• तुलसीदास जी केवल रामकथा के कवि नहीं, बल्कि एक उच्चकोटि के समाजसुधारक और जीवनद्रष्टा भी थे। 'दोहावली' में उनका यह दृष्टिकोण स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है। इस काव्य-संग्रह में 573 दोहे और सोरठा छंद हैं, जो पाठकों को न केवल धर्म का पाठ पढ़ाते हैं, बल्कि जीवन जीने की कला भी सिखाते हैं।


    🕉️ मुख्य विषय-वस्तु:

    1. रामभक्ति:

      • भगवान राम के गुण, लीला और नाम की महिमा का भव्य वर्णन

      • राम को 'मर्यादा पुरुषोत्तम' रूप में देखना और उनसे प्रेरणा लेना

    2. नीति और सदाचार:

      • सत्य, संयम, दया, क्षमा, विनम्रता, स्वधर्म का पालन

      • राजा, प्रजा, गुरु, शिष्य, स्त्री, ब्राह्मण, वैश्य आदि के आचरण की शिक्षाएँ

    3. ज्ञान और वैराग्य:

      • संसार की नश्वरता का बोध

      • आत्मा, माया, जन्म-मृत्यु के चक्र की विवेचना

      • ईश्वर के प्रति समर्पण और अंतर्मुखी साधना की प्रेरणा

    4. समाज सुधार:

      • सामाजिक कुरीतियों पर करारा व्यंग्य

      • जाति, पाखंड, लोभ, छल, और दिखावे की आलोचना

      • सत्संग और सच्चे गुरु की महत्ता


    🌟 शैली और विशेषताएँ:

    • छंद शैली: दोहा और सोरठा — छोटे मगर गहरे अर्थवाले छंद

    • भाषा: ब्रज और अवधी मिश्रित, जो भावनाओं के सहज संप्रेषण में सक्षम है

    • भावार्थ: गीता प्रेस द्वारा प्रदत्त हिंदी व्याख्या सहज और सुपाठ्य है

    • पाठ के साथ चिंतन: हर दोहे में जीवन की दिशा देनेवाली चेतना छिपी है


    🧠 दोहावली से प्रेरक उदाहरण:

    (कुछ प्रसिद्ध दोहे)

    "तुलसी मीठे वचन ते, सुख उपजत चहुँ ओर।
    वशीकरण एक मंत्र है, तजि कलुष वचन घोर॥"

    ➡️ मधुर वाणी ही सबसे बड़ा वशीकरण मंत्र है।

    "संत ह्रदय नवनीत सम, कठिन जाति कुचाल।
    जो छुवै दुःख दूसरन को, ताहि संत कहु काल॥"

    ➡️ संतों का हृदय माखन जैसा होता है, पर जो दूसरों को कष्ट दे, वह संत नहीं।


    🎯 पुस्तक किसके लिए उपयुक्त है?

    • जो लोग नीति, भक्ति और जीवन-दर्शन में रुचि रखते हैं

    • विद्यार्थी, गृहस्थ, साधक और समाजसेवी

    • जो तुलसी साहित्य को गहराई से समझना चाहते हैं

    • जो रामचरितमानस के समानांतर तुलसी के अन्य विचारों से परिचित होना चाहते हैं                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                            दोहावली’ एक ऐसी कालजयी कृति है जो तुलसीदास जी की संतवाणी को जनमानस के हृदय तक पहुँचाती है। इसमें वर्णित दोहे सरल होते हुए भी अत्यंत गहन हैं। यह पुस्तक न केवल धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि एक जीवनशास्त्र है, जो हर व्यक्ति को एक श्रेष्ठ मनुष्य बनने की प्रेरणा देता है।

  • "गीतावली" गोस्वामी तुलसीदासजी कृत एक अत्यंत मधुर एवं भक्तिमय ग्रंथ है, जिसमें भगवान श्रीराम की संपूर्ण लीला का गायन ब्रज भाषा में सुंदर छंदों और गीतों के माध्यम से किया गया है। यह ग्रंथ रामचरितमानस, कवितावली, और विनयपत्रिका के समान ही श्रीराम भक्ति से ओतप्रोत है।

    इस संस्करण में सरल भाषार्थ सहित भावों की व्याख्या दी गई है, जिससे सामान्य पाठक भी इस ग्रंथ के गूढ़ तत्वों को सहजता से समझ सके।


    📖 मुख्य विशेषताएँ:

    • संगीतात्मक शैली: गीतावली के सभी पद शास्त्रीय और लोकभाषा के रागों में रचित हैं, जिससे इसका पाठ एक संगीतमय भक्ति का अनुभव देता है।

    • रामचरित पर आधारित: इसमें श्रीराम के जीवन की घटनाओं को गीतों के रूप में वर्णित किया गया है – बालकांड से लेकर उत्तरकांड तक।

    • भाषा: मूल ब्रज भाषा में है, किन्तु इस संस्करण में सरल हिंदी में अर्थ भी साथ में दिया गया है।

