti) and their significance.