श्री दुर्गासप्तशती/ Shri Durga Saptashati

दुर्गासप्तशती हिन्दू-धर्म का सर्वमान्य ग्रन्थ है। इसमें भगवती की कृपा के सुन्दर इतिहास के साथ अनेक गूढ़ रहस्य भरे हैं। सकाम भक्त इस ग्रन्थ का श्रद्धापूर्वक पाठ करके कामनासिद्धि तथा निष्काम भक्त दुर्लभ मोक्ष प्राप्त करते हैं। इस पुस्तक में पाठ करने की प्रामाणिक विधि, कवच, अर्गला, कीलक, वैदिक, तान्त्रिक रात्रिसूक्त, देव्यथर्वशीर्ष, नवार्ण विधि, मूल पाठ, दुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्र, श्रीदुर्गामानसपूजा, तीनों रहस्य, क्षमा-प्रार्थना, सिद्धिकुञ्जिकास्तोत्र, पाठ के विभिन्न प्रयोग तथा आरती दी गयी है। 352 पेज में प्रस्तुत है श्री दुर्गा सप्तशती मूल मोटे अक्षरों में ।विभिन्न दृष्टियों से यह पुस्तक सबके लिये उपयोगी है।

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श्री दुर्गासप्तशती/ Shree Durga Saptshati

दुर्गासप्तशती हिन्दू-धर्म का सर्वमान्य ग्रन्थ है। इसमें भगवती की कृपा के सुन्दर इतिहास के साथ अनेक गूढ़ रहस्य भरे हैं। सकाम भक्त इस ग्रन्थ का श्रद्धापूर्वक पाठ करके कामनासिद्धि तथा निष्काम भक्त दुर्लभ मोक्ष प्राप्त करते हैं। इस पुस्तक में पाठ करने की प्रामाणिक विधि, कवच, अर्गला, कीलक, वैदिक, तान्त्रिक रात्रिसूक्त, देव्यथर्वशीर्ष, नवार्ण विधि, मूल पाठ, दुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्र, श्रीदुर्गामानसपूजा, तीनों रहस्य, क्षमा-प्रार्थना, सिद्धिकुञ्जिकास्तोत्र, पाठ के विभिन्न प्रयोग तथा आरती दी गयी है। विभिन्न दृष्टियों से यह पुस्तक सबके लिये उपयोगी है। 352 पेज में प्रस्तुत है श्री दुर्गा सप्तशती मूल मोटे अक्षरों में ।

 

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महानिर्वाणतन्त्र/ Mahanirvan Tantram

भारतीय तंत्र कलियुग के शास्त्र का गठन करते हैं। विषय की पेचीदगियों और कठिनाइयों को स्पष्ट समझ के लिए आरंभ करने के लिए एक जानकार टिप्पणी की आवश्यकता होती है। कौला स्कूल से संबंधित महाननिर्वाण तंत्र, कौलकर पर एक संग्रह है, जिसमें साधक को मुक्ति प्राप्त करने के लिए सभी अनुष्ठानों और प्रथाओं का विवरण देना होता है. 14 अध्यायों में विभाजित, पाठ प्राणियों की मुक्ति (1), ब्राह्मण की पूजा (2), सर्वोच्च ब्राह्मण (3), कलियुग में कुलाकार का महत्व (4), मंत्रों के रहस्योद्घाटन और पूजा के तत्वों से संबंधित प्रश्नों से संबंधित है। (५), होम और अन्य संस्कार (६), देवी के स्तोत्र और कवच (७), जातियों और आश्रमों के धर्म और रीति-रिवाज़ (८), शुद्धिकरण संस्कार (९), अंतिम संस्कार संस्कार (१०), एक्सपरेटरी का लेखा-जोखा अधिनियम (११), शाश्वत और अपरिवर्तनीय धर्म का लेखा (१२), छवियों की स्थापना (देवता) (१३), शिवलिंग का अभिषेक और अवधूत के चार वर्गों का विवरण (१४)।

संक्षेप में, इस कार्य में वह सब शामिल है जो तांत्रिक अनुष्ठान के लिए आवश्यक है। यह आर्थर एवलॉन की द ग्रेट लिबरेशन का मूल पाठ है। पुस्तक में पाठ पर एक प्रबुद्ध संस्कृत टीका है

