उत्तरकाण्ड/ Uttarakand

45.00

(1 customer review)

उत्तरकाण्ड श्रीरामचरितमानस का सातवाँ और अंतिम खण्ड है, जिसमें प्रभु श्रीराम के राज्याभिषेक के पश्चात् की घटनाओं का विस्तृत वर्णन मिलता है। यह खण्ड भक्ति, त्याग, नीति, लोक-कल्याण और मर्यादा का सार है। यह खण्ड पाठक को न केवल आध्यात्मिक चेतना प्रदान करता है, बल्कि पारिवारिक और सामाजिक जीवन के लिए आदर्श मार्ग भी दर्शाता है।

इस संस्करण में गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा रचित मूल अवधी काव्य के साथ-साथ सरल और स्पष्ट हिंदी टीका दी गई है, जिससे पाठक को अर्थ समझने में पूर्ण सहायता मिलती है। बड़े अक्षरों में छपाई होने के कारण यह पुस्तक वृद्धजनों या नेत्रज्योति कमज़ोर पाठकों के लिए भी बहुत उपयोगी है।


🕉️ मुख्य विषयवस्तु और घटनाएँ:

  1. श्रीराम का राज्याभिषेक:
    श्रीराम के अयोध्या लौटने पर भव्य राज्याभिषेक का वर्णन, जिसमें संपूर्ण अयोध्या उल्लास और भक्ति से सराबोर है।

  2. जन कल्याणकारी रामराज्य:
    रामराज्य की महिमा का अद्भुत चित्रण किया गया है – जहाँ प्रजा सुखी, न्यायप्रिय और धर्मपरायण है।

  3. संत-महात्माओं के संवाद:
    तुलसीदासजी ने इस काण्ड में विभिन्न संतों और ज्ञानीजनों के संवादों के माध्यम से आध्यात्मिक ज्ञान और भक्ति की गूढ़ शिक्षाएँ दी हैं।

  4. माता सीता का त्याग:
    लोकापवाद के कारण श्रीराम द्वारा माता सीता का त्याग एक अत्यंत मार्मिक प्रसंग है, जो मर्यादा और धर्म के कठिन निर्णय को दर्शाता है।

  5. लव-कुश की गाथा:
    श्रीराम और सीता के पुत्र लव-कुश की वीरता, ज्ञान और रामकथा गान का प्रभावशाली वर्णन, जिसमें वे श्रीराम के समक्ष धर्मयुद्ध करते हैं।

  6. वाल्मीकि आश्रम और सीता माँ का अंतर्धान:
    सीता माँ का वन में वाल्मीकि आश्रम में निवास, पुत्रों का पालन-पोषण, और अंत में धरती माता में समा जाना अत्यंत भावुक कर देने वाला प्रसंग है।


🌺 शिक्षाएँ और संदेश:

  • धर्म और मर्यादा की रक्षा के लिए व्यक्तिगत भावनाओं का त्याग भी आवश्यक होता है।

  • एक आदर्श राजा वह है जो प्रजा के हित में कठोरतम निर्णय भी ले सके।

  • मातृत्व, नारी सम्मान और त्याग की साक्षात मूर्ति हैं माँ सीता।

  • लव-कुश की कथा से शिक्षा मिलती है कि ज्ञान और भक्ति से कोई भी महानता प्राप्त कर सकता है, चाहे वह किसी भी परिस्थिति में जन्मा हो।

  • समाज और परिवार में प्रेम, त्याग, संयम और धैर्य आवश्यक हैं।


📚 इस संस्करण की विशेषताएँ:

  • मूल अवधी भाषा में श्रीरामचरितमानस का उत्तरकाण्ड।

  • सरल हिंदी टीका जो प्रत्येक दोहे और चौपाई का स्पष्ट अर्थ बताती है।

  • बड़े अक्षरों में मुद्रण, जिससे सभी आयु वर्ग के पाठकों को पढ़ने में सुविधा हो।

  • गीता प्रेस द्वारा प्रमाणिक, शुद्ध और सुंदर छपाई।

  • सुंदर चित्रों से सुसज्जित।


🙏 पाठक के लिए उपयोगिता:

यह ग्रंथ उन सभी के लिए अत्यंत उपयोगी है जो जीवन में भक्ति, धर्म, नीति और सेवा की भावना को जागृत करना चाहते हैं। यह ग्रंथ दुख की घड़ी में सहारा देता है और सुख की घड़ी में विनय सिखाता है। परिवार, समाज, और राष्ट्र की मर्यादाओं को समझने का यह एक दिव्य माध्यम है।

