Description
नित्याललिना श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार की यह उत्कृष्ट पुस्तक गीता पर शानदार लेखों, परोपकारी विचारों और दुर्लभ पत्रों का संग्रह है, जो विभिन्न शौक, अधिकार और ज्ञान रखने वाले व्यक्तियों को ईश्वर-प्राप्ति के मार्ग और कर्तव्य की भावना के प्रति प्रेरित करने के लिए प्रेरित करते हैं। स्वयं। पुस्तक में गीता के श्लोकों की संक्षिप्त व्याख्या भी है। इस पुस्तक में गीता में भक्तियोग के सिद्धांत, निस्वार्थ कर्म, आत्मा के शाश्वत रूप, ईश्वर के प्रति समर्पण के रूप और वैराग्य आदि अनेक विषयों पर विशद विवेचन है। सचित्र, सजिल्द।
Additional information
Weight | 0.7 g |
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