Description
जिस प्रकार असत्य, हिंसा और मैथुनादि कर्म बुद्धि में निश्चय
हो जाने पर भी उन्हें
मन नहीं छोड़ता, इसी प्रकार बुद्धि विचार
द्वारा संसार को कल्पित निश्चय कर लेती है परंतू मन इस बात को नहीं मानता
जिस प्रकार असत्य, हिंसा और मैथुनादि कर्म बुद्धि में निश्चय
हो जाने पर भी उन्हें
मन नहीं छोड़ता, इसी प्रकार बुद्धि विचार
द्वारा संसार को कल्पित निश्चय कर लेती है परंतू मन इस बात को नहीं मानता
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