Description
सादर प्रणाम | जय श्रीराधे |
आपके श्री करकमलों में यह ग्रन्थ प्रस्तुत करते हुए आज मुझे अतीव आनन्द और हर्ष हो रहा हैं साथ ही प्रभु की परम कृपा के साक्षात् दर्शन हो रहे हैं
हम आप सभी पर प्रभु की अतीव कृपा हैं बात बस इतनी सी हैं की हमारा ध्यान इस ओर नहीं हैं | साथ ही मानव स्वभाव वश हम और अधिक कृपा की अपेक्षा तो रखते हैं ,लेकिन जो है जितनी हैं उसके साथ न्याय नहीं रखते हैं , उतनी कृपा का सदुपयोग नहीं करते हैं|
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