ज्ञान के दीप जले/ Gyan Ke Deep Jale

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“ज्ञान के दीप जले” – यह ग्रंथ स्वामी रामसुखदास जी महाराज द्वारा रचित एक अत्यंत प्रभावशाली व प्रामाणिक आध्यात्मिक पुस्तक है, जो seekers, साधकों, और धर्म-प्रेमियों को जीवन की वास्तविकता, आत्मसाक्षात्कार, और भगवान की ओर बढ़ने का सच्चा मार्ग दिखाती है। स्वामीजी ने इस पुस्तक में जीवन के विभिन्न पक्षों, शास्त्रों के रहस्यों, और आत्मज्ञान की राह को अत्यंत सरल भाषा में उजागर किया है, जिससे साधारण पाठक भी गूढ़ विषयों को समझ सके।

🌟 पुस्तक की प्रमुख विषयवस्तु व विशेषताएँ:

🔹 ज्ञान की महिमा:

पुस्तक का मूल उद्देश्य अज्ञान रूपी अंधकार को हटाकर ज्ञान रूपी दीप जलाना है। स्वामीजी बार-बार यह बताते हैं कि केवल बाह्य क्रियाओं से नहीं, बल्कि आत्मज्ञान से ही परम शांति, समाधान और मुक्ति प्राप्त होती है।

🔹 जीवन का उद्देश्य:

मनुष्य जन्म की महानता, दुर्लभता और उसका उद्देश्य क्या है—इसका गहन विवेचन किया गया है। स्वामीजी लिखते हैं कि यह जीवन केवल भोगों के लिए नहीं है, बल्कि आत्मा को परमात्मा से मिलाने का अवसर है।

🔹 आत्मा-परमात्मा का विवेचन:

आत्मा का स्वरूप क्या है? परमात्मा क्या हैं? दोनों के बीच संबंध क्या है?—इन सभी प्रश्नों के उत्तर अत्यंत सुंदर ढंग से स्पष्ट किए गए हैं। वेद, उपनिषद, गीता और अन्य शास्त्रों के प्रमाणों के साथ सरल उदाहरणों से विषय स्पष्ट किया गया है।

🔹 माया और अज्ञान का भेदन:

माया क्या है? किस प्रकार यह जीव को भ्रम में डालती है? और उससे कैसे बचा जा सकता है—इसका विस्तारपूर्वक विवरण है। स्वामीजी के अनुसार, जब तक माया का पर्दा नहीं हटता, तब तक आत्मा स्वयं को शरीर मानती रहती है और दुखों का अनुभव करती है।

🔹 साधना का मार्ग:

ज्ञानयोग, भक्ति योग, निष्काम कर्म योग—तीनों मार्गों का समन्वय किया गया है। पुस्तक में स्वामीजी ने अनेक साधकों की जिज्ञासाओं का समाधान करते हुए बताया है कि कैसे एक सामान्य व्यक्ति भी अपने जीवन में साधना के द्वारा आगे बढ़ सकता है।

🔹 व्यावहारिक दृष्टिकोण:

यह पुस्तक केवल शुद्ध दार्शनिक नहीं, बल्कि अत्यंत व्यावहारिक है। जीवन के छोटे-छोटे प्रसंगों के माध्यम से स्वामीजी बताते हैं कि हम दिनचर्या में रहकर भी ईश्वर की ओर कैसे बढ़ सकते हैं, अपने अंदर विवेक कैसे जागृत कर सकते हैं और मन को कैसे नियंत्रित कर सकते हैं।

🌼 पुस्तक का प्रभाव:

यह पुस्तक न केवल ज्ञान बढ़ाती है, बल्कि आत्मा को झकझोरती है। इसके प्रत्येक पृष्ठ पर आत्मनिरीक्षण और जीवन-परिवर्तन का संदेश है। अनेक साधकों, पाठकों और युवाओं के जीवन में इस ग्रंथ ने दीपक बनकर कार्य किया है। इससे प्रेरित होकर व्यक्ति संसार में रहते हुए भी ईश्वर की ओर चलने लगता है।

निष्कर्ष:

“ज्ञान के दीप जले” एक ऐसी दिव्य पुस्तक है जो अज्ञानरूपी अंधकार को हटाकर साधक के अंतःकरण में ज्ञान का दीप प्रज्वलित करती है। स्वामी रामसुखदास जी की वाणी किसी शुष्क तर्क की नहीं, बल्कि अनुभूत आत्मसाक्षात्कारी ज्ञान की वाणी है। यह पुस्तक पढ़कर व्यक्ति के विचार, दृष्टिकोण और जीवन की दिशा ही बदल जाती है।

