क्या करे क्या ना करे/ Kya karen Kya na karen

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“क्या करे क्या ना करे को राजेंद्र कुमार धवन ने हिंदी में लिखा है। यह हिंदू धर्म पर एक किताब है। यह 20वीं संस्करण की हार्डकवर पुस्तक है जिसे 2016 में गीता प्रेस प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित किया गया था। यह 15 से 80 वर्ष की आयु के लिए अनुशंसित है।

🕉️ पुस्तक का उद्देश्य:

यह पुस्तक जीवन में सदाचरण, धार्मिकता, और नैतिकता के महत्व को सरल भाषा में स्पष्ट करती है। इसमें बताया गया है कि:

  • मनुष्य को किन बातों का पालन करना चाहिए (क्या करें) और

  • किन बातों से बचना चाहिए (क्या न करें)

पुस्तक का मूल उद्देश्य पाठकों को एक संतुलित, सात्विक और धर्मसम्मत जीवन जीने की दिशा में प्रेरित करना है।


🧘‍♂️ प्रमुख विषय-वस्तु:

🔹 आचार-संहिता 

  • मन, वचन और कर्म से शुद्ध रहने की प्रेरणा

  • माता-पिता, गुरु, अतिथि, समाज और राष्ट्र के प्रति कर्तव्य

🔹 क्या करें?

  • सत्य बोलना, दया करना, संयम रखना

  • प्रातःकाल उठना, स्नान, संध्या-वंदन, पूजा

  • समय का सदुपयोग, विद्या का सम्मान

  • संतों के साथ संगति, सत्संग, सेवा

🔹 क्या न करें?

  • झूठ बोलना, क्रोध करना, चोरी, छल

  • निंदा, परनिंदा, ईर्ष्या, द्वेष

  • आलस्य, अपवित्र भोजन, व्यसन (नशा आदि)

  • शास्त्र-विरुद्ध आचरण

🔹 जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के लिए मार्गदर्शन:

  • विद्यार्थी के लिए कर्तव्य

  • गृहस्थ के लिए नैतिकता

  • समाज में आचरण के नियम

  • आत्मिक उन्नति के उपाय


🖼️ कवर चित्र की व्याख्या:

कवर पर एक वृद्ध और तेजस्वी ऋषि को ध्यानपूर्वक लेखन करते हुए दिखाया गया है। यह छवि वैदिक युग के आचार्यों की है, जो धर्मशास्त्रों को लिपिबद्ध कर समाज को मार्गदर्शन देते थे। यह इस पुस्तक के विषय को सार्थक रूप से दर्शाता है: ज्ञान, अनुशासन और सदाचार।


🌟 पुस्तक की विशेषताएँ:

  • अत्यंत सरल भाषा में जटिल विषयों की व्याख्या

  • व्यवहार में उतारे जा सकने योग्य प्रायोगिक ज्ञान

  • विशेष रूप से युवाओं, गृहस्थों और साधकों के लिए उपयोगी

  • नैतिक शिक्षा और धार्मिक अनुशासन का सामंजस्य


🎯 यह पुस्तक क्यों पढ़ें?

  • जीवन में नैतिक और धार्मिक स्थिरता लाने के लिए

  • सही और गलत के बीच अंतर को समझने के लिए

  • आध्यात्मिक और सामाजिक दृष्टि से श्रेष्ठ बनने के लिए


🔚 निष्कर्ष:

“क्या करें, क्या न करें? केवल एक पुस्तक नहीं है — यह एक आचार-संहिता, एक जीवन-मार्गदर्शिका है जो बताती है कि व्यक्ति किस प्रकार जीवन को धर्म, नैतिकता और संयम के आधार पर श्रेष्ठ बना सकता है। लेखक राजेन्द्र कुमार धवन ने इसे अत्यंत सरल और प्रभावशाली शैली में प्रस्तुत किया है, जिससे यह पुस्तक हर आयु वर्ग के लिए उपयोगी बन जाती है।

