• The River Sindhu also name as Indus River Originally started from Tibet and passes through Ladakh in India then it enter to POK and then passes through Pakistan. The maximum part of the river passes through Pakistan. It's a Holy river for Hindus according to Hindu mythology. Sindhu is one of holy river out of 7 holy river described in Puranas. The water is collected from Holy river Sindhu (Indus) at Ladakh. The water is not purified drinking water; it's raw water collected directly from the river and packed after normal filter. The water is for puja purpose only.
  • सरल दुर्गा सप्तशती  

    दुर्गा सप्तशती हिन्दू धर्मग्रंथ मार्कण्डेय पुराण का एक अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली भाग है, जिसमें देवी दुर्गा की महिमा, उनके युद्ध, और उनके द्वारा असुरों का संहार करने की कथा वर्णित है। यह ग्रंथ 700 श्लोकों (इसलिए इसे "सप्तशती" कहा जाता है) का संग्रह है और इसे चंडी पाठ भी कहा जाता है।


    🌸 सरल दुर्गा सप्तशती क्या है?

    सरल दुर्गा सप्तशती दुर्गा सप्तशती का ही एक सरल और आसान भाषा में रूपांतरित संस्करण है, जिसे आम लोग बिना किसी पंडित या विशेष विद्वान के सहायता के पढ़ और समझ सकें। इसमें कठिन संस्कृत श्लोकों की जगह सरल संस्कृत या हिंदी में अर्थ सहित पाठ होता है।


    🌟 मुख्य उद्देश्य


    📖 मुख्य कथाएँ

    सरल दुर्गा सप्तशती में तीन मुख्य देवी स्वरूपों की कथाएँ होती हैं:

    1. महाकालीमधु-कैटभ नामक असुरों का वध

    2. महालक्ष्मीमहिषासुर जैसे बलशाली राक्षस का संहार

    3. महालक्ष्मी (चंडी रूप में)शुंभ-निशुंभ, धूम्रलोचन आदि का विनाश


    🙏 सरल दुर्गा सप्तशती का महत्त्व

    • मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करती है

    • भय, शोक, रोग, शत्रु आदि से मुक्ति दिलाती है

    • साधक को आत्मविश्वास और आंतरिक ऊर्जा देती है

    • देवी की कृपा प्राप्त करने का सरल और प्रभावशाली माध्यम

  • "साधन-सुधा-निधि" पुस्तक उन दिव्य प्रवचनों और लेखों का संकलन है जो स्वामी रामसुखदास जी महाराज द्वारा दिए गए, किंतु पूर्व में प्रकाशित ग्रंथ "साधन-सुधा-सिंधु" में सम्मिलित नहीं हो पाए थे। यह पुस्तक वास्तव में साधकों के लिए एक अमूल्य निधि है, जिसमें आत्मिक साधना, व्यावहारिक धर्म, और भगवद्भक्ति की अमृत वर्षा है।


    🌼 मुख्य विषयवस्तु:

    • जीवन को साधना में कैसे बदलें — दिनचर्या से लेकर विचारों तक।

    • ईश्वर की ओर बढ़ने के मार्ग — शरणागति, नम्रता, श्रद्धा और भक्ति का महत्त्व।

    • मानव जीवन की सार्थकता — सत्संग, सेवा, त्याग और ध्यान के माध्यम से।

    • दैनंदिन संघर्षों में आत्मिक संतुलन — क्रोध, लोभ, मोह से मुक्त होने के उपाय।

    • शास्त्रों की सरल व्याख्या — गीता, उपनिषद और संतवाणी के आधार पर।


    🌷 पुस्तक की विशेषताएँ:

    • गूढ़ विषयों की अत्यंत सरल भाषा में व्याख्या

    • हर पृष्ठ साधकों के लिए एक दीपक के समान

    • प्रवचन शैली में आत्मीयता और प्रेरणा

    • पूर्ववर्ती ग्रंथ 'साधन-सुधा-सिंधु' के पूरक रूप में यह पुस्तक।


    🙏 यह पुस्तक किसके लिए उपयुक्त है:

    • जो आध्यात्मिक जीवन को व्यावहारिक जीवन में लाना चाहते हैं।

    • जो शुद्ध साधना के मार्ग पर चलना चाहते हैं।

    • गीता और रामसुखदास जी के भक्त व अनुयायी।

    • ईश्वर-प्राप्ति की सच्ची आकांक्षा रखने वाले साधक।


    "साधन-सुधा-निधि" वास्तव में एक ऐसी आध्यात्मिक संपत्ति है जो जीवन को परम उद्देश्य की ओर ले जाने वाली अमूल्य कुंजी प्रदान करती है। यह पुस्तक गीता प्रेस की उन अनुपम कृतियों में से है, जो हर साधक के पास होनी चाहिए।

  • "क्या करे क्या ना करे" को राजेंद्र कुमार धवन ने हिंदी में लिखा है। यह हिंदू धर्म पर एक किताब है। यह 20वीं संस्करण की हार्डकवर पुस्तक है जिसे 2016 में गीता प्रेस प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित किया गया था। यह 15 से 80 वर्ष की आयु के लिए अनुशंसित है।

    🕉️ पुस्तक का उद्देश्य:

    यह पुस्तक जीवन में सदाचरण, धार्मिकता, और नैतिकता के महत्व को सरल भाषा में स्पष्ट करती है। इसमें बताया गया है कि:

    • मनुष्य को किन बातों का पालन करना चाहिए (क्या करें) और

    • किन बातों से बचना चाहिए (क्या न करें)

    पुस्तक का मूल उद्देश्य पाठकों को एक संतुलित, सात्विक और धर्मसम्मत जीवन जीने की दिशा में प्रेरित करना है।


    🧘‍♂️ प्रमुख विषय-वस्तु:

    🔹 आचार-संहिता 

    • मन, वचन और कर्म से शुद्ध रहने की प्रेरणा

    • माता-पिता, गुरु, अतिथि, समाज और राष्ट्र के प्रति कर्तव्य

    🔹 क्या करें?

    • सत्य बोलना, दया करना, संयम रखना

    • प्रातःकाल उठना, स्नान, संध्या-वंदन, पूजा

    • समय का सदुपयोग, विद्या का सम्मान

    • संतों के साथ संगति, सत्संग, सेवा

    🔹 क्या न करें?

    • झूठ बोलना, क्रोध करना, चोरी, छल

    • निंदा, परनिंदा, ईर्ष्या, द्वेष

    • आलस्य, अपवित्र भोजन, व्यसन (नशा आदि)

    • शास्त्र-विरुद्ध आचरण

    🔹 जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के लिए मार्गदर्शन:

    • विद्यार्थी के लिए कर्तव्य

    • गृहस्थ के लिए नैतिकता

    • समाज में आचरण के नियम

    • आत्मिक उन्नति के उपाय


    🖼️ कवर चित्र की व्याख्या:

    कवर पर एक वृद्ध और तेजस्वी ऋषि को ध्यानपूर्वक लेखन करते हुए दिखाया गया है। यह छवि वैदिक युग के आचार्यों की है, जो धर्मशास्त्रों को लिपिबद्ध कर समाज को मार्गदर्शन देते थे। यह इस पुस्तक के विषय को सार्थक रूप से दर्शाता है: ज्ञान, अनुशासन और सदाचार।


    🌟 पुस्तक की विशेषताएँ:

    • अत्यंत सरल भाषा में जटिल विषयों की व्याख्या

    • व्यवहार में उतारे जा सकने योग्य प्रायोगिक ज्ञान

    • विशेष रूप से युवाओं, गृहस्थों और साधकों के लिए उपयोगी

    • नैतिक शिक्षा और धार्मिक अनुशासन का सामंजस्य


    🎯 यह पुस्तक क्यों पढ़ें?

