आनन्द कैसे मिले ?/ Anand Kaise Mile?

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“आनन्द कैसे मिले? पुस्तक का उद्देश्य है — मानव जीवन में सच्चे और शाश्वत आनन्द की प्राप्ति का मार्ग बताना। लेखक जयदयाल गोयंदका जी ने बताया है कि यह संसार जितना आकर्षक दिखता है, उतना ही क्षणिक और दुखदायी भी है। व्यक्ति जितना बाह्य सुखों के पीछे भागता है, उतना ही दुख और असंतोष अनुभव करता है।

🔍 मुख्य विषय-वस्तु:

  1. सच्चा आनन्द क्या है?
    सच्चा आनन्द आत्मा का गुण है, जो भगवान से जुड़ने पर ही प्राप्त होता है।

  2. भौतिक सुखों की सीमाएं:
    भोग-विलास, धन, पद, प्रतिष्ठा आदि से मिलने वाला सुख अल्पकालिक होता है।

  3. आध्यात्मिक उपाय:

    • भगवन्नाम का जप

    • भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति

    • सत्संग

    • धर्म का आचरण

    • सेवा, त्याग और प्रेमपूर्ण जीवन

  4. बालकों के दृष्टांत:
    पुस्तक में श्रीकृष्ण और उनके सखा गोप-बालकों की लीलाओं के माध्यम से यह दर्शाया गया है कि सरल, निष्काम और भक्ति-युक्त जीवन ही आनन्ददायक है।

  5. शाश्वत समाधान:
    संसार में सुख नहीं है, बल्कि भगवान की शरण में जाने से ही स्थायी आनन्द मिलता है।


🌼 उद्देश्य:

पाठक इस पुस्तक को पढ़कर यह समझ पाता है कि:

  • सुख और आनन्द में फर्क है

  • सच्चा आनन्द केवल ईश्वर की भक्ति और आत्मिक शुद्धता से मिलता है

  • साधना और विवेकपूर्ण जीवन से ही स्थायी संतोष संभव है

Description

“आनन्द कैसे मिले? पुस्तक का उद्देश्य है — मानव जीवन में सच्चे और शाश्वत आनन्द की प्राप्ति का मार्ग बताना। लेखक जयदयाल गोयंदका जी ने बताया है कि यह संसार जितना आकर्षक दिखता है, उतना ही क्षणिक और दुखदायी भी है। व्यक्ति जितना बाह्य सुखों के पीछे भागता है, उतना ही दुख और असंतोष अनुभव करता है।

🔍 मुख्य विषय-वस्तु:

  1. सच्चा आनन्द क्या है?
    सच्चा आनन्द आत्मा का गुण है, जो भगवान से जुड़ने पर ही प्राप्त होता है।

  2. भौतिक सुखों की सीमाएं:
    भोग-विलास, धन, पद, प्रतिष्ठा आदि से मिलने वाला सुख अल्पकालिक होता है।

  3. आध्यात्मिक उपाय:

    • भगवन्नाम का जप

    • भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति

    • सत्संग

    • धर्म का आचरण

    • सेवा, त्याग और प्रेमपूर्ण जीवन

  4. बालकों के दृष्टांत:
    पुस्तक में श्रीकृष्ण और उनके सखा गोप-बालकों की लीलाओं के माध्यम से यह दर्शाया गया है कि सरल, निष्काम और भक्ति-युक्त जीवन ही आनन्ददायक है।

  5. शाश्वत समाधान:
    संसार में सुख नहीं है, बल्कि भगवान की शरण में जाने से ही स्थायी आनन्द मिलता है।


🌼 उद्देश्य:

पाठक इस पुस्तक को पढ़कर यह समझ पाता है कि:

  • सुख और आनन्द में फर्क है

  • सच्चा आनन्द केवल ईश्वर की भक्ति और आत्मिक शुद्धता से मिलता है

  • साधना और विवेकपूर्ण जीवन से ही स्थायी संतोष संभव है

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Weight 0.4 g

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