उपनयन संस्कार पद्धति/ Upanayan Sanskar Paddhati

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उपनयन संस्कार पद्धति’ एक अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक व सांस्कृतिक पुस्तक है, जो वैदिक धर्मशास्त्रों पर आधारित है। यह पुस्तक विशेष रूप से उपनयन संस्कार — जिसे यज्ञोपवीत संस्कार या जनेऊ संस्कार भी कहा जाता है — की शास्त्रोक्त विधि को स्पष्ट, क्रमबद्ध और प्रामाणिक ढंग से प्रस्तुत करती है।


🔱 उपनयन संस्कार का महत्व:

हिंदू धर्म में उपनयन संस्कार एक प्रमुख सोलह संस्कारों में से है। यह संस्कार बालक को ब्रह्मचर्य आश्रम में प्रवेश दिलाता है और उसे वेदाध्ययन तथा गायत्री मंत्र के जप का अधिकारी बनाता है। यह उसके आध्यात्मिक जीवन की आधारशिला रखता है।


📋 इस पुस्तक की प्रमुख विषय-वस्तु:

  1. संस्कार की तैयारी एवं पात्रता

    • बालक की आयु, कुल, योग्यताएँ

    • समय, तिथि और मुहूर्त का चयन

  2. व्रतबंध एवं उपनयन की विधियाँ

    • संकल्प, शुद्धि, आचमन, पवित्रीकरण

    • गुरु व शिष्य का सम्बन्ध, मन्त्रों सहित

  3. यज्ञोपवीत धारण की विधि

    • त्रिपवित्र यज्ञोपवीत की महिमा

    • नये यज्ञोपवीत की स्थापना विधि

    • ब्रह्मसूत्र की लंबाई, दिशा और विधि

  4. गायत्री मंत्र दीक्षा

    • गायत्री माता का आवाहन

    • मंत्र की व्याख्या और महत्व

    • जप-विधि और उसकी नियमावली

  5. हवन विधि व आहुति मंत्र

    • समिधा, अग्नि स्थापन, आहुति विधि

    • शांति पाठ, आशीर्वाद, मंगलाचरण

  6. संस्कारोत्तर कर्तव्य एवं निर्देश

    • ब्रह्मचारी के व्रत, नियम, रहन-सहन

    • तिलक, वस्त्र, आचरण आदि की संहिताएँ


🌿 विशेषताएँ:

  • संस्कृत श्लोकों के साथ सरल, सटीक एवं सहज हिंदी अनुवाद

  • वैदिक विधियों का चरणबद्ध विवरण – कोई भी पंडित या गृहस्थ स्वयं संस्कार कर सके

  • सभी मन्त्रों का स्पष्ट उच्चारण और व्याख्या

  • बच्चों, अभिभावकों, पंडितों और वेदाध्ययनियों के लिए अत्यंत उपयोगी

  • वैदिक संस्कृति, सनातन परंपरा एवं धर्म के संरक्षण में सहायक


📦 किसके लिए उपयोगी?

  • जो परिवार अपने पुत्र के यज्ञोपवीत संस्कार को वैदिक विधि से सम्पन्न कराना चाहते हैं

  • जो व्यक्ति कर्मकांड और वैदिक संस्कारों में गहराई से रुचि रखते हैं

  • जो धर्मशास्त्र, पुरोहित्य या संस्कृत अध्ययनरत हैं

  • वेदपाठी छात्र, ब्रह्मचारी, गुरुकुलों के शिक्षक एवं धार्मिक आचार्य                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                  निष्कर्ष:
    उपनयन संस्कार पद्धति’ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान का ग्रंथ नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, गुरुकुल परंपरा और वेदाध्ययन की महान परंपरा का प्रवेश द्वार है। यदि आप अपने पुत्र के जीवन में आध्यात्मिकता का बीज बोना चाहते हैं, तो यह पुस्तक आपके लिए अमूल्य निधि सिद्ध होगी।