    • जीवन में नैतिक और धार्मिक स्थिरता लाने के लिए

    • सही और गलत के बीच अंतर को समझने के लिए

    • आध्यात्मिक और सामाजिक दृष्टि से श्रेष्ठ बनने के लिए


    🔚 निष्कर्ष:

    "क्या करें, क्या न करें?" केवल एक पुस्तक नहीं है — यह एक आचार-संहिता, एक जीवन-मार्गदर्शिका है जो बताती है कि व्यक्ति किस प्रकार जीवन को धर्म, नैतिकता और संयम के आधार पर श्रेष्ठ बना सकता है। लेखक राजेन्द्र कुमार धवन ने इसे अत्यंत सरल और प्रभावशाली शैली में प्रस्तुत किया है, जिससे यह पुस्तक हर आयु वर्ग के लिए उपयोगी बन जाती है।

     
  • ‘महाभागा व्रज देवियाँ पूज्य श्री राधा बाबा जी द्वारा रचित एक दिव्य एवं भावपूर्ण ग्रंथ है, जिसमें ब्रज की गोपिकाओं, विशेषतः अष्ट महा सखियों (ललिता, विशाखा आदि) की अनुपम भक्ति, सेवा-भाव, त्याग और श्रीकृष्ण के प्रति उनकी पूर्ण समर्पित प्रेमाभक्ति का हृदयस्पर्शी वर्णन है।

    इस ग्रंथ में यह दर्शाया गया है कि ब्रज की गोपियाँ केवल रूपवती नहीं, अपितु भाववती, भक्ति में निष्णात, तथा अपने इष्ट श्रीकृष्ण के चरणों में पूर्ण रूप से समर्पित साधिकाएँ थीं। उनका प्रेम सांसारिक नहीं था, बल्कि आत्मा की परमात्मा के प्रति पुकार थी — जो सम्पूर्ण वेदों, यज्ञों और तपों से भी श्रेष्ठ था।


    🌸 मुख्य विषयवस्तु:

    • अष्ट सखियों की महिमा एवं उनका श्रीराधा-कृष्ण के साथ दिव्य लीलाओं में योगदान

    • गोपियों की निष्काम सेवा एवं अद्भुत समर्पण

    • ब्रज-जीवन की सात्विकता, सहजता और उसकी आध्यात्मिक ऊँचाई

    • प्रेम-भक्ति की सर्वोच्च अवस्था का विवेचन

    • श्रीकृष्ण और राधा रानी के प्रेम की रहस्यात्मक झलकियाँ


    उदाहरण स्वरूप भावपूर्ण अंश:

    "स्वामिन! बड़े-बड़े यज्ञ आपको अब तक तृप्त नहीं कर सके,
    परन्तु ब्रज की गोपिकाएँ धन्य हैं, जिनके बालक बनकर
    आपने उनके स्तनों से निसृत दुग्ध-सुधा का पान किया है।"

    यह पंक्ति स्पष्ट करती है कि ब्रज की गोपियों की निष्कलंक सेवा और वात्सल्य भावना कितनी ऊँची थी कि स्वयं श्रीकृष्ण को भी वह अधिक प्रिय लगीं, जो उन्हें वैदिक यज्ञों में प्राप्त नहीं हुईं।

    श्री राधा बाबा (स्वामी चक्रधर जी महाराज) गीता वाटिका, गोरखपुर के दिव्य संत थे। उनका सम्पूर्ण जीवन श्रीराधा के माधुर्य-भक्ति में लीन रहा। उनकी वाणी में रस, करुणा और सच्ची भक्ति की धारा बहती थी। उनके द्वारा रचित अन्य ग्रंथों में महाभाग गोपियाँ, गिरिराज गुंजन, श्री केलिकुंज लीला आदि प्रमुख हैं।

  • "अन्तरंग-वार्तालाप" एक अत्यंत भावपूर्ण और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसमें रस-सिद्ध संत श्रीभगवानप्रसादजी ‘पोषक’ के दुर्लभ पत्र, आत्मीय संवाद और रहस्यात्मक वार्तालापों का संग्रह प्रस्तुत किया गया है। यह पुस्तक किसी साधारण संवाद-संग्रह नहीं, बल्कि संत के हृदय में गूंजती हुई प्रभु-भक्ति की ध्वनि है, जो उनके प्रियजनों, शिष्यों एवं भक्तों के माध्यम से हम तक पहुँची है।

    इस ग्रंथ का संकलन श्यामसुंदर दुजारी जी ने अत्यंत श्रद्धा और निष्ठा से किया है, जिसमें भाईजी श्री हनुमानप्रसाद पोद्दार की भूमिका पुस्तक को विशेष गरिमा प्रदान करती है। भाईजी स्वयं एक महात्मा, लेखक, और गीताप्रेस के संस्थापक संपादक रहे हैं। उन्होंने ‘पोषक’ जी के अंतरंग भावों और उच्च आध्यात्मिक स्थिति की सराहना करते हुए इस संकलन को प्रत्येक साधक के लिए उपयोगी और प्रेरणास्पद बताया है।


    🪔 मुख्य विशेषताएँ:

    1. श्री ‘पोषक’ जी के दुर्लभ पत्र:
      जिनमें वे अपने आत्मीय भक्तों से संवाद करते हैं — ये पत्र न केवल स्नेहपूर्ण होते हैं, बल्कि उनमें आध्यात्मिक मार्गदर्शन, रसिकता और भगवद्भाव से ओतप्रोत बातें होती हैं।

    2. भावमयी वार्तालाप:
      यह वार्तालाप साधारण प्रश्नोत्तर नहीं, बल्कि गुरु-शिष्य या आत्मीयों के बीच हृदय की बातें हैं — जिनमें भक्ति, वैराग्य, सेवा, विनय, और रस-तत्व जैसे विषय सहज रूप से प्रकट होते हैं।

    3. गूढ़ आध्यात्मिक संकेत:
      ‘पोषक’ जी के कथन अक्सर प्रतीकों में होते हैं — साधकों को उन संकेतों का मनन करना होता है, जिससे वे गहराई तक पहुँच सकें।

    4. रसिक मार्गदर्शन:
      श्रीराधा-कृष्ण की रसमयी उपासना में किस प्रकार प्रेम, विरह, लीनता और सेवा के भाव विकसित हों — इस पर गहन मार्गदर्शन।

    5. संत-वाणी का अद्भुत संग्रह:
      यह पुस्तक एक प्रकार से संत-विचारों का जीवंत संग्रहालय है, जहाँ पाठक सीधे संत के मनोभावों को महसूस कर सकते हैं।


    🌸 पाठकों के लिए उपयोगिता:

    • यह पुस्तक उन साधकों के लिए अत्यंत उपयोगी है जो अभ्यंतर साधना, अंतरंग भक्ति, और रस-संपन्न जीवन की खोज में हैं।

    • इसमें ऐसी बातें हैं जो न तो प्रवचनों में आती हैं, न ही सार्वजनिक सत्संगों में — बल्कि वे बातें हैं जो संत अपने अत्यंत प्रियजनों से गोपनीय रूप में करते हैं।

