श्री भाई जी एक अलौकिक विभूति" — यह वाक्य एक आध्यात्मिक, दिव्य पुरुष की महिमा को दर्शाता है। नीचे इसका एक सुंदर वर्णनात्मक रूप हिंदी में प्रस्तुत है:
श्री भाई जी — एक अलौकिक विभूति
श्री भाई जी कोई साधारण मानव नहीं, बल्कि एक दिव्य चेतना के अवतार थे। उनका जीवन एक आध्यात्मिक प्रकाशस्तंभ की भांति रहा, जो न जाने कितने भटके हुए जीवों को सही मार्ग दिखाता रहा। उनका जन्म किसी साधारण उद्देश्य के लिए नहीं, बल्कि मानवता की सेवा और धर्म की पुनर्स्थापना के लिए हुआ था।
श्री भाई जी की वाणी में अद्भुत आकर्षण था। जब वे बोलते थे, तो ऐसा लगता था मानो स्वयं ब्रह्म की वाणी प्रवाहित हो रही हो। उनके शब्दों में शांति थी, उनके स्पर्श में करुणा, और उनके नेत्रों में गहराई थी, जो आत्मा को छू जाती थी।
वे साधना, सेवा और समर्पण की मूर्ति थे। उनका जीवन संयम, प्रेम और परोपकार की जीवंत मिसाल था। उन्होंने न केवल आध्यात्मिक ज्ञान दिया, बल्कि लोगों को उनके कर्म, धर्म और कर्तव्य का भी बोध कराया।
श्री भाई जी के दर्शन मात्र से ही हृदय निर्मल हो जाता था। उनके निकट आकर मनुष्य अपने भीतर की नकारात्मकता को भूल, एक नई ऊर्जा, आशा और आनंद का अनुभव करता था। उन्होंने किसी भी धर्म या पंथ के बंधनों से ऊपर उठकर मानवता को ही सर्वोच्च धर्म बताया।
उनकी अलौकिक शक्तियाँ किसी चमत्कार के प्रदर्शन के लिए नहीं थीं, बल्कि पीड़ित मानवता की सहायता के लिए थीं। चाहे रोग हो, दुःख हो या आध्यात्मिक संकट — श्री भाई जी की कृपा से सबका समाधान संभव था।
आज भी उनका स्मरण हृदय को शुद्ध करता है, उनकी शिक्षाएँ जीवन को दिशा देती हैं, और उनकी उपस्थिति उन श्रद्धालुओं के लिए जीवित है जो सच्चे मन से उन्हें स्मरण करते हैं।