महाभाव-कल्लोलिनी/ Mahabhav- Kallolini

25.00

इस पुस्तक में राधाजन्म महोत्सव का वर्णन किया गया है।

श्रीजी राधारानी की 8 सखियां थीं। अष्टसखियों के नाम हैं- 1. ललिता, 2. विशाखा, 3. चित्रा, 4. इंदुलेखा, 5. चंपकलता, 6. रंगदेवी, 7. तुंगविद्या और 8. सुदेवी। राधारानी की इन आठ सखियों को ही “अष्टसखी” कहा जाता है। श्रीधाम वृंदावन में इन अष्टसखियों का मंदिर भी स्थित है। आओ इस बार जानते हैं सुदेवी के बारे में संक्षिप्त जानकारी।

1. सुदेवी का अंग सोने के समान है।
2. वे मूंगे के रंग की साड़ी धारण करती हैं।
3. वह श्रीराधीजी की सुंदर वेणी बनाने में कुशल है।
4. वह श्रीराधाजी और श्रीकृष्ण को जल पिलाने की सेवा करती हैं।
5. सुदेवी आरावली पर्वत श्रेणी के सुनहरा गांव की रहने वाली है।
6. सुदेवी को हरिप्रिया भी कहा गया है।
7. सुदेवी सखी श्रीराधाजी के केश विन्यास, आंखों में अंजन, गात्र मर्दन करना आदि का कार्य भी करती हैं।
8. सुदेवी सखी शुकों को शिक्षण-प्रशिक्षण देना, शकुन विद्या और बागवानी करने में निपुण हैं।

जल निर्मल पावन सुरभित से
करती जो सेवा अभिराम।
ललित लाड़िली की जो करती
बेणी रचना परम ललाम। (महाभाव कल्लोलिनी)

Description

इस पुस्तक में राधाजन्म महोत्सव का वर्णन किया गया है।

श्रीजी राधारानी की 8 सखियां थीं। अष्टसखियों के नाम हैं- 1. ललिता, 2. विशाखा, 3. चित्रा, 4. इंदुलेखा, 5. चंपकलता, 6. रंगदेवी, 7. तुंगविद्या और 8. सुदेवी। राधारानी की इन आठ सखियों को ही “अष्टसखी” कहा जाता है। श्रीधाम वृंदावन में इन अष्टसखियों का मंदिर भी स्थित है। आओ इस बार जानते हैं सुदेवी के बारे में संक्षिप्त जानकारी।

1. सुदेवी का अंग सोने के समान है।
2. वे मूंगे के रंग की साड़ी धारण करती हैं।
3. वह श्रीराधीजी की सुंदर वेणी बनाने में कुशल है।
4. वह श्रीराधाजी और श्रीकृष्ण को जल पिलाने की सेवा करती हैं।
5. सुदेवी आरावली पर्वत श्रेणी के सुनहरा गांव की रहने वाली है।
6. सुदेवी को हरिप्रिया भी कहा गया है।
7. सुदेवी सखी श्रीराधाजी के केश विन्यास, आंखों में अंजन, गात्र मर्दन करना आदि का कार्य भी करती हैं।
8. सुदेवी सखी शुकों को शिक्षण-प्रशिक्षण देना, शकुन विद्या और बागवानी करने में निपुण हैं।

जल निर्मल पावन सुरभित से
करती जो सेवा अभिराम।
ललित लाड़िली की जो करती
बेणी रचना परम ललाम। (महाभाव कल्लोलिनी)

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Weight 0.3 g

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