    • इसका पाठ मन को शांत, हृदय को भावमय, और चिंतन को गहरा बनाता है।


      "अन्तरंग-वार्तालाप" केवल पढ़ने योग्य नहीं, बल्कि आत्मा को छू लेने वाला अनुभव है — जो संतों के सच्चे सान्निध्य की झलक देता है।

  • "साधकों के पत्र" महान आध्यात्मिक साधक, विचारक और गीताप्रेस के संस्थापक-प्रेरक श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार द्वारा लिखित वह अनुपम संकलन है, जिसमें उन्होंने विभिन्न साधकों, जिज्ञासुओं, भक्तों और जीवन की दिशा खोजने वाले लोगों को अपने पत्रों के माध्यम से आध्यात्मिक, नैतिक और व्यावहारिक मार्गदर्शन दिया है।

    इन पत्रों में न तो उपदेश है, न कोई अहं — यह एक सच्चे आत्मज्ञानी की आत्मीयता, करुणा और अनुभव का सहज प्रवाह है।


    ✉️ पुस्तक की विशेषताएँ:

    1. वास्तविक जीवन के प्रश्नों के उत्तर:
      ये पत्र हनुमान प्रसाद जी को विभिन्न साधकों ने लिखे थे — जैसे:

      • "मैं घर में रहते हुए ईश्वर-भजन कैसे करूँ?"

      • "मन बहुत चंचल है, साधना में कैसे लगाऊँ?"

      • "गृहस्थ धर्म निभाते हुए मोक्ष की दिशा कैसे अपनाऊँ?"

      • "क्या भक्ति और ज्ञान एक साथ चल सकते हैं?"
        इन जैसे सैकड़ों प्रश्नों के उत्तर अत्यंत सरल, गहराई से और अनुभवपूर्ण रूप में इन पत्रों में दिए गए हैं।

    2. गंभीर विषयों की सरल व्याख्या:
      आत्मा, परमात्मा, माया, भक्ति, साधना, सेवा, व्रत, संकल्प, मानसिक स्थिति, वैराग्य, परिवार में रहते हुए साधना — इन विषयों पर लेखक ने अत्यंत सहज भाषा में अत्यधिक प्रभावशाली विचार प्रस्तुत किए हैं।

    3. सामान्य जीवन को आध्यात्मिक बनाना:
      यह पुस्तक दिखाती है कि केवल जंगलों या मठों में रहकर नहीं, बल्कि परिवार, व्यापार और समाज में रहते हुए भी हम पूर्ण साधना और ईश्वर प्राप्ति की ओर अग्रसर हो सकते हैं।

    4. लेखन शैली:
      लेखक की शैली अत्यंत आत्मीय, करुणामय और व्यावहारिक है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे कोई बड़े-बुजुर्ग स्नेहपूर्वक आपका मार्गदर्शन कर रहे हों।


     

    श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार जी (भाईजी) केवल एक लेखक नहीं, बल्कि आधुनिक भारत के सबसे बड़े धर्मप्रचारकों में से एक थे। उन्होंने कल्याण पत्रिका के माध्यम से लाखों लोगों को आध्यात्मिकता की राह दिखाई। उनका जीवन स्वयं भक्ति, सेवा, साधना और त्याग का प्रतिमान था।


    🌿 पुस्तक का उद्देश्य:

    • साधकों की शंकाओं का समाधान करना

    • जीवन को ईश्वर-केन्द्रित बनाना

    • गृहस्थों के लिए भी साधना का मार्ग प्रशस्त करना

    • आत्मिक शांति व उन्नति के लिए यथार्थ मार्ग बताना


    🪔 पाठकों के लिए विशेष सन्देश:

    "साधकों के पत्र" एक ऐसी पुस्तक है जिसे आप एक बार नहीं, बार-बार पढ़ेंगे — हर बार नई प्रेरणा, नई दृष्टि और नई शांति मिलेगी। यह साधना-पथ पर चलने वालों के लिए एक अमूल्य पाथेय है।

  • ‘ब्रज-भक्तमाल (प्रथम भाग) एक अद्भुत एवं भावपूर्ण ग्रंथ है, जिसमें ब्रजभूमि के महान संतों, भक्तों और रसमय साधकों की जीवनगाथाएँ, भक्ति की घटनाएँ और आध्यात्मिक लीलाएँ प्रस्तुत की गई हैं। यह ग्रंथ व्याख्या सहित प्रकाशित किया गया है, जिससे प्रत्येक पाठक गूढ़ भक्तिपूर्ण प्रसंगों को सहजता से समझ सके।

    इस पुस्तक का उद्देश्य केवल कथा-वाचन नहीं, बल्कि पाठक के अंत:करण में शुद्ध भक्ति, राधा-कृष्ण प्रेम और ब्रज के संतों के आदर्शों को जाग्रत करना है।


    🌼 मुख्य विशेषताएँ:

    • ब्रज के प्रमुख भक्तों की जीवनियाँ: जैसे श्रीहित हरिवंश जी, श्रीलालिता सखी, श्रीरासखान, श्रीहरिदास जी, श्रीविट्ठलनाथ जी, श्रीमीराबाई, श्रीसनातन गोस्वामी, श्रीरघुनाथ दास आदि।

    • काव्यात्मक शैली में रचना: मूल रचना पद्य में है और उसके साथ सरल एवं भावयुक्त हिंदी व्याख्या दी गई है।

    • भक्ति रस से परिपूर्ण प्रसंग: राधा-कृष्ण की लीलाओं में डूबे संतों की भक्ति की गाथाएँ, जो हृदय को भक्ति और प्रेम से भर देती हैं।

    • संस्कृति, समर्पण और साधना का संगम: यह ग्रंथ न केवल ऐतिहासिक जानकारी देता है, बल्कि अध्यात्म और संस्कृति का सजीव परिचय कराता है।


    ✨ उपयोगिता:

    यह पुस्तक उन लोगों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है—

    • जो ब्रज-संस्कृति और संत परंपरा को जानना चाहते हैं।

    • जो भक्ति के आदर्शों को जीवन में अपनाना चाहते हैं।

    • जो भक्ति-रस में डूबे हुए संतों की लीलाओं से प्रेरणा लेना चाहते हैं।

    • जिनके हृदय में श्रीराधा-कृष्ण की सेवा और स्मरण की भावना है।


    🕉️ लेखक परिचय:

    भक्तमाल दास ‘भक्तमाली’ जी एक वरिष्ठ और अनुभवी भक्ति-ग्रंथ व्याख्याकार हैं, जिन्होंने इस ग्रंथ में पदों की सुबोध व्याख्या के माध्यम से इसे हर वर्ग के पाठक के लिए उपयोगी बना दिया है। उनका उद्देश्य केवल ग्रंथ का पठन नहीं, बल्कि जीवन में भक्ति का जागरण है।


    📚 निष्कर्ष:

    ‘ब्रज-भक्तमाल’ न केवल भक्तों की जीवनगाथाओं का संग्रह है, बल्कि यह भक्ति की जीती-जागती धारा है, जो पाठक के अंत:करण को श्रीराधा-कृष्ण प्रेम से सराबोर कर देती है। यह ग्रंथ एक ऐसा पथप्रदर्शक है जो भक्ति, समर्पण और सेवा के पथ पर ले जाता है।

