तत्व चिन्तामणि -भाग -6/ Tatva Chintamani- Part-6

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“तत्त्वचिन्तामणि – भाग 6 जयदयाल गोयन्दका द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो भारतीय दर्शन, विशेषकर न्याय-वैशेषिक परंपरा, के गहन विचारों को सरल हिंदी भाषा में प्रस्तुत करता है। इस पुस्तक में दार्शनिक विषयों की जटिलताओं को सहजता से समझाया गया है, जिससे यह सामान्य पाठकों के लिए भी बोधगम्य बनती है।


🧠 मुख्य विषयवस्तु:

  • ज्ञानमीमांसा (Epistemology): ज्ञान के स्रोत, उसकी प्रकृति और मान्यता पर विस्तृत चर्चा।

  • तर्कशास्त्र (Logic): तर्क के सिद्धांतों, प्रमाणों और निष्कर्षों का विश्लेषण।

  • दर्शनशास्त्र: भारतीय दर्शन की विभिन्न शाखाओं, जैसे सांख्य, योग, वेदांत आदि, के मूल सिद्धांतों की व्याख्या।

  • न्याय-वैशेषिक सिद्धांत: न्याय और वैशेषिक दर्शन के प्रमुख विचारों का समावेश।


पुस्तक की विशेषताएँ:

  • सरल भाषा: जटिल दार्शनिक विषयों को सरल हिंदी में प्रस्तुत किया गया है।

  • व्यापकता: पुस्तक में विभिन्न दार्शनिक विषयों की विस्तृत चर्चा की गई है।

  • प्रामाणिकता: लेखक ने प्राचीन ग्रंथों और शास्त्रों के उद्धरणों के माध्यम से विषयवस्तु को प्रमाणित किया है।


🎯 पाठकों के लिए उपयोगिता:

यह पुस्तक उन पाठकों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जो भारतीय दर्शन, तर्कशास्त्र और ज्ञानमीमांसा में रुचि रखते हैं। छात्र, शोधकर्ता, अध्यापक और दर्शन के जिज्ञासु इस ग्रंथ से लाभान्वित हो सकते हैं।

Description

“तत्त्वचिन्तामणि – भाग 6 जयदयाल गोयन्दका द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो भारतीय दर्शन, विशेषकर न्याय-वैशेषिक परंपरा, के गहन विचारों को सरल हिंदी भाषा में प्रस्तुत करता है। इस पुस्तक में दार्शनिक विषयों की जटिलताओं को सहजता से समझाया गया है, जिससे यह सामान्य पाठकों के लिए भी बोधगम्य बनती है।


🧠 मुख्य विषयवस्तु:

  • ज्ञानमीमांसा (Epistemology): ज्ञान के स्रोत, उसकी प्रकृति और मान्यता पर विस्तृत चर्चा।

  • तर्कशास्त्र (Logic): तर्क के सिद्धांतों, प्रमाणों और निष्कर्षों का विश्लेषण।

  • दर्शनशास्त्र: भारतीय दर्शन की विभिन्न शाखाओं, जैसे सांख्य, योग, वेदांत आदि, के मूल सिद्धांतों की व्याख्या।

  • न्याय-वैशेषिक सिद्धांत: न्याय और वैशेषिक दर्शन के प्रमुख विचारों का समावेश।


पुस्तक की विशेषताएँ:

  • सरल भाषा: जटिल दार्शनिक विषयों को सरल हिंदी में प्रस्तुत किया गया है।

  • व्यापकता: पुस्तक में विभिन्न दार्शनिक विषयों की विस्तृत चर्चा की गई है।

  • प्रामाणिकता: लेखक ने प्राचीन ग्रंथों और शास्त्रों के उद्धरणों के माध्यम से विषयवस्तु को प्रमाणित किया है।


🎯 पाठकों के लिए उपयोगिता:

यह पुस्तक उन पाठकों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जो भारतीय दर्शन, तर्कशास्त्र और ज्ञानमीमांसा में रुचि रखते हैं। छात्र, शोधकर्ता, अध्यापक और दर्शन के जिज्ञासु इस ग्रंथ से लाभान्वित हो सकते हैं।

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