भगवतत्त्व/Bhagwattatva

10.00

“भगवतत्त्व” एक संस्कृत शब्द है जो दो भागों से मिलकर बना है: “भगवत्” और “तत्त्व”। यह शब्द भगवान के स्वरूप या भगवान की उपासना की सिद्धांत को संकेत करता है। इसका अर्थ होता है “भगवान की सत्यता” या “दिव्यता का तत्त्व”।

भगवतत्त्व का अध्ययन धार्मिक और आध्यात्मिक विचारधारा में महत्वपूर्ण है। इसका अध्ययन उस निष्कल और निराकार आध्यात्मिक सत्य को समझने का प्रयास करता है, जो कि भगवान के स्वरूप, गुण, लीला, और उपासना के विषय में होता है। इसमें भगवान के सगुण और निर्गुण स्वरूप, भक्ति, ज्ञान, कर्म, और वैराग्य के तत्त्व शामिल होते हैं।

भगवतत्त्व के अध्ययन में वेदान्त, भक्ति, और तांत्रिक शास्त्रों के ग्रंथों को अध्ययन किया जाता है, जैसे कि श्रीमद्भगवद्गीता, श्रीमद्भागवत पुराण, उपनिषद, और तांत्रिक सूत्र। इन ग्रंथों के माध्यम से भगवतत्त्व की विविध आयाम और अर्थों का अध्ययन किया जाता है और व्यक्तिगत साधना और आध्यात्मिक विकास के लिए निर्देश दिया जाता है।

Description

भगवत_तत्व परमात्माम वास्तु तत्त्व समाज के लिए ना तो कोई दुष्टयन्तगा तीक्ष्ण हे प्रकारा लागू होता हे या ना कोई युक्ति हाय

“भगवतत्त्व” एक संस्कृत शब्द है जो दो भागों से मिलकर बना है: “भगवत्” और “तत्त्व”। यह शब्द भगवान के स्वरूप या भगवान की उपासना की सिद्धांत को संकेत करता है। इसका अर्थ होता है “भगवान की सत्यता” या “दिव्यता का तत्त्व”।

भगवतत्त्व का अध्ययन धार्मिक और आध्यात्मिक विचारधारा में महत्वपूर्ण है। इसका अध्ययन उस निष्कल और निराकार आध्यात्मिक सत्य को समझने का प्रयास करता है, जो कि भगवान के स्वरूप, गुण, लीला, और उपासना के विषय में होता है। इसमें भगवान के सगुण और निर्गुण स्वरूप, भक्ति, ज्ञान, कर्म, और वैराग्य के तत्त्व शामिल होते हैं।

भगवतत्त्व के अध्ययन में वेदान्त, भक्ति, और तांत्रिक शास्त्रों के ग्रंथों को अध्ययन किया जाता है, जैसे कि श्रीमद्भगवद्गीता, श्रीमद्भागवत पुराण, उपनिषद, और तांत्रिक सूत्र। इन ग्रंथों के माध्यम से भगवतत्त्व की विविध आयाम और अर्थों का अध्ययन किया जाता है और व्यक्तिगत साधना और आध्यात्मिक विकास के लिए निर्देश दिया जाता है।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “भगवतत्त्व/Bhagwattatva”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related products