    • भावप्रधान काव्य: यह ग्रंथ भक्तों के भावों को प्रकट करने वाला और हृदय को स्पर्श करने वाला है।


    🕉 पुस्तक के मुख्य खंड (कांड):

    1. बालकांड

    2. अयोध्याकांड

    3. अरण्यकांड

    4. किष्किंधाकांड

    5. सुंदरकांड

    6. लंकाकांड

    7. उत्तरकांड


    🎨 कवर चित्र विशेष:

    इस गीता प्रेस संस्करण के मुखपृष्ठ पर भगवान श्रीराम और लक्ष्मण की चित्रमय झांकी है, जो महलों की पृष्ठभूमि में दर्शाई गई है, जिससे पुस्तक का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक सौंदर्य और भी निखरता है।


    🔖 उपयोगिता:

    यह पुस्तक उन सभी पाठकों के लिए अत्यंत उपयोगी है:

    • जो श्रीरामचरित को काव्य और संगीतात्मक रूप में पढ़ना चाहते हैं।

    • जो तुलसीदास जी की भक्ति भावना से जुड़ना चाहते हैं।

    • जो सरल भाषा में श्रीराम के चरित्र को आत्मसात करना चाहते हैं।

  • 'उपनयन संस्कार पद्धति' एक अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक व सांस्कृतिक पुस्तक है, जो वैदिक धर्मशास्त्रों पर आधारित है। यह पुस्तक विशेष रूप से उपनयन संस्कार — जिसे यज्ञोपवीत संस्कार या जनेऊ संस्कार भी कहा जाता है — की शास्त्रोक्त विधि को स्पष्ट, क्रमबद्ध और प्रामाणिक ढंग से प्रस्तुत करती है।


    🔱 उपनयन संस्कार का महत्व:

    हिंदू धर्म में उपनयन संस्कार एक प्रमुख सोलह संस्कारों में से है। यह संस्कार बालक को ब्रह्मचर्य आश्रम में प्रवेश दिलाता है और उसे वेदाध्ययन तथा गायत्री मंत्र के जप का अधिकारी बनाता है। यह उसके आध्यात्मिक जीवन की आधारशिला रखता है।


    📋 इस पुस्तक की प्रमुख विषय-वस्तु:

    1. संस्कार की तैयारी एवं पात्रता

      • बालक की आयु, कुल, योग्यताएँ

      • समय, तिथि और मुहूर्त का चयन

    2. व्रतबंध एवं उपनयन की विधियाँ

      • संकल्प, शुद्धि, आचमन, पवित्रीकरण

      • गुरु व शिष्य का सम्बन्ध, मन्त्रों सहित

    3. यज्ञोपवीत धारण की विधि

      • त्रिपवित्र यज्ञोपवीत की महिमा

      • नये यज्ञोपवीत की स्थापना विधि

      • ब्रह्मसूत्र की लंबाई, दिशा और विधि

    4. गायत्री मंत्र दीक्षा

      • गायत्री माता का आवाहन

      • मंत्र की व्याख्या और महत्व

      • जप-विधि और उसकी नियमावली

    5. हवन विधि व आहुति मंत्र

      • समिधा, अग्नि स्थापन, आहुति विधि

      • शांति पाठ, आशीर्वाद, मंगलाचरण

    6. संस्कारोत्तर कर्तव्य एवं निर्देश

      • ब्रह्मचारी के व्रत, नियम, रहन-सहन

      • तिलक, वस्त्र, आचरण आदि की संहिताएँ


    🌿 विशेषताएँ:

    • संस्कृत श्लोकों के साथ सरल, सटीक एवं सहज हिंदी अनुवाद

    • वैदिक विधियों का चरणबद्ध विवरण – कोई भी पंडित या गृहस्थ स्वयं संस्कार कर सके

    • सभी मन्त्रों का स्पष्ट उच्चारण और व्याख्या

    • बच्चों, अभिभावकों, पंडितों और वेदाध्ययनियों के लिए अत्यंत उपयोगी

    • वैदिक संस्कृति, सनातन परंपरा एवं धर्म के संरक्षण में सहायक


    📦 किसके लिए उपयोगी?

    • जो परिवार अपने पुत्र के यज्ञोपवीत संस्कार को वैदिक विधि से सम्पन्न कराना चाहते हैं

    • जो व्यक्ति कर्मकांड और वैदिक संस्कारों में गहराई से रुचि रखते हैं

    • जो धर्मशास्त्र, पुरोहित्य या संस्कृत अध्ययनरत हैं

    • वेदपाठी छात्र, ब्रह्मचारी, गुरुकुलों के शिक्षक एवं धार्मिक आचार्य                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                  निष्कर्ष:
      'उपनयन संस्कार पद्धति' केवल एक धार्मिक अनुष्ठान का ग्रंथ नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, गुरुकुल परंपरा और वेदाध्ययन की महान परंपरा का प्रवेश द्वार है। यदि आप अपने पुत्र के जीवन में आध्यात्मिकता का बीज बोना चाहते हैं, तो यह पुस्तक आपके लिए अमूल्य निधि सिद्ध होगी।

