Description
श्रीकृष्ण ने उद्धव को दूत के रूप में ब्रजगोपियों के पास भेजा, उस संपूर्ण लीला का भावपूर्ण वर्णन।
उद्धव सन्देश – श्री कृष्ण उद्धव को दूत बनाकर भेजते हैं| राधा और अन्य गोपियों के विरह में अपनी दशा का वर्णन करने के लिए| वे उद्धव को उपदेश देते हैं कि वृन्दावन जाकर उनके सखाओं को प्रेम से आलिंगन करना, नन्द यशोदा को प्रणाम करना, गोपियों को सांत्वना देना और राधिका को वैजयंती माला का स्पर्श कर कर सचेत करना होगा|
हंसदूत- यह रचना श्री रूप गोस्वामी ने अहरी चैतन्य से साक्षात् के पूर्व रची थी| श्री कृष्ण के मथुरा जाने पर एक दिन राधा विरह अग्नि शांत करने के उद्देश्य से यमुना तट पर गयी| तटवर्ती कुंजों को देख कृष्ण स्मृति जाग गयी| विरह वेदना और तीव्र हो गयी और श्री राधा मूर्छित हो गयी| सभी सखियाँ प्राण रक्षा के लिए चेष्टा करने लगी| ललिता ने हंस को दूत बनाकर राधा का हाल बताने के लिए श्री कृष्ण के पास भेजा| राधा की अवस्था का विस्तार से ह्रदय स्पर्शी वर्णन किया है| अंत में श्री राधा की विरह दशा का वर्णन कर कृष्ण को वृन्दावन आने की प्रेरणा देने को कहा| इस ग्रन्थ में १४२ श्लोक हैं|
Additional information
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