 

Description

“क्या करे क्या ना करे को राजेंद्र कुमार धवन ने हिंदी में लिखा है। यह हिंदू धर्म पर एक किताब है। यह 20वीं संस्करण की हार्डकवर पुस्तक है जिसे 2016 में गीता प्रेस प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित किया गया था। यह 15 से 80 वर्ष की आयु के लिए अनुशंसित है।

🕉️ पुस्तक का उद्देश्य:

यह पुस्तक जीवन में सदाचरण, धार्मिकता, और नैतिकता के महत्व को सरल भाषा में स्पष्ट करती है। इसमें बताया गया है कि:

  • मनुष्य को किन बातों का पालन करना चाहिए (क्या करें) और

  • किन बातों से बचना चाहिए (क्या न करें)

पुस्तक का मूल उद्देश्य पाठकों को एक संतुलित, सात्विक और धर्मसम्मत जीवन जीने की दिशा में प्रेरित करना है।


🧘‍♂️ प्रमुख विषय-वस्तु:

🔹 आचार-संहिता 

  • मन, वचन और कर्म से शुद्ध रहने की प्रेरणा

  • माता-पिता, गुरु, अतिथि, समाज और राष्ट्र के प्रति कर्तव्य

🔹 क्या करें?

  • सत्य बोलना, दया करना, संयम रखना

  • प्रातःकाल उठना, स्नान, संध्या-वंदन, पूजा

  • समय का सदुपयोग, विद्या का सम्मान

  • संतों के साथ संगति, सत्संग, सेवा

🔹 क्या न करें?

  • झूठ बोलना, क्रोध करना, चोरी, छल

  • निंदा, परनिंदा, ईर्ष्या, द्वेष

  • आलस्य, अपवित्र भोजन, व्यसन (नशा आदि)

  • शास्त्र-विरुद्ध आचरण

🔹 जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के लिए मार्गदर्शन:

  • विद्यार्थी के लिए कर्तव्य

  • गृहस्थ के लिए नैतिकता

  • समाज में आचरण के नियम

  • आत्मिक उन्नति के उपाय


🖼️ कवर चित्र की व्याख्या:

कवर पर एक वृद्ध और तेजस्वी ऋषि को ध्यानपूर्वक लेखन करते हुए दिखाया गया है। यह छवि वैदिक युग के आचार्यों की है, जो धर्मशास्त्रों को लिपिबद्ध कर समाज को मार्गदर्शन देते थे। यह इस पुस्तक के विषय को सार्थक रूप से दर्शाता है: ज्ञान, अनुशासन और सदाचार।


🌟 पुस्तक की विशेषताएँ:

  • अत्यंत सरल भाषा में जटिल विषयों की व्याख्या

  • व्यवहार में उतारे जा सकने योग्य प्रायोगिक ज्ञान

  • विशेष रूप से युवाओं, गृहस्थों और साधकों के लिए उपयोगी

  • नैतिक शिक्षा और धार्मिक अनुशासन का सामंजस्य


🎯 यह पुस्तक क्यों पढ़ें?

  • जीवन में नैतिक और धार्मिक स्थिरता लाने के लिए

  • सही और गलत के बीच अंतर को समझने के लिए

  • आध्यात्मिक और सामाजिक दृष्टि से श्रेष्ठ बनने के लिए


🔚 निष्कर्ष:

“क्या करें, क्या न करें? केवल एक पुस्तक नहीं है — यह एक आचार-संहिता, एक जीवन-मार्गदर्शिका है जो बताती है कि व्यक्ति किस प्रकार जीवन को धर्म, नैतिकता और संयम के आधार पर श्रेष्ठ बना सकता है। लेखक राजेन्द्र कुमार धवन ने इसे अत्यंत सरल और प्रभावशाली शैली में प्रस्तुत किया है, जिससे यह पुस्तक हर आयु वर्ग के लिए उपयोगी बन जाती है।

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