Description
इसमें भगवान् ने बतलाया है कि मोक्षरूप परम निःश्रेयसकी प्राप्ति का एकमात्र साधन हेतु ज्ञान ही है। इसके लिए कोई अन्य साधन नहीं है।
कृष्णयजुर्वेदीय तैत्तिरीयारण्यक के प्रपाठक सात से नौ तक वर्णित इस उपनिषद् के सप्तम प्रपाठक शिक्षावल्ली में गुरु-शिष्य परम्परा तथा भृगुवल्ली और ब्रह्मानन्दवल्ली में ब्रह्मज्ञान का सविधि निरूपण है। सानुवाद, शांकरभाष्य।
Additional information
Weight | 0.2 g |
---|
Reviews
There are no reviews yet.