  • "केलि-कुंज" एक भक्तिमय और आध्यात्मिक ग्रंथ है जो श्री राधा-कृष्ण की लीलाओं, प्रेम और भक्ति को केंद्र में रखकर लिखा गया है। इस पुस्तक में राधा-कृष्ण के मधुर मिलन, उनकी दिव्य लीलाओं और ब्रज की भावभूमि का अत्यंत सुंदर और रसपूर्ण वर्णन किया गया है।

    लेखक राधा बाबा ने इसे एक ऐसे रसिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया है जो साधकों को भक्ति और प्रेम की उच्चतम अवस्थाओं की ओर प्रेरित करता है। इसमें भक्तिरस, माधुर्यभाव, लीलाचिंतन और रसराज श्रीकृष्ण की सखाओं-सखियों के संग का गहन वर्णन है।

    मुख्य विषय-वस्तु:

    1. राधा-कृष्ण की मधुर लीलाएँ: पुस्तक में राधा और कृष्ण की विभिन्न रास लीलाओं का सुंदर और सरस वर्णन है। इन लीलाओं के माध्यम से भगवान के सौंदर्य, उनकी कोमलता और प्रेम के गूढ़ रहस्यों को उजागर किया गया है।

    2. भाव-साधना और रसराज कृष्ण: यह पुस्तक केवल कथा नहीं है, बल्कि एक साधना-पथ है। इसमें भाव-भक्ति की उन ऊँचाइयों का वर्णन है जहाँ साधक स्वयं को लीलाओं में उपस्थित पाता है। ‘रसराज’ कृष्ण का निरूपण अत्यंत रसयुक्त भाषा में हुआ है।

    3. ब्रज संस्कृति और गोपियों की भक्ति: ग्रंथ में ब्रज की संस्कृति, वहाँ की गोपियाँ, उनकी सेवा-भावना और निश्छल प्रेम को अत्यंत भावुक रूप में चित्रित किया गया है। प्रत्येक गोपी की भक्ति का अपना विशेष रंग और स्वरूप है, जिन्हें लेखक ने अत्यंत गहराई से प्रस्तुत किया है।

    4. सेवा, विनय और समर्पण: केलि-कुंज केवल प्रेम या सौंदर्य की बात नहीं करता, यह सेवा और समर्पण की भी पराकाष्ठा दिखाता है। लेखक बताता है कि ब्रज में प्रेम का वास्तविक रूप केवल पाने का नहीं, अपितु खो देने का है — स्वयं को राधा-कृष्ण की सेवा में विलीन कर देना ही सच्चा प्रेम है।


    भाषा और शैली:

    लेखक राधा बाबा की लेखनी अत्यंत भावप्रवण, मधुर एवं रसयुक्त है। शुद्ध हिंदी और ब्रज भाषा के सुंदर संगम से यह पुस्तक एक काव्यात्मक आनंद देती है। शब्दों में ऐसा माधुर्य है कि पाठक न केवल पढ़ता है, बल्कि भावविभोर होकर अनुभव करता है।


    किनके लिए उपयुक्त है यह पुस्तक:

    • भक्ति और रसोपासना में रुचि रखने वाले साधक

    • राधा-कृष्ण के प्रति प्रेम और श्रद्धा रखने वाले भक्त

    • ब्रज लीला और भाव-साधना में रुचि रखने वाले जिज्ञासु

    • भक्ति साहित्य पढ़ने वाले अध्येता

    • आध्यात्मिक चेतना की ओर उन्मुख साधक


    निष्कर्ष:

    "केलि-कुंज" एक ऐसी आध्यात्मिक निधि है जो केवल पढ़ने के लिए नहीं, अपितु आत्मा से अनुभूत करने के लिए है। यह पुस्तक पाठक को राधा-कृष्ण के दिव्य प्रेम-सागर में डुबो देती है और उसे उस कुंज तक पहुँचा देती है जहाँ भक्ति, प्रेम और सेवा का अमृत सतत प्रवाहित हो रहा है।

    यदि आप अध्यात्म, भक्ति और प्रेम की सच्ची अनुभूति करना चाहते हैं — तो "केलि-कुंज" आपके हृदय को गहराई से छूने वाला एक अनुपम ग्रंथ है।

  • "तीस रोचक कथाएँ" गीता प्रेस, गोरखपुर द्वारा प्रकाशित एक प्रसिद्ध पुस्तक है, जिसमें तीस शिक्षाप्रद और रोचक कथाएँ संकलित हैं। यह पुस्तक धार्मिक, नैतिक और प्रेरणादायक प्रसंगों पर आधारित है, जो व्यक्ति के जीवन को सही दिशा देने में सहायक होती हैं।

    पुस्तक की विशेषताएँ:

    1. संस्कृति और नैतिकता का संदेश – इसमें ऐसे प्रसंग दिए गए हैं जो धर्म, सत्य, भक्ति, त्याग और परोपकार की शिक्षा देते हैं।
    2. सरल भाषा – यह पुस्तक आसान हिंदी में लिखी गई है, जिससे बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी इसे आसानी से समझ सकते हैं।
    3. संस्कारों पर जोर – यह कथाएँ संस्कार, धर्म और जीवन मूल्यों को विकसित करने में सहायक हैं।
    4. धार्मिक और ऐतिहासिक प्रेरणाएँ – इसमें पुराणों, महाभारत, रामायण और अन्य ग्रंथों से प्रेरित कहानियाँ शामिल हैं।

    "Tees Rochak Kathayen" (translated as "Thirty Interesting Stories") is a popular book published by Gita Press, Gorakhpur. It contains thirty inspiring and moralistic stories derived from Hindu scriptures, Puranas, and historical accounts.

    Features of the Book:

    • The book presents engaging and thought-provoking stories that convey essential life lessons.
    • Written in simple Hindi, making it easy to understand for readers of all ages.
    • Each story focuses on moral values, devotion, duty, truth, and righteousness.
    • Ideal for children, youth, and adults, as it provides wisdom through engaging narratives.
  • "गिरिराज गुंजन" एक अत्यंत भावपूर्ण और रससिक्त ग्रंथ है, जो श्री राधा बाबा की श्री गिरिराज जी के प्रति अनन्य भक्ति, प्रेम और आंतरिक तल्लीनता का सजीव दस्तावेज़ है। यह ग्रंथ श्री राधेश्याम बांका द्वारा संकलित एवं प्रस्तुत किया गया है, जो राधा बाबा के परम भक्त एवं जीवनी लेखक हैं।

    यह पुस्तक उन भक्ति-पदों, वंदनाओं, और गीतों का संग्रह है, जो श्री राधा बाबा गिरिराज जी की परिक्रमा के समय गाया करते थे या जिनका गान उनके साथ रहने वाले साधक किया करते थे। इन पदों से न केवल गिरिराज जी की महिमा प्रकट होती है, बल्कि राधा बाबा के व्रज-भाव, गोपी-प्रेम, और रसराज श्रीकृष्ण के प्रति आत्मसमर्पण की झलक भी प्राप्त होती है।


    📖 विषयवस्तु एवं भावधारा:

    • यह ग्रंथ श्री गिरिराज जी की महिमा का निरंतर गुंजन है — इसलिए इसका नाम भी "गिरिराज गुंजन" रखा गया है।

    • इसमें वर्णित पद विरह, विनय, माधुर्य और करुणा से ओत-प्रोत हैं, जो साधक के हृदय को भक्ति से भर देते हैं।

    • पुस्तक में कई पद शृंगार-रसिक भक्ति परंपरा के हैं, जिनमें स्वामिनी राधिका के प्रति पूर्ण समर्पण भाव देखने को मिलता है।