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श्रीरेणुकातनन्त्रम् एवं प्रचण्डचण्डिकातन्त्रम्/ Shree Renuka Tantram yebam Prachand Chandika Tantram

 

इस पुस्तक मे निम्न  शीर्षको का विस्तार से वर्णन किया गया

डामरेश्रर तन्त्रांश

रेणुका शबरी-मंत्रप्रयोग

एकवीरा-मन्त्रोद्धार एवं प्रयोग

भैरवरुद्रयामलत्त रेणुकाकवच

डामरेश्ररतन्त्रोत्त  रेणुकाकवच स्तोत्र

डामरेश्ररतन्त्रोत्त  ईश्वर-पार्वतिसंवात्मक रेणुकाकवच

रेणुकास्तवराज स्तोत्र

वायुपुराणोत्त रेणुकास्त्रोत्र

भैरवप्रोत रेणुकास्त्रोत्र

मुचुकुंदकृत रेणुकास्त्रोत्र

विनायकसहारित्रवेतालकृत  रेणुकास्त्रोत्र

वसुदेवानन्दसरस्वति-कृत रेणुकास्त्रोत्र

वसुदेवानन्दसरस्वति-कृत मातापुरवासिनी रेणुकास्त्रोत्र

आनन्दभैरवोत्त रेणुकाह्रदय

रेणुकासहरत्रनामस्त्रोत्र

रेणूका अष्टोतरा शतनाम स्त्रोत्र

रेणुकखड्गमालामंत्र

डामरेश्ररतन्त्रोत रेणुका-मालामन्त्र

रेणुकागीता

मेरुतन्त्रोक्त श्रीपशुराममन्त्र

श्रीपशुरंसहारतरनामेस्त्रोत्र

भार्गवकच

रेणुका-आरती – 1

रेणुका-आरती -2

रेणुका-आरती – 3

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श्री दुर्गासप्तशती/ Shri Durga Saptasati

दुर्गासप्तशती हिन्दू-धर्म का सर्वमान्य ग्रन्थ है। इसमें भगवती की कृपा के सुन्दर इतिहास के साथ अनेक गूढ़ रहस्य भरे हैं। सकाम भक्त इस ग्रन्थ का श्रद्धापूर्वक पाठ करके कामनासिद्धि तथा निष्काम भक्त दुर्लभ मोक्ष प्राप्त करते हैं। इस पुस्तक में पाठ करने की प्रामाणिक विधि, कवच, अर्गला, कीलक, वैदिक, तान्त्रिक रात्रिसूक्त, देव्यथर्वशीर्ष, नवार्णविधि, मूल पाठ, दुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्र, श्रीदुर्गामानसपूजा, तीनों रहस्य, क्षमा-प्रार्थना, सिद्धिकुञ्जिकास्तोत्र, पाठ के विभिन्न प्रयोग तथा आरती दी गयी है। विभिन्न दृष्टियों से यह पुस्तक सबके लिये उपयोगी है।

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श्रीदुर्गासप्तशती/ Durga Saptasati

दुर्गासप्तशती हिन्दू-धर्म का सर्वमान्य ग्रन्थ है। इसमें भगवती की कृपा के सुन्दर इतिहास के साथ अनेक गूढ़ रहस्य भरे हैं। सकाम भक्त इस ग्रन्थ का श्रद्धापूर्वक पाठ करके कामनासिद्धि तथा निष्काम भक्त दुर्लभ मोक्ष प्राप्त करते हैं। इस पुस्तक में पाठ करने की प्रामाणिक विधि, कवच, अर्गला, कीलक, वैदिक, तान्त्रिक रात्रिसूक्त, देव्यथर्वशीर्ष, नवार्णविधि, मूल पाठ, दुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्र, श्रीदुर्गामानसपूजा, तीनों रहस्य, क्षमा-प्रार्थना, सिद्धिकुञ्जिकास्तोत्र, पाठ के विभिन्न प्रयोग तथा आरती दी गयी है। विभिन्न दृष्टियों से यह पुस्तक सबके लिये उपयोगी है

दुर्गा सप्तशती जिसे देवी महात्म्य और चंडी पथ के नाम से भी जाना जाता है, एक हिंदू धार्मिक ग्रंथ है जो राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की जीत का वर्णन करता है। यह ऋषि मार्कंडेय द्वारा लिखित मार्कंडेय पुराण का हिस्सा है

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