Description

उत्तरकाण्ड श्रीरामचरितमानस का सातवाँ और अंतिम खण्ड है, जिसमें प्रभु श्रीराम के राज्याभिषेक के पश्चात् की घटनाओं का विस्तृत वर्णन मिलता है। यह खण्ड भक्ति, त्याग, नीति, लोक-कल्याण और मर्यादा का सार है। यह खण्ड पाठक को न केवल आध्यात्मिक चेतना प्रदान करता है, बल्कि पारिवारिक और सामाजिक जीवन के लिए आदर्श मार्ग भी दर्शाता है।

इस संस्करण में गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा रचित मूल अवधी काव्य के साथ-साथ सरल और स्पष्ट हिंदी टीका दी गई है, जिससे पाठक को अर्थ समझने में पूर्ण सहायता मिलती है। बड़े अक्षरों में छपाई होने के कारण यह पुस्तक वृद्धजनों या नेत्रज्योति कमज़ोर पाठकों के लिए भी बहुत उपयोगी है।


🕉️ मुख्य विषयवस्तु और घटनाएँ:

  1. श्रीराम का राज्याभिषेक:
    श्रीराम के अयोध्या लौटने पर भव्य राज्याभिषेक का वर्णन, जिसमें संपूर्ण अयोध्या उल्लास और भक्ति से सराबोर है।

  2. जन कल्याणकारी रामराज्य:
    रामराज्य की महिमा का अद्भुत चित्रण किया गया है – जहाँ प्रजा सुखी, न्यायप्रिय और धर्मपरायण है।

  3. संत-महात्माओं के संवाद:
    तुलसीदासजी ने इस काण्ड में विभिन्न संतों और ज्ञानीजनों के संवादों के माध्यम से आध्यात्मिक ज्ञान और भक्ति की गूढ़ शिक्षाएँ दी हैं।

  4. माता सीता का त्याग:
    लोकापवाद के कारण श्रीराम द्वारा माता सीता का त्याग एक अत्यंत मार्मिक प्रसंग है, जो मर्यादा और धर्म के कठिन निर्णय को दर्शाता है।

  5. लव-कुश की गाथा:
    श्रीराम और सीता के पुत्र लव-कुश की वीरता, ज्ञान और रामकथा गान का प्रभावशाली वर्णन, जिसमें वे श्रीराम के समक्ष धर्मयुद्ध करते हैं।

  6. वाल्मीकि आश्रम और सीता माँ का अंतर्धान:
    सीता माँ का वन में वाल्मीकि आश्रम में निवास, पुत्रों का पालन-पोषण, और अंत में धरती माता में समा जाना अत्यंत भावुक कर देने वाला प्रसंग है।


🌺 शिक्षाएँ और संदेश:

  • धर्म और मर्यादा की रक्षा के लिए व्यक्तिगत भावनाओं का त्याग भी आवश्यक होता है।

  • एक आदर्श राजा वह है जो प्रजा के हित में कठोरतम निर्णय भी ले सके।

  • मातृत्व, नारी सम्मान और त्याग की साक्षात मूर्ति हैं माँ सीता।

  • लव-कुश की कथा से शिक्षा मिलती है कि ज्ञान और भक्ति से कोई भी महानता प्राप्त कर सकता है, चाहे वह किसी भी परिस्थिति में जन्मा हो।

  • समाज और परिवार में प्रेम, त्याग, संयम और धैर्य आवश्यक हैं।


📚 इस संस्करण की विशेषताएँ:

  • मूल अवधी भाषा में श्रीरामचरितमानस का उत्तरकाण्ड।

  • सरल हिंदी टीका जो प्रत्येक दोहे और चौपाई का स्पष्ट अर्थ बताती है।

  • बड़े अक्षरों में मुद्रण, जिससे सभी आयु वर्ग के पाठकों को पढ़ने में सुविधा हो।

  • गीता प्रेस द्वारा प्रमाणिक, शुद्ध और सुंदर छपाई।

  • सुंदर चित्रों से सुसज्जित।


🙏 पाठक के लिए उपयोगिता:

यह ग्रंथ उन सभी के लिए अत्यंत उपयोगी है जो जीवन में भक्ति, धर्म, नीति और सेवा की भावना को जागृत करना चाहते हैं। यह ग्रंथ दुख की घड़ी में सहारा देता है और सुख की घड़ी में विनय सिखाता है। परिवार, समाज, और राष्ट्र की मर्यादाओं को समझने का यह एक दिव्य माध्यम है।

1 review for उत्तरकाण्ड/ Uttarakand

  1. Lemlist

    I am really impressed together with your writing abilities as neatly as with the format in your
    weblog. Is that this a paid theme or did
    you customize it yourself? Anyway keep up the excellent
    quality writing, it’s uncommon to look a nice weblog like this one these days.

    Stan Store alternatives!

Add a review

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related products