नित्यकर्म प्रयोग/ Nitryakarm Prayog

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यह पुस्तक “नित्यकर्म-प्रयोग” है, जो कि गीता प्रेस, गोरखपुर द्वारा प्रकाशित की गई है। इस पुस्तक का उद्देश्य हिन्दू धर्म में प्रतिदिन किए जाने वाले नित्य कर्मों (जैसे संध्या-वंदन, पूजा, जप, हवन आदि) का विधिपूर्वक अभ्यास सिखाना है।

🔶 नित्यकर्म का अर्थ:

हिन्दू धर्म में “नित्यकर्म” वे कर्म होते हैं जिन्हें प्रत्येक श्रद्धालु को प्रतिदिन करना अनिवार्य माना गया है। ये कर्म धर्मशास्त्रों द्वारा निर्धारित हैं और जीवन को शुद्ध, अनुशासित तथा ईश्वर-केन्द्रित बनाने के लिए अत्यंत आवश्यक माने जाते हैं।

“नित्यकर्म-प्रयोग” पुस्तक में इन नित्यकर्मों की संपूर्ण विधियों का वर्णन अत्यंत शास्त्रीय एवं व्यावहारिक रूप में किया गया है।


🧘‍♂️ पुस्तक की प्रमुख सामग्री:

1. संध्या-वंदन विधि:

  • ब्राह्मणों, क्षत्रियों और वैश्य जातियों के लिए त्रिकाल संध्या का विधान

  • गायत्री मंत्र जप की विधि और महत्व

  • आचमन, प्राणायाम, अर्घ्य-प्रदान, मार्जन, उपस्थान आदि की विधियाँ

2. देव-पूजन:

  • गणेश, विष्णु, शिव, सूर्य आदि की दैनिक पूजा पद्धति

  • पंचोपचार और षोडशोपचार पूजन की संक्षिप्त एवं विस्तृत विधियाँ

  • पुष्प अर्पण, धूप-दीप, नैवेद्य और आरती

3. हवन-विधि:

  • अग्नि स्थापन, आहुति मंत्र, स्वाहा के प्रयोग के साथ हवन करना

  • गृहस्थों के लिए नित्य हवन का महत्व और सरल प्रयोग

4. जप और ध्यान:

  • मंत्र-जप की मानसिक, वाचिक और उपांशु विधियाँ

  • ध्यान की सरल पद्धति — देवता का ध्यान कैसे करें?

  • माला की विधिवत उपयोग विधि

5. स्नान-संस्कार:

  • स्नान से पूर्व मंत्र, स्नान की विधि, वस्त्र-धारण आदि

  • आत्म-शुद्धि और मनोभाव की शुद्धता पर बल

6. तर्पण और पितृ-कर्म:

  • नित्य पितृ-तर्पण का संक्षिप्त विधान

  • पितरों को श्रद्धा से जल अर्पण करना क्यों आवश्यक है?

7. आरती, स्तुति और प्रार्थनाएँ:

  • विभिन्न देवताओं की आरतियाँ और स्तुति

  • प्रातः-संध्या, मध्याह्न और सायं के समय की प्रार्थनाएँ


🌟 विशेषताएँ:

  • सरल भाषा में जटिल वैदिक विधियों को प्रस्तुत किया गया है

  • संस्कृत श्लोकों के साथ उनका हिन्दी अनुवाद एवं उपयोग विधि भी दी गई है

  • चित्रों के माध्यम से विधियों की दृश्यात्मक सहायता दी गई है (जैसे कवर पर दिखाया गया है)

  • नवीन और अनुभवी साधकों दोनों के लिए उपयुक्त


🖼️ मुखपृष्ठ की प्रतीकात्मक व्याख्या:

कवर चित्र में:

  • केंद्र में एक दिव्य आकृति (भगवान) से प्रकाश फैल रहा है — यह परमात्मा का प्रतीक है जो सभी नित्यकर्मों का केंद्र है।

  • चारों ओर विभिन्न क्रियाएँ करते हुए पुरुष दर्शाए गए हैं — जो कि दैनिक धार्मिक कृत्यों जैसे पूजा, संध्या, जप, हवन, ध्यान आदि में लीन हैं।

  • यह चित्र यह बताता है कि ये सभी कर्म भगवान की कृपा प्राप्ति के साधन हैं।


🎯 किसके लिए उपयोगी है यह पुस्तक?

  • विद्यार्थी जो वैदिक पद्धति सीखना चाहते हैं

  • गृहस्थजन जो नित्य कर्म करना आरंभ करना चाहते हैं

  • ब्राह्मण और कर्मकाण्ड करने वाले पुजारी

  • सनातन धर्म के साधक जो दैनिक साधना को नियमबद्ध बनाना चाहते हैं


📘 निष्कर्ष:

नित्यकर्म-प्रयोग केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि एक आदर्श दिनचर्या का पथदर्शक ग्रंथ है, जो जीवन में आध्यात्मिक अनुशासन, मानसिक शुद्धि, और ईश्वर से जुड़ाव को सहज बनाता है। यह पारंपरिक सनातन धर्म की अनमोल विधियों को सहज भाषा और शुद्ध स्वरूप में प्रस्तुत करता है।