  • "पंचांग-पूजन-पद्धति" एक अत्यंत उपयोगी, प्रामाणिक और विधिवत पूजन-संहिता है, जो विशेष रूप से धार्मिक अनुष्ठानों, संस्कारों और कर्मकाण्डों के लिए तैयार की गई है। इसमें होमविधि, कुशाकण्डिका, देवपूजन, मांगलिक कार्यों और पांच प्रमुख कर्मकाण्डों का विस्तारपूर्वक वर्णन मिलता है।


    🔖 मुख्य विषयवस्तु:

    1. पंचांग पूजन की विधियाँ:
      पंचांग पूजन भारतीय परंपरा का एक अत्यंत शुभ और आवश्यक हिस्सा है। इस पुस्तक में तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण—इन पंचांग तत्वों के पूजन की संपूर्ण विधि दी गई है।

    2. कुशाकण्डिका विधि:
      यज्ञ एवं धार्मिक कर्मों में कुशा का प्रयोग आवश्यक होता है। इस ग्रंथ में कुश की विधिपूर्वक स्थापना और पूजन की संपूर्ण विधि बताई गई है।

    3. होमविधि:
      वैदिक होम, हवन और अग्निहोत्र की प्रक्रियाओं को शास्त्रीय नियमों के अनुसार चरणबद्ध रूप में वर्णित किया गया है। यह अनुभवी ब्राह्मणों के साथ-साथ नवशिक्षार्थियों के लिए भी उपयोगी है।

    4. मांगलिक कार्यों हेतु विधि:
      विवाह, उपनयन, गृहप्रवेश, अन्नप्राशन जैसे विविध मांगलिक संस्कारों में प्रयुक्त पूजन-विधियों का संकलन इस पुस्तक में है।

    5. देवपूजन एवं तत्त्वनिर्णय:
      इसमें गणेश, नवग्रह, पितृ आदि देवताओं के पूजन विधानों का भी समावेश है। साथ ही तत्त्वदर्शी शैली में पूजन के उद्देश्य, लाभ और वैदिक महत्त्व की चर्चा की गई है।


    📝 पुस्तक की विशेषताएँ:

    • सरल, शुद्ध एवं संस्कृतनिष्ठ भाषा, जिससे पठन में आध्यात्मिक भाव की वृद्धि होती है।

    • प्रत्येक कर्म की क्रमबद्ध विधि, जिससे पूजन करने में कोई संशय न रहे।

    • छोटे आकार में विशाल जानकारी, जिससे यह पुस्तक पूजन के समय सहज उपयोग के लिए उपयुक्त है।

    • चित्र सहित प्रस्तुति, जिससे पूजन के स्थान और व्यवस्था की कल्पना सरल होती है।


    🙏 उपयोगिता:

    • यह पुस्तक ब्राह्मणों, पूजापाठ करने वालों, साधकों, तथा गृहस्थों के लिए समान रूप से उपयोगी है।

    • इसमें दी गई विधियाँ शास्त्रसम्मत, सरल, और व्यवहारिक हैं, जिससे हर स्तर का साधक इस पुस्तक से लाभ उठा सकता है।


    📚 निष्कर्ष:

    "पंचांग-पूजन-पद्धति" एक आदर्श धार्मिक ग्रंथ है, जो परंपरागत पूजन विधियों को सही ढंग से समझने और करने में मदद करता है। यह पुस्तक पूजा, यज्ञ, संस्कार आदि वैदिक कर्मों को शुद्ध रूप से संपन्न करने के लिए एक संपूर्ण मार्गदर्शक है।

  • "भक्त सरोज" गीताप्रेस द्वारा प्रकाशित एक अत्यंत लोकप्रिय धार्मिक पुस्तक है, जो उन श्रद्धालु पाठकों के लिए समर्पित है जो महान भारतीय संतों और भक्तों के जीवन से प्रेरणा प्राप्त करना चाहते हैं। यह पुस्तक संक्षिप्त भक्त चरित माला की बारहवीं कड़ी है, जिसमें अनेक भक्ति परंपरा के महान पुरुषों के जीवन, आचरण, संघर्ष, और ईश्वर-प्रेम की गाथाएँ संक्षेप में, किन्तु अत्यंत मार्मिक शैली में प्रस्तुत की गई हैं।

    इस पुस्तक का नाम "भक्त सरोज" प्रतीकात्मक रूप में चुना गया है। "सरोज" का अर्थ है कमल — यह दर्शाता है कि जैसे कमल कीचड़ में रहकर भी सुंदरता और पवित्रता का प्रतीक होता है, वैसे ही ये भक्त संसार रूपी कीचड़ में रहते हुए भी ईश्वर-भक्ति में लीन रहते हैं और जगत को सुगंधित करते हैं।


    🌼 पुस्तक की प्रमुख विशेषताएँ:

    1. भक्तों की लघु जीवनियाँ:
      पुस्तक में अनेक प्रसिद्ध भक्तों जैसे ध्रुव, प्रह्लाद, मीरा, तुलसीदास, नरसी मेहता, आदि की लघु जीवनियाँ दी गई हैं। इनके जीवन से पाठकों को यह सीख मिलती है कि सच्ची भक्ति में जाति, धन, अवस्था या कोई सामाजिक पद नहीं देखा जाता — केवल श्रद्धा, प्रेम और समर्पण देखा जाता है।

    2. आध्यात्मिक प्रेरणा:
      ये चरित्र केवल ऐतिहासिक जानकारी नहीं देते, बल्कि उनमें छिपी नैतिक और आध्यात्मिक शिक्षा आज के पाठकों को आत्म-परिष्कार और ईश्वर की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा देती है।

    3. सरल एवं सहज भाषा:
      गीताप्रेस की परंपरा के अनुसार भाषा अत्यंत सरल, सहज और प्रवाहपूर्ण है ताकि हर आयु वर्ग के पाठक इन कथाओं को पढ़कर लाभ उठा सकें।

    4. चित्रों से सुसज्जित:
      पुस्तक में सुंदर चित्रों का भी समावेश है, जो विशेष रूप से बच्चों और किशोरों को आकर्षित करते हैं तथा कथाओं की समझ को और सरल बनाते हैं।

    5. संस्कार-प्रधान शिक्षा:
      यह पुस्तक आधुनिक समय में भी माता-पिता, अध्यापक, और संस्कारशील समाज के लिए एक उत्तम साधन है जिससे नई पीढ़ी को भारतीय संस्कृति, भक्ति परंपरा और धर्म की मूल भावना से जोड़ने में सहायता मिलती है।


    🙏 पुस्तक का उद्देश्य:

    गीताप्रेस द्वारा यह पुस्तक प्रकाशित करने का मुख्य उद्देश्य केवल साहित्य देना नहीं है, बल्कि धर्म-प्रचार, नैतिकता का संवर्धन, और लोक-कल्याण के लिए सरल माध्यम प्रस्तुत करना है। "भक्त सरोज" एक ऐसा ग्रंथ है जो छोटे आकार में महान विचारों और जीवन-दर्शन को समेटे हुए है।


    🪔 पाठकों के लिए सन्देश:

    यदि आप ऐसे ग्रंथों की खोज में हैं जो आपको न केवल आध्यात्मिक मार्ग दिखाएँ, बल्कि आपको आत्म-शुद्धि, आचरण में सुधार और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण दें — तो "भक्त सरोज" अवश्य पढ़ें। यह पुस्तक आपके हृदय में भक्ति का दीप प्रज्वलित करेगी।

  • "भगवन्नाम-महात्म्य" एक दिव्य और अत्यंत उपयोगी पुस्तक है, जो भगवन्नाम (ईश्वर के नाम) के जप, स्मरण और महिमा पर केन्द्रित है। इसमें विशेष रूप से 28860 बार नाम-जप का विधान बताया गया है, जिससे पाठक न केवल नामस्मरण की महत्ता को समझता है, बल्कि व्यवस्थित रूप से भगवान का नाम लेने का अभ्यास भी प्राप्त करता है।

    इस पुस्तक में मुख्य रूप से “राम नाम” की महिमा को वर्णित किया गया है, जैसा कि कवर पर बार-बार लिखा गया है:
    🔁 "राम राम राम राम राम..."
    इसके साथ ही इसमें अन्य भगवन्नामों की भी व्याख्या, जप विधि, लाभ और महिमा से संबंधित शास्त्रीय प्रमाण, संतों के अनुभव, और साधकों के लिए उपयोगी निर्देश दिए गए हैं।


    🪔 मुख्य विषय-वस्तु:

    1. भगवन्नाम की महिमा:
      शास्त्रों, संतों और अनुभवों के आधार पर भगवान के नाम के जप की महत्ता – जैसे कि कलियुग में केवल नाम-जप से मोक्ष संभव है।

    2. रामनाम की शक्ति:
      राम नाम को विशेष रूप से “मोक्षदायक”, “पापनाशक” और “भवसागर से पार लगाने वाला” बताया गया है।

    3. 28860 नाम-जप का विधान:
      यह विशेष संख्या किस प्रकार साधक को दैनिक रूप से जप करने में मार्गदर्शन देती है — इसका सारणीबद्ध तरीका भी इसमें हो सकता है।

    4. जप की विधियाँ और नियम:
      मानसिक, वाचिक (बोलकर) और उपांशु (धीरे-धीरे) जप के भेद, साथ ही समय, आसन, नियम आदि का वर्णन।

    5. संतों के कथन एवं अनुभव:
      तुलसीदास, नामदेव, एकनाथ, समर्थ रामदास आदि संतों द्वारा भगवन्नाम की प्रशंसा।