Description

“ज्ञान के दीप जले” – यह ग्रंथ स्वामी रामसुखदास जी महाराज द्वारा रचित एक अत्यंत प्रभावशाली व प्रामाणिक आध्यात्मिक पुस्तक है, जो seekers, साधकों, और धर्म-प्रेमियों को जीवन की वास्तविकता, आत्मसाक्षात्कार, और भगवान की ओर बढ़ने का सच्चा मार्ग दिखाती है। स्वामीजी ने इस पुस्तक में जीवन के विभिन्न पक्षों, शास्त्रों के रहस्यों, और आत्मज्ञान की राह को अत्यंत सरल भाषा में उजागर किया है, जिससे साधारण पाठक भी गूढ़ विषयों को समझ सके।

🌟 पुस्तक की प्रमुख विषयवस्तु व विशेषताएँ:

🔹 ज्ञान की महिमा:

पुस्तक का मूल उद्देश्य अज्ञान रूपी अंधकार को हटाकर ज्ञान रूपी दीप जलाना है। स्वामीजी बार-बार यह बताते हैं कि केवल बाह्य क्रियाओं से नहीं, बल्कि आत्मज्ञान से ही परम शांति, समाधान और मुक्ति प्राप्त होती है।

🔹 जीवन का उद्देश्य:

मनुष्य जन्म की महानता, दुर्लभता और उसका उद्देश्य क्या है—इसका गहन विवेचन किया गया है। स्वामीजी लिखते हैं कि यह जीवन केवल भोगों के लिए नहीं है, बल्कि आत्मा को परमात्मा से मिलाने का अवसर है।

🔹 आत्मा-परमात्मा का विवेचन:

आत्मा का स्वरूप क्या है? परमात्मा क्या हैं? दोनों के बीच संबंध क्या है?—इन सभी प्रश्नों के उत्तर अत्यंत सुंदर ढंग से स्पष्ट किए गए हैं। वेद, उपनिषद, गीता और अन्य शास्त्रों के प्रमाणों के साथ सरल उदाहरणों से विषय स्पष्ट किया गया है।

🔹 माया और अज्ञान का भेदन:

माया क्या है? किस प्रकार यह जीव को भ्रम में डालती है? और उससे कैसे बचा जा सकता है—इसका विस्तारपूर्वक विवरण है। स्वामीजी के अनुसार, जब तक माया का पर्दा नहीं हटता, तब तक आत्मा स्वयं को शरीर मानती रहती है और दुखों का अनुभव करती है।

🔹 साधना का मार्ग:

ज्ञानयोग, भक्ति योग, निष्काम कर्म योग—तीनों मार्गों का समन्वय किया गया है। पुस्तक में स्वामीजी ने अनेक साधकों की जिज्ञासाओं का समाधान करते हुए बताया है कि कैसे एक सामान्य व्यक्ति भी अपने जीवन में साधना के द्वारा आगे बढ़ सकता है।

🔹 व्यावहारिक दृष्टिकोण:

यह पुस्तक केवल शुद्ध दार्शनिक नहीं, बल्कि अत्यंत व्यावहारिक है। जीवन के छोटे-छोटे प्रसंगों के माध्यम से स्वामीजी बताते हैं कि हम दिनचर्या में रहकर भी ईश्वर की ओर कैसे बढ़ सकते हैं, अपने अंदर विवेक कैसे जागृत कर सकते हैं और मन को कैसे नियंत्रित कर सकते हैं।

🌼 पुस्तक का प्रभाव:

यह पुस्तक न केवल ज्ञान बढ़ाती है, बल्कि आत्मा को झकझोरती है। इसके प्रत्येक पृष्ठ पर आत्मनिरीक्षण और जीवन-परिवर्तन का संदेश है। अनेक साधकों, पाठकों और युवाओं के जीवन में इस ग्रंथ ने दीपक बनकर कार्य किया है। इससे प्रेरित होकर व्यक्ति संसार में रहते हुए भी ईश्वर की ओर चलने लगता है।

निष्कर्ष:

“ज्ञान के दीप जले” एक ऐसी दिव्य पुस्तक है जो अज्ञानरूपी अंधकार को हटाकर साधक के अंतःकरण में ज्ञान का दीप प्रज्वलित करती है। स्वामी रामसुखदास जी की वाणी किसी शुष्क तर्क की नहीं, बल्कि अनुभूत आत्मसाक्षात्कारी ज्ञान की वाणी है। यह पुस्तक पढ़कर व्यक्ति के विचार, दृष्टिकोण और जीवन की दिशा ही बदल जाती है।

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