मनुष्य – जीवन का उद्देश्य/ Manussya Jeevan Ka Uddhesya

20.00

श्री मद्भगवद्गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि मानव जीवन का एकमात्र उद्देश्य आत्म-साक्षात्कार करना है। मनुष्य की आत्मा परम सत्य को जानने के बाद जीवन मुक्ति की अधिकारी हो जाती है और मनुष्य इस संसार समुद्र से पूर्णतया मुक्त होकर पुनः संसार चक्र में नहीं फँसता।

अनित्य जगत के मोह का उन्मूलन कर मानव-जीवन के चरमोत्कर्ष लक्ष्य भगवत्प्रेम तथा मुक्ति को प्राप्त कराने वाले साधन के प्रकार, रास-रहस्य, समर्पण इत्यादि अनेक विषयों पर लिखे गये लेखों का संग्रह।  

Description

श्री मद्भगवद्गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि मानव जीवन का एकमात्र उद्देश्य आत्म-साक्षात्कार करना है। मनुष्य की आत्मा परम सत्य को जानने के बाद जीवन मुक्ति की अधिकारी हो जाती है और मनुष्य इस संसार समुद्र से पूर्णतया मुक्त होकर पुनः संसार चक्र में नहीं फँसता।

अनित्य जगत के मोह का उन्मूलन कर मानव-जीवन के चरमोत्कर्ष लक्ष्य भगवत्प्रेम तथा मुक्ति को प्राप्त कराने वाले साधन के प्रकार, रास-रहस्य, समर्पण इत्यादि अनेक विषयों पर लिखे गये लेखों का संग्रह।  

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