    6. शास्त्रीय आधार:
      भगवन्नाम के समर्थन में श्रीमद्भागवत, नारद भक्ति सूत्र, पद्मपुराण आदि से संदर्भ।


    ✍️ पाठकों के लिए विशेष उपयोगिता:

    • जो साधक नित्य जप-साधना करना चाहते हैं, उनके लिए यह पुस्तक एक व्यवस्थित सहायक है।

    • जो लोग अपने जीवन में आध्यात्मिक शांति, चिंतन, और भक्ति लाना चाहते हैं, उनके लिए रामनाम-जप अत्यंत फलदायक बताया गया है।

    • घरों में, मठों में, सत्संगों में इसका नियमित पाठ और जप-गणना की जा सकती है।


    📖 पुस्तक का प्रभाव:

    यह पुस्तक पाठक के भीतर एक भक्तिपूर्ण अनुशासन, नियंत्रण, और नाम-जप की स्थिरता विकसित करती है। जब कोई व्यक्ति दिन-प्रतिदिन नियमित रूप से नामजप करता है, तो उसका मन शांत, बुद्धि निर्मल और हृदय प्रभु-प्रेम से भर जाता है।

    28860 28860
  • ‘वीर बालिकाएँ’ गीता प्रेस द्वारा प्रकाशित एक प्रेरणादायक और ओजस्वी ग्रंथ है, जिसमें भारत की उन साहसी, निडर और पराक्रमी कन्याओं की जीवन-गाथाएँ प्रस्तुत की गई हैं, जिन्होंने अपनी छोटी उम्र में देश, धर्म और सम्मान की रक्षा के लिए अद्भुत शौर्य और बलिदान का परिचय दिया।


    🌼 मुख्य विषयवस्तु:

    • इस पुस्तक में ऐसी ऐतिहासिक बालिकाओं की घटनाओं को संकलित किया गया है जो केवल अपने साहस से नहीं, बल्कि अपने आदर्शों, कर्तव्यनिष्ठा और देशभक्ति से भी अमर हो गईं।

    • यह पुस्तक यह सिद्ध करती है कि साहस केवल आयु का विषय नहीं, बल्कि आत्मबल का स्वरूप है।

    • बालिकाओं को यह प्रेरणा मिलती है कि वे भी रक्षा, वीरता और त्याग के क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं हैं।


    ⚔️ वर्णित प्रमुख प्रसंग (उदाहरणस्वरूप):

    • झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के बाल्यकाल का वीरत्व

    • मद्र प्रदेश की वीर कन्याओं की शौर्यगाथा

    • राजस्थान की कन्याओं द्वारा आक्रमणकारियों के विरुद्ध प्रतिरोध

    • धर्म की रक्षा हेतु अपने प्राणों की आहुति देने वाली बालिकाएँ

    (नोट: पुस्तक में अनेक प्रसंग दिए गए हैं, जो अलग-अलग कालखंडों और प्रांतों की वीर बालिकाओं से संबंधित हैं।)


    🌟 विशेषताएँ:

    • सरल भाषा में लेखन: ताकि छोटे बच्चे और छात्र भी इसे पढ़ सकें।

    • चित्रों सहित प्रस्तुति: कुछ कहानियाँ चित्रों से युक्त हैं, जो बालकों को रोचक लगती हैं।

    • चरित्र निर्माण हेतु उपयुक्त: बालिकाओं में नैतिकता, साहस, देशप्रेम और आत्मगौरव की भावना जाग्रत करने वाला ग्रंथ।


    📚 उपयुक्त पाठक वर्ग:

    • स्कूल-कॉलेज की छात्राएँ

    • शिक्षक, माता-पिता और राष्ट्रभक्त

    • वे सभी जो नारी शक्ति और भारतीय इतिहास में रुचि रखते हैं।


    ✨ निष्कर्ष:

    वीर बालिकाएँ नारी-शक्ति की महानता और उनके भीतर छिपे वीरत्व की झलक प्रस्तुत करने वाली अनुपम कृति है। यह पुस्तक बच्चों को संस्कार, साहस और प्रेरणा देने में सहायक सिद्ध होती है।

  • यह पुस्तक "नित्यकर्म-प्रयोग" है, जो कि गीता प्रेस, गोरखपुर द्वारा प्रकाशित की गई है। इस पुस्तक का उद्देश्य हिन्दू धर्म में प्रतिदिन किए जाने वाले नित्य कर्मों (जैसे संध्या-वंदन, पूजा, जप, हवन आदि) का विधिपूर्वक अभ्यास सिखाना है।

    🔶 नित्यकर्म का अर्थ:

    हिन्दू धर्म में "नित्यकर्म" वे कर्म होते हैं जिन्हें प्रत्येक श्रद्धालु को प्रतिदिन करना अनिवार्य माना गया है। ये कर्म धर्मशास्त्रों द्वारा निर्धारित हैं और जीवन को शुद्ध, अनुशासित तथा ईश्वर-केन्द्रित बनाने के लिए अत्यंत आवश्यक माने जाते हैं।