    • हर पद, हर छंद एक आत्मा की पुकार है — "हे गिरिराज! मुझे अपने चरणों में रख लो, मुझे वृंदावन का कण-कण प्रिय है, मुझे केवल सेवा का अवसर चाहिए।"

    • इस ग्रंथ का अध्ययन करने से यह अनुभव होता है कि भक्ति केवल बाहरी आडंबर नहीं, वरन् एक आंतरिक ज्वाला है, जो गिरिराज महाराज की छाया में शांत और पूर्ण होती है।


    🌿 श्री राधा बाबा की छाया में:

    श्री राधा बाबा एक अद्वितीय रसिक संत थे, जिनका जीवन स्वामिनी राधिका और श्रीकृष्ण के प्रेम में पूर्णत: निमग्न था। उनका समस्त जीवन व्रजभावना, दैन्य, विनय और सेवा की जीवंत मूर्ति था।

    • वे गिरिराज जी की परिक्रमा अत्यंत श्रद्धा और प्रेम से करते थे।

    • यह पुस्तक उसी परिक्रमा लीलाओं, गायन, और अनुभवों का संग्रह है।


    🛕 आध्यात्मिक लाभ:

    • गिरिराज गुंजन उन साधकों के लिए अमूल्य निधि है जो व्रजभक्ति के सूक्ष्मतम रस का अनुभव करना चाहते हैं।

    • यह ग्रंथ परिक्रमा करने वालों, गिरिराज जी के उपासकों, और श्रीराधा-कृष्ण के प्रेमी साधकों के लिए एक मार्गदर्शक और सहचर है।

    • इस पुस्तक को पढ़ते हुए साधक मानसिक रूप से स्वयं को गोवर्धन के उस पवित्र परिवेश में उपस्थित अनुभव करता है, जहाँ बाबा के चरणों से प्रेम की गंगा बह रही हो।



    🪔 निष्कर्ष:

    "गिरिराज गुंजन" केवल एक भक्ति संग्रह नहीं है — यह एक अनुभव है, एक जीवंत रस यात्रा है, एक अनुपम काव्यात्मक साधना है, जो श्री गिरिराज महाराज और श्री राधा बाबा की कृपा से हमारे जीवन में भक्ति का नवप्रकाश भर सकती है।

  • "जय जय प्रियतम" श्री राधा बाबा द्वारा रचित एक अद्वितीय आध्यात्मिक काव्य संग्रह है, जो ब्रज रस, राधा-कृष्ण प्रेम और महाभाव की गहराइयों में डूबा हुआ है। यह ग्रंथ न केवल एक साहित्यिक कृति है, बल्कि एक साधक के हृदय की गूढ़ अनुभूतियों का प्रतिबिंब भी है।

    इस पुस्तक में राधा बाबा ने अपने आत्मानुभवों, भक्ति भावनाओं और ब्रज की लीलाओं को काव्यात्मक रूप में प्रस्तुत किया है, जिससे पाठक ब्रजभूमि की आध्यात्मिकता और रसमयता का अनुभव कर सकते हैं।


    मुख्य विशेषताएँ:

    • भक्ति रस से परिपूर्ण: पुस्तक में राधा-कृष्ण की लीलाओं, प्रेम और विरह की भावनाओं का सुंदर चित्रण है।

    • काव्यात्मक शैली: श्री राधा बाबा की लेखनी में ब्रज भाषा की मिठास और आध्यात्मिकता का संगम है।

    • साधकों के लिए मार्गदर्शक: यह ग्रंथ भक्ति मार्ग के साधकों को गहन अनुभूतियों और साधना के मार्ग पर प्रेरित करता है                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                         📖 पुस्तक की विषयवस्तु:

    • राधा-कृष्ण की लीलाओं का वर्णन: ब्रजभूमि में घटित लीलाओं का काव्यात्मक चित्रण।

    • विरह और मिलन की भावनाएँ: प्रेम में विरह की पीड़ा और मिलन की आनंदमयी अनुभूतियाँ।

    • साधना और भक्ति का मार्ग: एक साधक के दृष्टिकोण से भक्ति मार्ग की व्याख्या।                                                                                                                                       

      यह पुस्तक उन सभी पाठकों के लिए अत्यंत उपयोगी है जो:

      • राधा-कृष्ण की लीलाओं और ब्रज रस में रुचि रखते हैं।

      • भक्ति मार्ग के साधक हैं और गहन अनुभूतियों की तलाश में हैं।

      • काव्यात्मक शैली में आध्यात्मिकता का अनुभव करना चाहते हैं।

  • हिन्दू धर्म में विवाह युवक-युवतियों को तब दिया जाता है, जब शारीरिक, मानसिक परिपक्वता परिवार निर्माण की जिम्मेदारी लेने में सक्षम हो जाती है। भारतीय संस्कृति के अनुसार, विवाह केवल शारीरिक या सामाजिक समझौते नहीं हैं, यहाँ जोड़े को एक श्रेष्ठ आध्यात्मिक साधना का रूप दिया गया है। इसलिए कहा जाता है 'धन्य गृह-भवन:'
  • "अभिलाषामृत" एक गहन भावनात्मक एवं भक्ति से ओत-प्रोत ग्रंथ है, जिसे परम श्रद्धेय श्री राधेश्याम बांका जी ने रचा है। यह ग्रंथ श्रीकृष्ण प्राप्ति की तीव्रतम अभिलाषा को केंद्र में रखकर लिखा गया है, जहाँ एक साधक की अंतरतम व्याकुलता और तड़प को अत्यंत सरस एवं हृदयस्पर्शी शैली में व्यक्त किया गया है।

    मुख्य विशेषताएँ:

    • यह पुस्तक वृंदावन रसिक वाणी और गीताप्रेस गोरखपुर के सहयोग से प्रकाशित की गई है।

    • "अभिलाषामृत" में एक साधक की भगवान श्रीकृष्ण की साक्षात् प्राप्ति हेतु हृदय से उठती गहन पुकार को दर्शाया गया है।

    • पुस्तक में राधा बाबा, हनुमान प्रसाद पोद्दार जी, एवं अन्य महापुरुषों के जीवन और भक्ति की झलकियाँ भी मिलती हैं, जो साधकों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं।

    • यह ग्रंथ भावप्रधान भक्ति मार्ग का उत्तम उदाहरण है, जो साधक को आत्मचिंतन, अनुराग और समर्पण की ओर प्रेरित करता है।

    श्री राधेश्याम बांका जी एक अत्यंत श्रद्धेय और भावमय लेखक हैं, जिन्होंने कई भक्तिमय ग्रंथों की रचना की है। उनकी लेखनी में श्रृंगार-रसिक भक्ति, महापुरुषों की जीवनगाथा, और शुद्ध हृदय से ईश्वर की प्राप्ति की उत्कंठा देखने को मिलती है।

    उनके अन्य प्रमुख ग्रंथ:

    • प्रियतम सौरभ – राधा बाबा की कविताओं पर आधारित विस्तृत व्याख्या (3 खंडों में)

    • प्रीति रसावतार महाभावनिमग्न श्री राधा बाबा – दो भागों में प्रकाशित, राधा बाबा की जीवनी

    • परिकर माला – पाँच खंडों में, हनुमान प्रसाद पोद्दार जी आदि भक्तों का जीवन

    निष्कर्ष:

