अभिलाषामृत/ Abhilassamrit

40.00

श्रीप्रिया जी के शीश की केशलट और श्रीप्रियतम के शीश के केश-जाल की सुन्दरता में अनुपम स्पर्धा हो रही है। गौरांग पर नीलाम्बर की लिपटान और श्यामांग पर पीताम्बर की फहरान हृदय में धँस जाए तो क्या विस्मय किया जाय! युगल के नयनों की अनुपम सुन्दरता पर कमल विलज्जित हो जायँ, यह स्वाभाविक है। तुम दोनों की पारस्परिक बतरावन अनुराग-रस की सर्वदा वर्षा करती रहती है

Description

श्रीप्रिया जी के शीश की केशलट और श्रीप्रियतम के शीश के केश-जाल की सुन्दरता में अनुपम स्पर्धा हो रही है। गौरांग पर नीलाम्बर की लिपटान और श्यामांग पर पीताम्बर की फहरान हृदय में धँस जाए तो क्या विस्मय किया जाय! युगल के नयनों की अनुपम सुन्दरता पर कमल विलज्जित हो जायँ, यह स्वाभाविक है। तुम दोनों की पारस्परिक बतरावन अनुराग-रस की सर्वदा वर्षा करती रहती है

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