स्त्रियों के लिये कर्तव्यशिक्षा/ Striyon Ke liye Kartavya Shikshya

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“स्त्रियों के लिये कर्तव्य शिक्षा” एक अत्यंत उपयोगी और शिक्षाप्रद पुस्तक है, जिसमें नारी जीवन के विभिन्न पक्षों पर धर्म, संस्कृति, मर्यादा और कर्तव्य के आलोक में मार्गदर्शन प्रदान किया गया है। यह पुस्तक विशेष रूप से भारतीय सनातन संस्कृति और गृहस्थ धर्म की मर्यादाओं को ध्यान में रखते हुए स्त्रियों के आदर्श जीवन का मार्ग प्रशस्त करती है।


📖 मुख्य विषयवस्तु:

  1. नारी का स्थान और महत्व

    • भारतीय संस्कृति में नारी को ‘गृहलक्ष्मी’, ‘धर्मपत्नी’, ‘संस्कारदायिनी’ और ‘संस्कृति की रक्षक’ के रूप में सम्मान प्राप्त है।

    • नारी परिवार की रीढ़ होती है, जो संस्कारों की नींव डालती है।

  2. पत्नी का धर्म और कर्तव्य

    • पति के प्रति श्रद्धा, सेवा, सहयोग और उसकी उन्नति में भागी बनने की प्रेरणा।

    • विवाह पश्चात स्त्री का जीवन किस प्रकार धर्ममय और त्यागमय होना चाहिए – इसका विवेचन।

  3. मातृत्व का आदर्श

    • मातृत्व की गरिमा और बच्चों को धार्मिक व नैतिक शिक्षा देने की जिम्मेदारी पर प्रकाश।

  4. नारी और संयम

    • इन्द्रियों पर नियंत्रण, चरित्र की शुद्धता, शील और सदाचार का महत्व।

  5. सद्गुणों की साधना

    • विनय, सहनशीलता, दया, क्षमा, संतोष, सादगी आदि गुणों के विकास की आवश्यकता।

  6. स्त्रियों के लिए शिक्षा का उद्देश्य

    • नारी शिक्षा का उद्देश्य केवल नौकरी या व्यवसाय नहीं, अपितु धर्म, सेवा, परिवार व्यवस्था और आत्मिक उन्नति होना चाहिए।

  7. आदर्श स्त्रियों के जीवन प्रसंग

    • सीता, सावित्री, अनसूया, गार्गी, मदालसा आदि महान स्त्रियों के प्रेरक जीवन प्रसंग।


🌷 पुस्तक की विशेषताएँ:

  • सरल हिंदी में लिखा गया है, जिससे हर आयु की स्त्रियाँ सहजता से समझ सकें।

  • प्राचीन शास्त्रीय दृष्टिकोण के साथ-साथ व्यावहारिक शिक्षा को मिलाकर प्रस्तुत किया गया है।

  • पारिवारिक जीवन, वैवाहिक संबंध, मातृत्व और सामाजिक व्यवहार को संतुलित करने की दिशा में उत्कृष्ट मार्गदर्शन।

  • स्त्रियों के आत्मविकास, धार्मिक जीवन और संयमयुक्त व्यवहार को बढ़ावा देने वाली अमूल्य पुस्तक।


🙏 उपयोगिता:

यह पुस्तक उन स्त्रियों के लिए अत्यंत उपयोगी है जो अपने जीवन को धर्ममय, मर्यादित, संस्कारित और समाजोपयोगी बनाना चाहती हैं। साथ ही यह युवा कन्याओं, गृहिणियों और माताओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

Description

“स्त्रियों के लिये कर्तव्य शिक्षा” एक अत्यंत उपयोगी और शिक्षाप्रद पुस्तक है, जिसमें नारी जीवन के विभिन्न पक्षों पर धर्म, संस्कृति, मर्यादा और कर्तव्य के आलोक में मार्गदर्शन प्रदान किया गया है। यह पुस्तक विशेष रूप से भारतीय सनातन संस्कृति और गृहस्थ धर्म की मर्यादाओं को ध्यान में रखते हुए स्त्रियों के आदर्श जीवन का मार्ग प्रशस्त करती है।


📖 मुख्य विषयवस्तु:

  1. नारी का स्थान और महत्व

    • भारतीय संस्कृति में नारी को ‘गृहलक्ष्मी’, ‘धर्मपत्नी’, ‘संस्कारदायिनी’ और ‘संस्कृति की रक्षक’ के रूप में सम्मान प्राप्त है।

    • नारी परिवार की रीढ़ होती है, जो संस्कारों की नींव डालती है।

  2. पत्नी का धर्म और कर्तव्य

    • पति के प्रति श्रद्धा, सेवा, सहयोग और उसकी उन्नति में भागी बनने की प्रेरणा।

    • विवाह पश्चात स्त्री का जीवन किस प्रकार धर्ममय और त्यागमय होना चाहिए – इसका विवेचन।

  3. मातृत्व का आदर्श

    • मातृत्व की गरिमा और बच्चों को धार्मिक व नैतिक शिक्षा देने की जिम्मेदारी पर प्रकाश।

  4. नारी और संयम

    • इन्द्रियों पर नियंत्रण, चरित्र की शुद्धता, शील और सदाचार का महत्व।

  5. सद्गुणों की साधना

    • विनय, सहनशीलता, दया, क्षमा, संतोष, सादगी आदि गुणों के विकास की आवश्यकता।

  6. स्त्रियों के लिए शिक्षा का उद्देश्य

    • नारी शिक्षा का उद्देश्य केवल नौकरी या व्यवसाय नहीं, अपितु धर्म, सेवा, परिवार व्यवस्था और आत्मिक उन्नति होना चाहिए।

  7. आदर्श स्त्रियों के जीवन प्रसंग

    • सीता, सावित्री, अनसूया, गार्गी, मदालसा आदि महान स्त्रियों के प्रेरक जीवन प्रसंग।


🌷 पुस्तक की विशेषताएँ:

  • सरल हिंदी में लिखा गया है, जिससे हर आयु की स्त्रियाँ सहजता से समझ सकें।

  • प्राचीन शास्त्रीय दृष्टिकोण के साथ-साथ व्यावहारिक शिक्षा को मिलाकर प्रस्तुत किया गया है।

  • पारिवारिक जीवन, वैवाहिक संबंध, मातृत्व और सामाजिक व्यवहार को संतुलित करने की दिशा में उत्कृष्ट मार्गदर्शन।

  • स्त्रियों के आत्मविकास, धार्मिक जीवन और संयमयुक्त व्यवहार को बढ़ावा देने वाली अमूल्य पुस्तक।


🙏 उपयोगिता:

यह पुस्तक उन स्त्रियों के लिए अत्यंत उपयोगी है जो अपने जीवन को धर्ममय, मर्यादित, संस्कारित और समाजोपयोगी बनाना चाहती हैं। साथ ही यह युवा कन्याओं, गृहिणियों और माताओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

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