Description

यह पुस्तक “नित्यकर्म-प्रयोग” है, जो कि गीता प्रेस, गोरखपुर द्वारा प्रकाशित की गई है। इस पुस्तक का उद्देश्य हिन्दू धर्म में प्रतिदिन किए जाने वाले नित्य कर्मों (जैसे संध्या-वंदन, पूजा, जप, हवन आदि) का विधिपूर्वक अभ्यास सिखाना है।

🔶 नित्यकर्म का अर्थ:

हिन्दू धर्म में “नित्यकर्म” वे कर्म होते हैं जिन्हें प्रत्येक श्रद्धालु को प्रतिदिन करना अनिवार्य माना गया है। ये कर्म धर्मशास्त्रों द्वारा निर्धारित हैं और जीवन को शुद्ध, अनुशासित तथा ईश्वर-केन्द्रित बनाने के लिए अत्यंत आवश्यक माने जाते हैं।

“नित्यकर्म-प्रयोग” पुस्तक में इन नित्यकर्मों की संपूर्ण विधियों का वर्णन अत्यंत शास्त्रीय एवं व्यावहारिक रूप में किया गया है।


🧘‍♂️ पुस्तक की प्रमुख सामग्री:

1. संध्या-वंदन विधि:

  • ब्राह्मणों, क्षत्रियों और वैश्य जातियों के लिए त्रिकाल संध्या का विधान

  • गायत्री मंत्र जप की विधि और महत्व

  • आचमन, प्राणायाम, अर्घ्य-प्रदान, मार्जन, उपस्थान आदि की विधियाँ

2. देव-पूजन:

  • गणेश, विष्णु, शिव, सूर्य आदि की दैनिक पूजा पद्धति

  • पंचोपचार और षोडशोपचार पूजन की संक्षिप्त एवं विस्तृत विधियाँ

  • पुष्प अर्पण, धूप-दीप, नैवेद्य और आरती

3. हवन-विधि:

  • अग्नि स्थापन, आहुति मंत्र, स्वाहा के प्रयोग के साथ हवन करना

  • गृहस्थों के लिए नित्य हवन का महत्व और सरल प्रयोग

4. जप और ध्यान:

  • मंत्र-जप की मानसिक, वाचिक और उपांशु विधियाँ

  • ध्यान की सरल पद्धति — देवता का ध्यान कैसे करें?

  • माला की विधिवत उपयोग विधि

5. स्नान-संस्कार:

  • स्नान से पूर्व मंत्र, स्नान की विधि, वस्त्र-धारण आदि

  • आत्म-शुद्धि और मनोभाव की शुद्धता पर बल

6. तर्पण और पितृ-कर्म:

  • नित्य पितृ-तर्पण का संक्षिप्त विधान

  • पितरों को श्रद्धा से जल अर्पण करना क्यों आवश्यक है?

7. आरती, स्तुति और प्रार्थनाएँ:

  • विभिन्न देवताओं की आरतियाँ और स्तुति

  • प्रातः-संध्या, मध्याह्न और सायं के समय की प्रार्थनाएँ


🌟 विशेषताएँ:

  • सरल भाषा में जटिल वैदिक विधियों को प्रस्तुत किया गया है

  • संस्कृत श्लोकों के साथ उनका हिन्दी अनुवाद एवं उपयोग विधि भी दी गई है

  • चित्रों के माध्यम से विधियों की दृश्यात्मक सहायता दी गई है (जैसे कवर पर दिखाया गया है)

  • नवीन और अनुभवी साधकों दोनों के लिए उपयुक्त


🖼️ मुखपृष्ठ की प्रतीकात्मक व्याख्या:

कवर चित्र में:

  • केंद्र में एक दिव्य आकृति (भगवान) से प्रकाश फैल रहा है — यह परमात्मा का प्रतीक है जो सभी नित्यकर्मों का केंद्र है।

  • चारों ओर विभिन्न क्रियाएँ करते हुए पुरुष दर्शाए गए हैं — जो कि दैनिक धार्मिक कृत्यों जैसे पूजा, संध्या, जप, हवन, ध्यान आदि में लीन हैं।

  • यह चित्र यह बताता है कि ये सभी कर्म भगवान की कृपा प्राप्ति के साधन हैं।


🎯 किसके लिए उपयोगी है यह पुस्तक?

  • विद्यार्थी जो वैदिक पद्धति सीखना चाहते हैं

  • गृहस्थजन जो नित्य कर्म करना आरंभ करना चाहते हैं

  • ब्राह्मण और कर्मकाण्ड करने वाले पुजारी

  • सनातन धर्म के साधक जो दैनिक साधना को नियमबद्ध बनाना चाहते हैं


📘 निष्कर्ष:

नित्यकर्म-प्रयोग केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि एक आदर्श दिनचर्या का पथदर्शक ग्रंथ है, जो जीवन में आध्यात्मिक अनुशासन, मानसिक शुद्धि, और ईश्वर से जुड़ाव को सहज बनाता है। यह पारंपरिक सनातन धर्म की अनमोल विधियों को सहज भाषा और शुद्ध स्वरूप में प्रस्तुत करता है।

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