    "अभिलाषामृत" एक ऐसा आध्यात्मिक रत्न है जो भक्तों को श्रीकृष्ण की निष्काम भक्ति और पूर्ण समर्पण की अनुभूति कराता है। यह उन सभी साधकों के लिए अनमोल है, जो आध्यात्मिक पथ पर प्रेम, भक्ति और विरह के माध्यम से आगे बढ़ना चाहते हैं।

  • "आस्तिकता की आधार-शिलाएँ" श्रद्धेय श्री राधा बाबा द्वारा रचित एक अत्यंत प्रेरणादायक और आध्यात्मिक ग्रंथ है, जिसमें आस्तिक जीवन के मूलभूत सिद्धांतों का गहन विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। यह पुस्तक उन साधकों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जो भक्ति, आत्मचिंतन और नैतिक मूल्यों के आधार पर जीवन को समृद्ध बनाना चाहते हैं।



    🌿 विषयवस्तु एवं विशेषताएँ:

    इस ग्रंथ में श्री राधा बाबा ने आस्तिकता के विभिन्न पहलुओं को सरल और प्रभावशाली भाषा में प्रस्तुत किया है। पुस्तक में निम्नलिखित विषयों पर विशेष रूप से प्रकाश डाला गया है:

    • भक्ति और श्रद्धा: ईश्वर में अटूट विश्वास और समर्पण की भावना।

    • नैतिक मूल्य: सत्य, अहिंसा, करुणा और संयम जैसे गुणों का महत्व।

    • आत्मचिंतन: स्वयं के भीतर झांकने और आत्मा की शुद्धता की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा।

    • संतों का संग: सज्जनों और संतों के संगति का महत्व और उससे प्राप्त होने वाले लाभ।

    पुस्तक में "व्रजलीला में गाय" नामक एक अन्य रचना भी समाहित है, जो व्रजभूमि की लीलाओं और गायों के प्रति प्रेम को दर्शाती है।


    📚 पुस्तक का महत्व:

    "आस्तिकता की आधार-शिलाएँ" केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है, बल्कि यह एक जीवनदर्शन है जो पाठकों को आध्यात्मिक उन्नति की ओर प्रेरित करता है। यह पुस्तक उन सभी के लिए उपयोगी है जो जीवन में शांति, संतोष और ईश्वर के प्रति समर्पण की भावना को विकसित करना चाहते हैं।

  • प्रश्नोत्तरमणिमाला एक अद्भुत आध्यात्मिक ग्रंथ है, जिसमें जीवन, धर्म, आचरण, भक्ति, ज्ञान, मोक्ष, संसार और ईश्वर से संबंधित गूढ़ विषयों को प्रश्नोत्तर शैली में सरल एवं सहज भाषा में प्रस्तुत किया गया है। इस पुस्तक की विशेषता यह है कि जिज्ञासु पाठकों के मन में उत्पन्न होने वाले सामान्य से लेकर गहरे आध्यात्मिक प्रश्नों के उत्तर संत स्वामी रामसुखदासजी ने शास्त्रसम्मत, तर्कयुक्त तथा अनुभवसिद्ध ढंग से दिए हैं।


    🪔 प्रमुख विषयवस्तु और प्रश्नों के प्रकार:

    • जीवन का उद्देश्य क्या है?

    • आत्मा और शरीर में क्या अंतर है?

    • माया क्या है? इसकी पकड़ से कैसे छूटें?

    • भगवान को कैसे जानें और पाएं?

    • कर्म और अकर्म का वास्तविक ज्ञान क्या है?

    • भक्ति, ज्ञान और योग में श्रेष्ठ क्या है?

    • सच्चा साधक कौन होता है?

    • वैराग्य कैसे प्राप्त हो?

    • मुक्ति का स्वरूप क्या है?

    • क्या गृहस्थ जीवन में रहते हुए मोक्ष संभव है?

    • अहंकार का शमन कैसे हो?

    • शास्त्र का क्या महत्व है?

    • गुरु की आवश्यकता क्यों है?

    इन जैसे सैकड़ों गूढ़ प्रश्नों के उत्तर स्वामीजी ने अत्यंत सूक्ष्मता, गहराई और सरलता से दिए हैं। कहीं पर वे वेदांत की ऊँचाई पर ले जाते हैं, तो कहीं भक्तियोग की मधुरता में भीगा हुआ समाधान देते हैं।


    🌿 शैली और भाषा:

    स्वामी रामसुखदास जी की शैली अत्यंत सहज, संवादात्मक और हृदयस्पर्शी है। वे कठोर शास्त्रीय भाषा का प्रयोग नहीं करते, बल्कि आमजन की भाषा में अत्यंत ऊँचे आध्यात्मिक सत्य कह जाते हैं। उनकी भाषा में न तो दिखावा है, न शुष्क तर्क। वह पूरी तरह अनुभूतिजन्य, शास्त्रप्रमाणित और सच्चे साधक के अनुभवों से संचित होती है।


    🧘‍♀️ पाठक को क्या लाभ मिलेगा?

    • यह पुस्तक आध्यात्मिक मार्गदर्शन देने वाली है।

    • आत्मा, परमात्मा और संसार के रहस्यों को स्पष्ट करती है।

    • मानसिक शांति, वैराग्य, साधना और आत्मचिंतन की दिशा देती है।

    • जो गीता, उपनिषद, या वेदांत से जुड़े गूढ़ विषय नहीं समझ पाते, उनके लिए यह पुस्तक एक सरल प्रवेश द्वार है।

    • गृहस्थ, साधक, छात्र, वृद्ध – हर वर्ग के पाठक इससे लाभान्वित हो सकते हैं।


    📜 उदाहरण रूप में एक प्रश्न:

    प्रश्न: "भगवान तो सर्वत्र हैं, फिर हम उन्हें देख क्यों नहीं पाते?"
    उत्तर: “सूर्य सामने है, पर यदि आंख पर पट्टी बंधी हो तो वह दिखाई नहीं देता। वैसे ही भगवान तो हमारे अंतःकरण में ही हैं, पर माया की पट्टी हमारी दृष्टि को ढक देती है। जब यह पट्टी हटेगी, तो भगवान के दर्शन स्वतः होंगे।”


    🔚 निष्कर्ष:

    "प्रश्नोत्तरमणिमाला" एक मणिमाला की तरह है – हर प्रश्न एक चमकता हुआ मोती है और हर उत्तर एक ज्ञानमयी रत्न। यह न केवल जिज्ञासाओं का समाधान करती है, बल्कि जीवन को दिशा देने वाला एक गहरा साधन बनती है। यह पुस्तक पढ़ने मात्र से ही वैराग्य, भक्ति और आत्मबोध का बीज अंकुरित होता है।

  • "श्री राधा चरितामृत" एक भक्तिमय ग्रंथ है जो राधा रानी की लीलाओं, गुणों और महिमा का सुंदर वर्णन करता है। यह ग्रंथ विशेष रूप से गौड़ीय वैष्णव परंपरा में अत्यंत पूजनीय है और श्रीमद्भागवत, राधा रस सुद्ध निधि, राधा रसायन, आदि रसिक ग्रंथों की भांति इसका स्थान भी विशेष माना जाता है।

    श्री राधा चरितामृत  

    लेखक: रसराज रसिक संत (कुछ संस्करणों में श्री हित हरिवंश महाप्रभु या रसिक संतों को माना जाता है)
    भाषा: ब्रजभाषा या संस्कृत (कुछ संस्करण हिंदी में भी अनुवादित हैं)
    विषय: श्री राधा रानी का जीवन, लीलाएँ, सौंदर्य, प्रेम, और कृष्ण के साथ उनका दिव्य प्रेम संबंध।


