साधकों के पत्र/ Sadhakon ke patra

55.00

साधकों के पत्र” महान आध्यात्मिक साधक, विचारक और गीताप्रेस के संस्थापक-प्रेरक श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार द्वारा लिखित वह अनुपम संकलन है, जिसमें उन्होंने विभिन्न साधकों, जिज्ञासुओं, भक्तों और जीवन की दिशा खोजने वाले लोगों को अपने पत्रों के माध्यम से आध्यात्मिक, नैतिक और व्यावहारिक मार्गदर्शन दिया है।

इन पत्रों में न तो उपदेश है, न कोई अहं — यह एक सच्चे आत्मज्ञानी की आत्मीयता, करुणा और अनुभव का सहज प्रवाह है।


✉️ पुस्तक की विशेषताएँ:

  1. वास्तविक जीवन के प्रश्नों के उत्तर:
    ये पत्र हनुमान प्रसाद जी को विभिन्न साधकों ने लिखे थे — जैसे:

    • “मैं घर में रहते हुए ईश्वर-भजन कैसे करूँ?”

    • “मन बहुत चंचल है, साधना में कैसे लगाऊँ?”

    • “गृहस्थ धर्म निभाते हुए मोक्ष की दिशा कैसे अपनाऊँ?”

    • “क्या भक्ति और ज्ञान एक साथ चल सकते हैं?”
      इन जैसे सैकड़ों प्रश्नों के उत्तर अत्यंत सरल, गहराई से और अनुभवपूर्ण रूप में इन पत्रों में दिए गए हैं।

  2. गंभीर विषयों की सरल व्याख्या:
    आत्मा, परमात्मा, माया, भक्ति, साधना, सेवा, व्रत, संकल्प, मानसिक स्थिति, वैराग्य, परिवार में रहते हुए साधना — इन विषयों पर लेखक ने अत्यंत सहज भाषा में अत्यधिक प्रभावशाली विचार प्रस्तुत किए हैं।

  3. सामान्य जीवन को आध्यात्मिक बनाना:
    यह पुस्तक दिखाती है कि केवल जंगलों या मठों में रहकर नहीं, बल्कि परिवार, व्यापार और समाज में रहते हुए भी हम पूर्ण साधना और ईश्वर प्राप्ति की ओर अग्रसर हो सकते हैं।

  4. लेखन शैली:
    लेखक की शैली अत्यंत आत्मीय, करुणामय और व्यावहारिक है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे कोई बड़े-बुजुर्ग स्नेहपूर्वक आपका मार्गदर्शन कर रहे हों।


 

श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार जी (भाईजी) केवल एक लेखक नहीं, बल्कि आधुनिक भारत के सबसे बड़े धर्मप्रचारकों में से एक थे। उन्होंने कल्याण पत्रिका के माध्यम से लाखों लोगों को आध्यात्मिकता की राह दिखाई। उनका जीवन स्वयं भक्ति, सेवा, साधना और त्याग का प्रतिमान था।


🌿 पुस्तक का उद्देश्य:

  • साधकों की शंकाओं का समाधान करना

  • जीवन को ईश्वर-केन्द्रित बनाना

  • गृहस्थों के लिए भी साधना का मार्ग प्रशस्त करना

  • आत्मिक शांति व उन्नति के लिए यथार्थ मार्ग बताना


🪔 पाठकों के लिए विशेष सन्देश:

“साधकों के पत्र” एक ऐसी पुस्तक है जिसे आप एक बार नहीं, बार-बार पढ़ेंगे — हर बार नई प्रेरणा, नई दृष्टि और नई शांति मिलेगी। यह साधना-पथ पर चलने वालों के लिए एक अमूल्य पाथेय है।

Description

साधकों के पत्र” महान आध्यात्मिक साधक, विचारक और गीताप्रेस के संस्थापक-प्रेरक श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार द्वारा लिखित वह अनुपम संकलन है, जिसमें उन्होंने विभिन्न साधकों, जिज्ञासुओं, भक्तों और जीवन की दिशा खोजने वाले लोगों को अपने पत्रों के माध्यम से आध्यात्मिक, नैतिक और व्यावहारिक मार्गदर्शन दिया है।

इन पत्रों में न तो उपदेश है, न कोई अहं — यह एक सच्चे आत्मज्ञानी की आत्मीयता, करुणा और अनुभव का सहज प्रवाह है।


✉️ पुस्तक की विशेषताएँ:

  1. वास्तविक जीवन के प्रश्नों के उत्तर:
    ये पत्र हनुमान प्रसाद जी को विभिन्न साधकों ने लिखे थे — जैसे:

    • “मैं घर में रहते हुए ईश्वर-भजन कैसे करूँ?”

    • “मन बहुत चंचल है, साधना में कैसे लगाऊँ?”

    • “गृहस्थ धर्म निभाते हुए मोक्ष की दिशा कैसे अपनाऊँ?”

    • “क्या भक्ति और ज्ञान एक साथ चल सकते हैं?”
      इन जैसे सैकड़ों प्रश्नों के उत्तर अत्यंत सरल, गहराई से और अनुभवपूर्ण रूप में इन पत्रों में दिए गए हैं।

  2. गंभीर विषयों की सरल व्याख्या:
    आत्मा, परमात्मा, माया, भक्ति, साधना, सेवा, व्रत, संकल्प, मानसिक स्थिति, वैराग्य, परिवार में रहते हुए साधना — इन विषयों पर लेखक ने अत्यंत सहज भाषा में अत्यधिक प्रभावशाली विचार प्रस्तुत किए हैं।

  3. सामान्य जीवन को आध्यात्मिक बनाना:
    यह पुस्तक दिखाती है कि केवल जंगलों या मठों में रहकर नहीं, बल्कि परिवार, व्यापार और समाज में रहते हुए भी हम पूर्ण साधना और ईश्वर प्राप्ति की ओर अग्रसर हो सकते हैं।

  4. लेखन शैली:
    लेखक की शैली अत्यंत आत्मीय, करुणामय और व्यावहारिक है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे कोई बड़े-बुजुर्ग स्नेहपूर्वक आपका मार्गदर्शन कर रहे हों।


 

श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार जी (भाईजी) केवल एक लेखक नहीं, बल्कि आधुनिक भारत के सबसे बड़े धर्मप्रचारकों में से एक थे। उन्होंने कल्याण पत्रिका के माध्यम से लाखों लोगों को आध्यात्मिकता की राह दिखाई। उनका जीवन स्वयं भक्ति, सेवा, साधना और त्याग का प्रतिमान था।


🌿 पुस्तक का उद्देश्य:

  • साधकों की शंकाओं का समाधान करना

  • जीवन को ईश्वर-केन्द्रित बनाना

  • गृहस्थों के लिए भी साधना का मार्ग प्रशस्त करना

  • आत्मिक शांति व उन्नति के लिए यथार्थ मार्ग बताना


🪔 पाठकों के लिए विशेष सन्देश:

“साधकों के पत्र” एक ऐसी पुस्तक है जिसे आप एक बार नहीं, बार-बार पढ़ेंगे — हर बार नई प्रेरणा, नई दृष्टि और नई शांति मिलेगी। यह साधना-पथ पर चलने वालों के लिए एक अमूल्य पाथेय है।

Additional information

Weight 0.3 g

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “साधकों के पत्र/ Sadhakon ke patra”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related products