कल्याण कैसे हो ?/ kalyan Kaise ho?

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 इस लेख में अनुभवसिद्ध तत्त्वोंका विवेचन और आदर्श सदगुणोंका प्रदर्शन बड़े ही सुन्दर ढंगसे किया गया है । आसुरी दुर्गुणोंसे छूटकर अपनी ऐहिक और पारलौकिक उन्नति चाहनेवाले और मनुष्यजीवनमें परम ध्येयकी प्राप्ति करनेकी इच्छा रखनेवाले प्रत्येक नरनारीको इस अन्धका अध्ययन और मनन करना चाहिये । आशा है, मेरे इस निवेदनपर सब लोग ध्यान देंगे ।

श्री मद्भगवद्गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि मानव जीवन का एकमात्र उद्देश्य आत्म-साक्षात्कार करना है। मनुष्य की आत्मा परम सत्य को जानने के बाद जीवन मुक्ति की अधिकारी हो जाती है और मनुष्य इस संसार समुद्र से पूर्णतया मुक्त होकर पुनः संसार चक्र में नहीं फँसता।

Description

“कल्याण कैसे हो?” पुस्तक एक अत्यंत उपयोगी, संक्षिप्त और मार्गदर्शक ग्रंथ है, जिसमें जयदयाल गोयन्दका जी ने आध्यात्मिक जीवन की साधना, आत्मा के कल्याण और मोक्ष की प्राप्ति के साधनों को अत्यंत सरल भाषा में स्पष्ट किया है। यह पुस्तक उन सभी व्यक्तियों के लिए है जो जीवन के अंतिम उद्देश्य — आत्मकल्याण — को समझना और प्राप्त करना चाहते हैं।


🌟 मुख्य विषयवस्तु और विशेषताएँ:

🔹 कल्याण का वास्तविक अर्थ:

पुस्तक में स्पष्ट किया गया है कि “कल्याण” का तात्पर्य केवल सांसारिक सुख-सुविधाओं से नहीं है, बल्कि आत्मा की परम गति, ईश्वर प्राप्ति, और मोक्ष ही उसका सच्चा स्वरूप है।

🔹 संसार में फंसे जीव की स्थिति:

मनुष्य किस प्रकार अज्ञानवश देह, धन, संबंध, और विषयों में फंसकर अपने कल्याण से विमुख हो गया है—इसकी यथार्थ विवेचना की गई है।

🔹 कल्याण का मार्ग:

पुस्तक में बताया गया है कि आत्मकल्याण कैसे संभव है—इसके लिए निम्न बातें आवश्यक हैं:

  • श्रद्धा और विश्वास

  • सत्संग और शास्त्राध्ययन

  • भगवद्भक्ति और नामस्मरण

  • निष्काम कर्म और त्याग

  • अहंकार की निवृत्ति और शरणागति

🔹 श्रीभगवान की शरणागति का महत्व:

कल्याण का परम उपाय भगवान की पूर्ण शरणागति है। गोयन्दका जी ने भगवद्गीता, श्रीरामचरितमानस और अन्य शास्त्रों के सन्दर्भों से यह सिद्ध किया है कि जीव का परम कल्याण केवल भगवान के चरणों में समर्पण से ही संभव है।

🔹 सरल भाषा, प्रभावी शैली:

लेखक की भाषा अत्यंत सहज और सरस है, जिससे यह पुस्तक नवोदित साधकों के लिए भी पूरी तरह उपयुक्त है।


📚 पुस्तक के अध्यायों का संक्षिप्त क्रम (संभावित):

  1. कल्याण का अर्थ क्या है?

  2. आत्मा का स्वरूप और लक्ष्य

  3. संसार का स्वरूप और उसका बंधन

  4. शरणागति – कल्याण का उपाय

  5. भगवत्कृपा और पुरुषार्थ

  6. साधन, भक्ति और सेवा

  7. नामजप और भगवान का स्मरण

  8. निष्काम कर्म और समर्पण

  9. अंत समय में स्मरण की महिमा

  10. निष्कर्ष: जीवन का परम उद्देश्य


🙏 उपयोगिता:

  • साधकों और धर्मान्वेषियों के लिए अमूल्य पथप्रदर्शक

  • जीवन में आत्मा और परमात्मा के संबंध को समझने का श्रेष्ठ माध्यम

  • नवयुवकों और गृहस्थों के लिए आध्यात्मिक जागृति का प्रारंभिक साधन


🔚 निष्कर्ष:

“कल्याण कैसे हो?” एक ऐसी अद्भुत पुस्तक है जो पाठक के भीतर आत्म-जागरण उत्पन्न करती है। यह केवल एक धार्मिक पुस्तक नहीं, बल्कि जीवन के अंतिम लक्ष्य की ओर बढ़ने की स्पष्ट और व्यावहारिक मार्गदर्शिका है। जयदयाल गोयन्दका जी की यह रचना प्रत्येक हिन्दू परिवार के पुस्तकालय में अवश्य होनी चाहिए।

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