    मुख्य विषय-वस्तु:

    1. श्री राधा का प्राकट्य (जन्म कथा):
      वृंदावन की पावन भूमि पर श्री राधा रानी के अवतरण की कथा, जो श्री वृषभानु जी के घर में हुआ। यह भाग भक्तों के हृदय को प्रेमरस में डुबो देता है।

    2. बाल लीलाएँ:
      श्री राधा रानी की बाल्यकाल की मधुर लीलाओं का वर्णन — जैसे रसोई की लीला, सखियों के साथ क्रीड़ा, आदि।

    3. रास लीला और प्रेम लीला:
      श्रीकृष्ण और श्री राधा रानी के दिव्य मिलन और रास लीला का वर्णन, जिसमें राधा रानी की अधिष्ठात्री रूप में महिमा प्रकट होती है।

    4. उद्धव संवाद एवं राधा की महिमा:
      उद्धव जी के वृंदावन आगमन पर गोपियों विशेषतः श्री राधा का अद्वितीय प्रेम और तत्त्वज्ञान।

    5. राधा रानी का स्वरूप वर्णन:
      उनके रूप, गुण, भाव, माधुर्य और वात्सल्य का अत्यंत सुंदर वर्णन।


    शैली और भाषा:

  • The water at Yamunotri, considered the source of the holy Yamuna River, holds significant spiritual importance in Hinduism. Bathing in these waters is believed to cleanse sins and protect from untimely death, especially given that Yamuna is the sister of Yama, the god of death. The water is also linked to blessings from the Sun God and the Goddess of Consciousness, as Yamuna is their daughter in Hindu mythology. 
    Key Aspects of the Water's Significance:
    • Purity and Liberation:
      A bath in the Yamuna River, originating from Yamunotri, is believed to purify the soul and wash away sins, leading to spiritual liberation. 
    • Protection from Yama:
      Yamuna is the sister of Yama, and bathing in her waters is believed to offer protection from untimely death and the fear of Yama's realm. 
    • Connection to the Sun God:
      As the daughter of Surya Dev (the Sun God), Goddess Yamuna is believed to be connected to the sun, and bathing in her waters is considered a form of worship to the Sun God. 
    • Spiritual Upliftment:
      The sacred waters of Yamunotri are believed to offer a sense of spiritual upliftment and well-being to devotees, fostering a connection with the divine. 
    • Mythological Significance:
      The waters are deeply rooted in Hindu mythology, with various stories and legends surrounding the Yamuna River and her connection to Yama, Surya Dev, and other deities. 
    In addition to its spiritual significance, Yamunotri is also known for its scenic beauty and unique cultural aspects. The temple and its surroundings offer a blend of nature, spirituality, and culture, attracting both pilgrims and nature lovers. 
  • ज (या वृंदावन क्षेत्र) की भक्ति-गीत परंपरा अत्यंत समृद्ध और भावपूर्ण है। यहाँ पर मुख्य रूप से श्रीकृष्ण की लीलाओं, राधा-कृष्ण प्रेम, और गोपियों के साथ उनके रासलीला का वर्णन मिलता है। इन भक्ति गीतों को ब्रज भाषा में लिखा गया है और इनका गान मुख्यतः भजन, कीर्तन और रसिया के रूप में होता है।

    ब्रज के भक्ति गीतों की विशेषताएँ:

    1. भक्ति और प्रेम से परिपूर्ण
      ब्रज के गीतों में राधा-कृष्ण के प्रेम का अद्वितीय वर्णन होता है। यह प्रेम लौकिक न होकर अलौकिक होता है — आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतीक।

    2. ब्रज भाषा का प्रयोग
      ब्रज के भक्ति गीतों में स्थानीय बोली — ब्रजभाषा — का प्रयोग होता है, जो भावों को अत्यंत प्रभावशाली ढंग से प्रकट करती है।

    3. लोक शैली में संगीत
      गीतों को ढोलक, मंजीरा, हारमोनियम जैसे लोक वाद्ययंत्रों के साथ गाया जाता है। इनका मुख्य उद्देश्य श्रद्धा और भक्ति को जागृत करना होता है।

    4. प्रमुख रचनाकार
      सूरदास, मीराबाई, नंददास, रसखान, हित हरिवंश, चैतन्य महाप्रभु आदि कवियों ने ब्रज क्षेत्र में अत्यंत सुंदर भक्ति रचनाएँ की हैं।

    5. मुख्य प्रकार

      • भजन – जैसे “माना सरोवर पंथ निहारो”, “श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम”

      • रसिया – उत्सवों और झूलों में गाए जाते हैं, खासकर होली के समय।

      • झूला गीत सावन में झूला झुलाने के अवसर पर।

      • कीर्तन – मंदिरों में सामूहिक रूप से गाए जाते हैं।

    उदाहरण:

    1. सूरदास का पद:
    मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो
    इस पद में बालकृष्ण की नटखट लीलाओं का भावुक और कोमल वर्णन है।

    2. रसखान का पद:
    मानुष हौं तो वही रसखानि, बसौं मिलि गोकुल गॉव के ग्वालन।
    रसखान, जो मुस्लिम थे, उन्होंने ब्रजभूमि और श्रीकृष्ण की अपार भक्ति में डूबकर सुंदर पदों की रचना की।

    3. मीरा का भजन:
    पायो जी मैंने राम रतन धन पायो
    हालाँकि मीरा राजस्थानी थीं, लेकिन उनका अधिकांश समय ब्रज में बीता और उनके गीत ब्रज की भक्ति परंपरा का हिस्सा बन गए।

    अगर आप चाहें तो मैं आपको कुछ प्रसिद्ध ब्रज भक्ति गीतों के बोल भी दे सकता हूँ या उनका अर्थ समझा सकता हूँ।


  • श्री-श्री ठाकुराणी जी भक्तों के हृदय में पूजनीय मातृस्वरूप देवी हैं। ठाकुराणी शब्द का अर्थ होता है — ठाकुर (ईश्वर) की अर्धांगिनी, उनकी शक्ति स्वरूपा। विभिन्न परंपराओं में ठाकुराणी जी को देवी लक्ष्मी, राधारानी, दुर्गा या अन्य देवियों के रूप में पूजा जाता है।

    मुख्य विशेषताएँ:

    • शक्ति और कृपा की प्रतीक: ठाकुराणी जी को भगवान की अनुग्रही शक्ति के रूप में माना जाता है, जो भक्तों पर अपनी करुणा, प्रेम और शक्ति बरसाती हैं।

    • संरक्षणकर्ता: भक्तों की रक्षा करना, उनके दुखों को हरना और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देना ठाकुराणी जी का प्रमुख कार्य बताया गया है।

    • भक्ति का आदर्श: ठाकुराणी जी संपूर्ण समर्पण और भक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो सच्चे प्रेम और सेवा के माध्यम से भगवान से एकाकार होने का मार्ग दिखाती हैं।

    • त्योहार और पूजन: कई स्थानों पर विशेष पूजन और महोत्सव आयोजित किए जाते हैं, जहाँ ठाकुराणी जी के विविध रूपों की पूजा बड़े श्रद्धा भाव से होती है।

