भगवत्प्राप्ति के विविध उपाय/ Bhagwadprapti ke bibidh Upaya

15.00

ब्रह्मलीना श्री जयदयाल गोयंदका द्वारा रचित यह छोटी शिक्षाप्रद पुस्तिका प्रस्तुत करते हुए हमें खुशी हो रही है।

आदिपुरुष परमपद स्वरूप परमेश्वरी की शरण होकर उसको प्राप्त हो जाने वाले पुरुषों के लक्षण बतलाये जाते हैं-जिनका मान और मोह नष्ट हो गया है जिन्होंने आसक्तिरूप दोष को जीत लिया है, जिनकी परमात्मा के स्वरूप में नित्य स्थिति है और जिनकी कामनाएं पूर्णरूप से नष्ट हो गयी है, वे सुख-दु:ख नामक द्वन्द्वों से विमुक्त  ज्ञानोजन उस अविनाशी परमपद को प्राप्त होते हैं। जिस परमपद को प्राप्त होकर मनुष्य लौटकर संसार में नहीं आते, उस स्वयं प्रकाश परमपद को न सूर्य प्रकाशित कर सकता है, न चन्द्रमा और न अग्नि ही  वही मेरा परम धाम है।

यह वास्तव में आत्म-उच्च बनाने की सीढ़ियों पर चर्चा करने वाली एक पढ़ने योग्य पुस्तक है। आशा है पाठक इससे लाभान्वित होंगे। 

Description

ब्रह्मलीना श्री जयदयाल गोयंदका द्वारा रचित यह छोटी शिक्षाप्रद पुस्तिका प्रस्तुत करते हुए हमें खुशी हो रही है।

आदिपुरुष परमपद स्वरूप परमेश्वरी की शरण होकर उसको प्राप्त हो जाने वाले पुरुषों के लक्षण बतलाये जाते हैं-जिनका मान और मोह नष्ट हो गया है जिन्होंने आसक्तिरूप दोष को जीत लिया है, जिनकी परमात्मा के स्वरूप में नित्य स्थिति है और जिनकी कामनाएं पूर्णरूप से नष्ट हो गयी है, वे सुख-दु:ख नामक द्वन्द्वों से विमुक्त  ज्ञानोजन उस अविनाशी परमपद को प्राप्त होते हैं। जिस परमपद को प्राप्त होकर मनुष्य लौटकर संसार में नहीं आते, उस स्वयं प्रकाश परमपद को न सूर्य प्रकाशित कर सकता है, न चन्द्रमा और न अग्नि ही  वही मेरा परम धाम है।

यह वास्तव में आत्म-उच्च बनाने की सीढ़ियों पर चर्चा करने वाली एक पढ़ने योग्य पुस्तक है। आशा है पाठक इससे लाभान्वित होंगे। 

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