    "नित्यकर्म-प्रयोग" पुस्तक में इन नित्यकर्मों की संपूर्ण विधियों का वर्णन अत्यंत शास्त्रीय एवं व्यावहारिक रूप में किया गया है।


    🧘‍♂️ पुस्तक की प्रमुख सामग्री:

    1. संध्या-वंदन विधि:

    • ब्राह्मणों, क्षत्रियों और वैश्य जातियों के लिए त्रिकाल संध्या का विधान

    • गायत्री मंत्र जप की विधि और महत्व

    • आचमन, प्राणायाम, अर्घ्य-प्रदान, मार्जन, उपस्थान आदि की विधियाँ

    2. देव-पूजन:

    • गणेश, विष्णु, शिव, सूर्य आदि की दैनिक पूजा पद्धति

    • पंचोपचार और षोडशोपचार पूजन की संक्षिप्त एवं विस्तृत विधियाँ

    • पुष्प अर्पण, धूप-दीप, नैवेद्य और आरती

    3. हवन-विधि:

    • अग्नि स्थापन, आहुति मंत्र, स्वाहा के प्रयोग के साथ हवन करना

    • गृहस्थों के लिए नित्य हवन का महत्व और सरल प्रयोग

    4. जप और ध्यान:

    • मंत्र-जप की मानसिक, वाचिक और उपांशु विधियाँ

    • ध्यान की सरल पद्धति — देवता का ध्यान कैसे करें?

    • माला की विधिवत उपयोग विधि

    5. स्नान-संस्कार:

    • स्नान से पूर्व मंत्र, स्नान की विधि, वस्त्र-धारण आदि

    • आत्म-शुद्धि और मनोभाव की शुद्धता पर बल

    6. तर्पण और पितृ-कर्म:

    • नित्य पितृ-तर्पण का संक्षिप्त विधान

    • पितरों को श्रद्धा से जल अर्पण करना क्यों आवश्यक है?

    7. आरती, स्तुति और प्रार्थनाएँ:

    • विभिन्न देवताओं की आरतियाँ और स्तुति

    • प्रातः-संध्या, मध्याह्न और सायं के समय की प्रार्थनाएँ


    🌟 विशेषताएँ:

    • सरल भाषा में जटिल वैदिक विधियों को प्रस्तुत किया गया है

    • संस्कृत श्लोकों के साथ उनका हिन्दी अनुवाद एवं उपयोग विधि भी दी गई है

    • चित्रों के माध्यम से विधियों की दृश्यात्मक सहायता दी गई है (जैसे कवर पर दिखाया गया है)

    • नवीन और अनुभवी साधकों दोनों के लिए उपयुक्त


    🖼️ मुखपृष्ठ की प्रतीकात्मक व्याख्या:

    कवर चित्र में:

    • केंद्र में एक दिव्य आकृति (भगवान) से प्रकाश फैल रहा है — यह परमात्मा का प्रतीक है जो सभी नित्यकर्मों का केंद्र है।

    • चारों ओर विभिन्न क्रियाएँ करते हुए पुरुष दर्शाए गए हैं — जो कि दैनिक धार्मिक कृत्यों जैसे पूजा, संध्या, जप, हवन, ध्यान आदि में लीन हैं।

    • यह चित्र यह बताता है कि ये सभी कर्म भगवान की कृपा प्राप्ति के साधन हैं।


    🎯 किसके लिए उपयोगी है यह पुस्तक?

    • विद्यार्थी जो वैदिक पद्धति सीखना चाहते हैं

    • गृहस्थजन जो नित्य कर्म करना आरंभ करना चाहते हैं

    • ब्राह्मण और कर्मकाण्ड करने वाले पुजारी

    • सनातन धर्म के साधक जो दैनिक साधना को नियमबद्ध बनाना चाहते हैं


    📘 निष्कर्ष:

    "नित्यकर्म-प्रयोग" केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि एक आदर्श दिनचर्या का पथदर्शक ग्रंथ है, जो जीवन में आध्यात्मिक अनुशासन, मानसिक शुद्धि, और ईश्वर से जुड़ाव को सहज बनाता है। यह पारंपरिक सनातन धर्म की अनमोल विधियों को सहज भाषा और शुद्ध स्वरूप में प्रस्तुत करता है।

  • कथा के माध्यम से शिक्षाप्रद और शिक्षाप्रद सूत्र की व्याख्या भारतीय संतों की एक प्राचीन शैली है। कहानियों के माध्यम से सांसारिक उपदेश आसानी से दिए जा सकते हैं। इस पुस्तक  ऐसी 105 प्रेरक कहानियों का संग्रह है जो संघर्ष करने वालों की आत्मा को प्रबुद्ध करने में सक्षम है।

    🌼 पुस्तक का उद्देश्य:

    "प्रेरणाप्रद सत्य घटनाएँ" पुस्तक का मुख्य उद्देश्य है:

    • वास्तविक जीवन की घटनाओं के माध्यम से नैतिक शिक्षाएँ देना।

    • छात्रों, युवाओं और समाज के सभी वर्गों को उच्च जीवन-मूल्यों के प्रति प्रेरित करना।

    • धार्मिक, सामाजिक और आत्मिक स्तर पर मनुष्य को सशक्त बनाना।

    • आदर्श चरित्रों और कठिन समय में साहस दिखाने वालों की कहानियों से प्रेरणा देना।


    📖 सामग्री एवं संरचना:

    यह पुस्तक लगभग 105 सत्य घटनाओं का संग्रह है जो विभिन्न श्रेणियों में विभाजित की जा सकती हैं:

    1️⃣ देशभक्ति से ओतप्रोत घटनाएँ:

    • स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की कहानियाँ

    • बलिदान देने वाले अज्ञात नायकों की घटनाएँ

    2️⃣ धार्मिक व आध्यात्मिक प्रसंग:

    • संतों, महापुरुषों, ऋषियों के जीवन के प्रेरक प्रसंग

    • ईश्वरभक्ति से जुड़े चमत्कारिक अनुभव

    3️⃣ नैतिक शिक्षा की घटनाएँ:

    • सत्य, अहिंसा, करुणा, सेवा, दया जैसे मूल्यों की झलक

    • कठिन परिस्थिति में भी अपने सिद्धांतों पर अडिग रहने वाले लोग

    4️⃣ बालकों और युवाओं के लिए प्रेरणा:

    • बालकों के छोटे-छोटे साहसिक कार्य

    • स्कूली छात्रों की ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा


    🌿 शैली और भाषा:

    • सरल हिंदी भाषा, जिसे कोई भी पाठक (विशेषकर छात्र वर्ग) आसानी से समझ सकता है

    • संवादात्मक और रोचक शैली जो पाठक का मन बाँध लेती है

    • प्रत्येक घटना के अंत में सीख / प्रेरणा बिंदु दिया गया होता है

    • कहानियाँ छोटी, संक्षिप्त और प्रभावशाली होती हैं (1–2 पृष्ठों की)


    🎯 पाठकों के लिए उपयोगिता:

    यह पुस्तक विशेष रूप से उन पाठकों के लिए उपयुक्त है जो:

    • जीवन में प्रेरणा और आत्म-विश्वास की तलाश में हैं।

    • नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों को समझना और अपनाना चाहते हैं।

    • कहानियों के माध्यम से शिक्षा और प्रेरणा प्राप्त करना पसंद करते हैं।

  • नरसी मेहता गुजराती भक्तिसाहित्य की श्रेष्ठतम विभूति थे। उनके कृतित्व और व्यक्तित्व की महत्ता के अनुरूप साहित्य के इतिहासग्रंथों में "नरसिंह-मीरा-युग" नाम से एक स्वतंत्र काव्यकाल का निर्धारण किया गया है जिसकी मुख्य विशेषता भावप्रवण कृष्णभक्ति से अनुप्रेरित पदों का निर्माण है। इस पुस्तक में गुजरात के प्रसिद्ध भक्त श्री नरसिंह मेहता के चरित्र-चित्रण में उनके जीवन की अद्भुत घटनाओं का बड़ा ही भावात्मक वर्णन किया गया है। पुस्तक 20 अध्यायों में विभक्त की गयी है जिसमें नरसिंह मेहता पर महात्मा की कृपा, कुटुम्ब-विस्तार, शिव-अनुग्रह, रासदर्शन, अनन्याश्रय, कुँवरबाई का दहेज, भक्त और भगवान्, अन्तिम अवस्था आदि महत्वपूर्ण विषय हैं। भगवान के द्वारा भक्त के योग-क्षेम-वहन का नरसिंह मेहता जैसा अद्भुत चरित्र और कोई नहीं मिलता। 

    🌟 विशेषताएं:

    1. भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त:
      नरसिंह मेहता का जीवन श्रीकृष्ण की भक्ति में पूर्णतः समर्पित था। कहते हैं कि उन्होंने स्वयं भगवान कृष्ण के रासलीला दर्शन किए थे।

    2. भक्ति और काव्य का संगम:
      उन्होंने सरल गुजराती भाषा में पद, भजन और काव्य रचे, जिनमें श्रीकृष्ण की लीलाओं और भक्ति की महिमा का वर्णन है।

    3. ‘Vaishnav Jan To’ भजन:
      उनका रचित प्रसिद्ध भजन "Vaishnav Jan To Tene Kahiye Je, Peed Parayi Jaane Re..." महात्मा गांधी के जीवन का आदर्श बना। यह भजन आज भी देश-विदेश में प्रसिद्ध है।

    4. जाति-भेद का विरोध:
      नरसिंह मेहता ने सामाजिक भेदभाव, विशेषकर ऊँच-नीच की भावना, का विरोध किया। वे हर वर्ग के लोगों को भगवान का भक्त मानते थे।


    💡 प्रेरणादायक घटनाएं:

    • रासलीला दर्शन की कथा:
      एक बार नरसिंह मेहता गुफा में साधना कर रहे थे। वहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें दर्शन दिए और रासलीला में सम्मिलित किया। जब वे बाहर आए, तो उन्हें लगा कि कई दिन बीत चुके हैं, जबकि उन्हें लगा था कि कुछ ही समय हुआ था।

    • ईश्वर कृपा से विवाह खर्च:
      उनकी बेटी का विवाह निर्धनता के कारण कठिन हो रहा था। पर भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं एक ब्राह्मण के रूप में आकर सभी खर्च पूरे किए।

  • "देवी भागवत की प्रमुख कथाएँ" गीता प्रेस, गोरखपुर द्वारा प्रकाशित एक सुंदर और शिक्षाप्रद पुस्तक है, जो विशेष रूप से बच्चों और युवाओं के लिए बनाई गई है। इस पुस्तक में देवी भागवत पुराण की प्रमुख कहानियों को संक्षेप में रंगीन चित्रों के साथ प्रस्तुत किया गया है, जिससे पाठकों को हमारे महान ग्रंथों के बारे में जानकारी मिलती है और उनके संस्कार तथा ज्ञान में वृद्धि होती है

    📖 प्रमुख कहानियाँ

    इस पुस्तक में निम्नलिखित प्रमुख कथाएँ संकलित हैं:

    • भगवान विष्णु के हयग्रीव अवतार की कथा

    • मधु-कैटभ की कथा

    • महामुनि शुकदेव एवं तत्त्वज्ञानी जनक की कथा

    • भगवती महिषासुरमर्दिनी की कथा

    • राजा सुरथ एवं समाधि वैश्य को देवी-दर्शन की कथा

    • सत्यवादी महाराज हरिश्चन्द्र की कथा

    • भगवती शताक्षी (शाकम्भरी) की कथा

    • भगवती के 'दुर्गा' नाम का इतिहास

    • उमा (हैमवती) देवी की कथा

    • परात्पर भगवान श्यामसुंदर एवं मूल प्रकृति राधा की कथा

    • श्रीकृष्ण के वामांश से प्रकट राधा और श्रीकृष्ण द्वारा सृष्टि रचना की कथा

    • त्रिदेवों द्वारा भगवती की आराधना और रावणवध का वरदान

    • श्री भ्रामरी देवी की कथा

    • इन्द्रदर्पहारिणी भगवती आदिशक्ति की कथा

    • श्री भुवनेश्वरी देवी तथा उनका परमधाम मणिद्वीप की कथा

    • गायत्री महिमा और त्रिकालोपास्या भगवती गायत्री की कथा                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                          इन कहानियों के माध्यम से पाठकों को देवी की विभिन्न लीलाओं, अवतारों और भक्तों के साथ उनके संबंधों की जानकारी मिलती है, जो उनके आध्यात्मिक विकास में सहायक होती है ।यह पुस्तक न केवल बच्चों के लिए एक आदर्श उपहार है, बल्कि सभी आयु वर्ग के पाठकों के लिए देवी भागवत पुराण की गूढ़ शिक्षाओं को सरल और रोचक रूप में प्रस्तुत करती है

  • हिन्दू धर्म में विभिन्न देवताओं के अवतार की मान्यता है। प्रायः विष्णु के दस अवतार माने गये हैं जिन्हें दशावतार कहते हैं।

     दशावतार एक चित्रमय पुस्तक है, जो भगवान विष्णु के दस प्रमुख अवतारों की कथाओं को सरल हिंदी भाषा में प्रस्तुत करती है। इस पुस्तक में निम्नलिखित अवतारों की कहानियाँ शामिल हैं

    • मत्स्य (मछली)

    • कूर्म (कच्छप/कछुआ)

    • वराह (सूअर)

    • नरसिंह (आधा मानव, आधा सिंह)

    • वामन (बौना ब्राह्मण)

    • परशुराम (योद्धा ब्राह्मण)

    • राम (अयोध्या के राजा)

    • कृष्ण (द्वारका के राजा)

    • बुद्ध (गौतम बुद्ध)

    • कल्कि (भविष्य में आने वाला अवतार)

    • प्रत्येक अवतार की कथा को रंगीन चित्रों के साथ प्रस्तुत किया गया है, जिससे पाठकों को भगवान विष्णु के अवतारों की लीलाओं और उद्देश्यों को समझने में सहायता मिलती है। यह पुस्तक विशेष रूप से बच्चों और युवाओं के लिए उपयुक्त है, जो हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं में रुचि रखते हैं।

    • यह पुस्तक न केवल धार्मिक शिक्षा के लिए उपयोगी है, बल्कि बच्चों के लिए एक मनोरंजक और ज्ञानवर्धक संसाधन भी है। यदि आप अपने बच्चों को हिंदू धर्म की मूलभूत कथाओं से परिचित कराना चाहते हैं, तो यह पुस्तक एक उत्कृष्ट विकल्प है।