    श्री-श्री ठाकुराणी जी का स्मरण करने मात्र से भक्तों के जीवन में शांति, सौभाग्य और आध्यात्मिक उन्नति का संचार होता है।

  • "कृपामयी भगवद्गीता" पंडित श्रीरामसुखदास जी महाराज द्वारा रचित एक अत्यंत लोकप्रिय और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध पुस्तक है। यह पुस्तक भगवद्गीता का सरल, सहज और करुणामय भाष्य (टीका) प्रस्तुत करती है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण की अनंत कृपा और करुणा को केंद्र में रखा गया है।

    यह पुस्तक विशेष रूप से उन पाठकों के लिए उपयुक्त है जो गीता के गूढ़ रहस्यों को सरल भाषा में, भक्ति और श्रद्धा भाव के साथ समझना चाहते हैं। इसमें श्रीरामसुखदास जी महाराज ने गीता के प्रत्येक श्लोक की व्याख्या अत्यंत भावपूर्ण, हृदयस्पर्शी और व्यावहारिक दृष्टिकोण से की है।

    मुख्य विशेषताएँ:

    • सरल हिन्दी भाषा में गीता का भावार्थ

    • शुद्ध भक्तिपूर्ण शैली में रचना

    • आत्मकल्याण, निष्काम कर्म, और भगवान की कृपा पर बल

    • श्रीरामसुखदास जी महाराज की गहरी आध्यात्मिक दृष्टि का परिचय

    राजेन्द्र कुमार द्वारा विवरण:

    राजेन्द्र कुमार ने "कृपामयी भगवद्गीता" के संदर्भ में जो विवरण या प्रस्तावना दी है, वह पुस्तक के भावनात्मक पक्ष को और अधिक उजागर करता है। वे बताते हैं कि यह गीता केवल ज्ञान का ग्रंथ नहीं, बल्कि एक जीवात्मा के लिए भगवान की कृपा का साक्षात अनुभव है। श्रीरामसुखदास जी की लेखनी में एक माँ की तरह ममता और एक संत की तरह करुणा झलकती है।

    "Kripamayi Bhagwat Geeta" by Swami Ramsukhdas and Rajendra Kumar is a spiritually rich interpretation of the Bhagavad Gita, presenting its timeless wisdom in a compassionate and easily relatable way. Here's a brief description in English:


    📘 Kripamayi Bhagwat Geeta 

    "Kripamayi Bhagwat Geeta", meaning "The Compassionate Bhagavad Gita", is a devotional and philosophical commentary on the Bhagavad Gita, emphasizing the boundless grace (kripa) of Lord Krishna. The book is a conversation between Lord Krishna and Arjuna, narrated in a way that highlights divine compassion, surrender, and the path to liberation through selfless action (karma yoga), devotion (bhakti yoga), and spiritual wisdom (jnana yoga).

    • Author: The teachings are based on the profound insights of Swami Ramsukhdas Ji, a revered saint known for his deep understanding of the Gita and simple, heartfelt style of explanation.

    • Presentation: Rajendra Kumar, known for his contributions in spreading spiritual literature, helps convey these teachings in an accessible and inspiring form.

    • Tone: The tone of the book is gentle and filled with reverence. It doesn’t focus on academic or philosophical jargon but instead touches the heart of the reader with the essence of divine love and grace.

    • Purpose: The book aims to make the Gita's messages more understandable to the common person, guiding them toward a peaceful and purposeful life, rooted in faith and devotion.

  • 🛠️ How to Build a Character 

    1. Start with the Basics

    Give your character a name and basic info:

    • Name: Choose something that fits their culture, setting, or personality.

    • Age: Is your character young, middle-aged, or old?

    • Gender: Male, female, non-binary, or otherwise?

    • Occupation: What do they do? (e.g., detective, student, warrior)

    2. Physical Description

    Describe how they look:

    • Height & Build: Tall, short, skinny, muscular?

    • Hair: Color, style, length.

    • Eyes: Color, shape, expression.

    • Clothing: Modern, fantasy, rich, poor?

    • Notable Features: Scars, tattoos, birthmarks, etc.

    Example:
    He is a tall man with messy black hair and deep-set green eyes. A long scar runs across his left cheek, and he wears a battered leather jacket.

    3. Personality Traits

    Describe their behavior and mindset:

    • Are they kind, brave, shy, rude, intelligent, funny, cold?

    • Include strengths and flaws.

    Example:
    She is clever and confident, but also impulsive and quick to anger. She has a strong sense of justice.

    4. Backstory

    Where do they come from?

    Example:
    Raised in a war-torn village, he learned to survive on his own from a young age. The loss of his family drives his desire for revenge.

    5. Motivations and Goals

    What does your character want?

    • Revenge? Love? Redemption? Fame? Freedom?

    Example:
    Her goal is to become the greatest healer in the kingdom to save her sick sister.

    6. Relationships

    Who are the key people in their life?

    • Friends, enemies, mentors, family?

    Example:
    His best friend is a rogue with a mysterious past, and his enemy is the man who destroyed his home.

    7. Unique Quirks or Habits

    Add something that makes them stand out:

    • Nervous tics, catchphrases, fears, hobbies.

    Example:
    He talks to his sword like it's alive. He collects shiny stones

  • Swami Akhandananda’s explanation of Aparokshanubhuti serves as a guiding light for seekers, helping them transcend illusion and experience the eternal truth of the Self

    अपरोक्षानुभूति - स्वामी अखंडानंद

    अपरोक्षानुभूति का अर्थ है प्रत्यक्ष आत्मानुभूति। यह ग्रंथ अद्वैत वेदांत के महान आचार्य आदि शंकराचार्य द्वारा रचित है और आत्म-साक्षात्कार के मार्ग को स्पष्ट करता है। इस ग्रंथ पर स्वामी अखंडानंद जी ने अपनी व्याख्या प्रस्तुत की है, जिससे साधकों को आत्मज्ञान की दिशा में गहरी समझ प्राप्त होती है।

    स्वामी अखंडानंद जी का योगदान

    स्वामी अखंडानंद जी वेदांत और भक्तियोग के महान संत थे। उन्होंने अपने प्रवचनों और लेखन के माध्यम से अपरोक्षानुभूति ग्रंथ को सरल भाषा में समझाया, जिससे साधक इसे व्यावहारिक रूप से आत्मसात कर सकें। उनकी व्याख्या अद्वैत वेदांत की गहनता को सरल और बोधगम्य रूप में प्रस्तुत करती है।

    मुख्य विषयवस्तु

    1. आत्मा और माया का भेद - आत्मा शुद्ध, अजर-अमर और चैतन्यस्वरूप है, जबकि माया असत्य और नाशवान है।

    2. ब्रह्म और जीव का एकत्व - जीव और ब्रह्म में कोई भेद नहीं है, यह केवल अज्ञान (अविद्या) के कारण प्रतीत होता है।

    3. ज्ञानमार्ग की साधना - ध्यान, वैराग्य और विवेक के माध्यम से आत्मज्ञान को प्राप्त करने की विधियाँ।

    4. स्वानुभूति की महत्ता - केवल शास्त्रों का अध्ययन ही नहीं, बल्कि प्रत्यक्ष अनुभव (अनुभूति) ही वास्तविक मुक्ति का मार्ग है।

    स्वामी अखंडानंद जी की इस व्याख्या से साधकों को आत्मज्ञान प्राप्त करने और जीवन में आध्यात्मिकता को अपनाने में सहायता मिलती है।