Description

उपनयन संस्कार पद्धति’ एक अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक व सांस्कृतिक पुस्तक है, जो वैदिक धर्मशास्त्रों पर आधारित है। यह पुस्तक विशेष रूप से उपनयन संस्कार — जिसे यज्ञोपवीत संस्कार या जनेऊ संस्कार भी कहा जाता है — की शास्त्रोक्त विधि को स्पष्ट, क्रमबद्ध और प्रामाणिक ढंग से प्रस्तुत करती है।


🔱 उपनयन संस्कार का महत्व:

हिंदू धर्म में उपनयन संस्कार एक प्रमुख सोलह संस्कारों में से है। यह संस्कार बालक को ब्रह्मचर्य आश्रम में प्रवेश दिलाता है और उसे वेदाध्ययन तथा गायत्री मंत्र के जप का अधिकारी बनाता है। यह उसके आध्यात्मिक जीवन की आधारशिला रखता है।


📋 इस पुस्तक की प्रमुख विषय-वस्तु:

  1. संस्कार की तैयारी एवं पात्रता

    • बालक की आयु, कुल, योग्यताएँ

    • समय, तिथि और मुहूर्त का चयन

  2. व्रतबंध एवं उपनयन की विधियाँ

    • संकल्प, शुद्धि, आचमन, पवित्रीकरण

    • गुरु व शिष्य का सम्बन्ध, मन्त्रों सहित

  3. यज्ञोपवीत धारण की विधि

    • त्रिपवित्र यज्ञोपवीत की महिमा

    • नये यज्ञोपवीत की स्थापना विधि

    • ब्रह्मसूत्र की लंबाई, दिशा और विधि

  4. गायत्री मंत्र दीक्षा

    • गायत्री माता का आवाहन

    • मंत्र की व्याख्या और महत्व

    • जप-विधि और उसकी नियमावली

  5. हवन विधि व आहुति मंत्र

    • समिधा, अग्नि स्थापन, आहुति विधि

    • शांति पाठ, आशीर्वाद, मंगलाचरण

  6. संस्कारोत्तर कर्तव्य एवं निर्देश

    • ब्रह्मचारी के व्रत, नियम, रहन-सहन

    • तिलक, वस्त्र, आचरण आदि की संहिताएँ


🌿 विशेषताएँ:

  • संस्कृत श्लोकों के साथ सरल, सटीक एवं सहज हिंदी अनुवाद

  • वैदिक विधियों का चरणबद्ध विवरण – कोई भी पंडित या गृहस्थ स्वयं संस्कार कर सके

  • सभी मन्त्रों का स्पष्ट उच्चारण और व्याख्या

  • बच्चों, अभिभावकों, पंडितों और वेदाध्ययनियों के लिए अत्यंत उपयोगी

  • वैदिक संस्कृति, सनातन परंपरा एवं धर्म के संरक्षण में सहायक


📦 किसके लिए उपयोगी?

  • जो परिवार अपने पुत्र के यज्ञोपवीत संस्कार को वैदिक विधि से सम्पन्न कराना चाहते हैं

  • जो व्यक्ति कर्मकांड और वैदिक संस्कारों में गहराई से रुचि रखते हैं

  • जो धर्मशास्त्र, पुरोहित्य या संस्कृत अध्ययनरत हैं

  • वेदपाठी छात्र, ब्रह्मचारी, गुरुकुलों के शिक्षक एवं धार्मिक आचार्य                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                  निष्कर्ष:
    उपनयन संस्कार पद्धति’ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान का ग्रंथ नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, गुरुकुल परंपरा और वेदाध्ययन की महान परंपरा का प्रवेश द्वार है। यदि आप अपने पुत्र के जीवन में आध्यात्मिकता का बीज बोना चाहते हैं, तो यह पुस्तक आपके लिए अमूल्य निधि सिद्ध होगी।

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