🌸 परिचय: हनुमान प्रसाद जी पोद्दार
हनुमान प्रसाद जी पोद्दार (1892–1971) भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और सनातन धर्म के एक महान प्रचारक थे। वे गीताप्रेस, गोरखपुर से प्रकाशित प्रसिद्ध मासिक पत्रिका ‘कल्याण’ के संस्थापक संपादक थे। उनके द्वारा रचित और संकलित सरस प्रसंग आज भी पाठकों के मन में श्रद्धा और भक्ति का संचार करते हैं।
📖 'सरस प्रसंग' का अर्थ
‘सरस’ का अर्थ है रसपूर्ण, हृदय को छूने वाले।
‘प्रसंग’ का अर्थ है घटना या किस्सा।
इस प्रकार ‘सरस प्रसंग’ उन प्रेरणादायक, भावपूर्ण और आध्यात्मिक घटनाओं को कहते हैं जो किसी संत, महापुरुष, या भक्त के जीवन से जुड़ी होती हैं और जिन्हें पढ़कर पाठक को श्रद्धा, भक्ति, विनम्रता और सदाचार की प्रेरणा मिलती है।
🪔 हनुमान प्रसाद जी के सरस प्रसंगों की विशेषताएं
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सरल, सहज और हृदयस्पर्शी भाषा।
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छोटे-छोटे प्रसंगों में गूढ़ आध्यात्मिक शिक्षा।
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संतों, भक्तों और भगवान की चरित्र-कथाओं का संकलन।
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प्रत्येक प्रसंग में नैतिकता और भक्ति का संदेश।
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आम जनमानस को भक्ति और धर्म के मार्ग पर अग्रसर करने वाली शैली।
🌼 एक सरस प्रसंग (हनुमान प्रसाद जी की शैली में)
प्रसंग: "सच्ची भक्ति"
एक बार एक भक्त ने संत से पूछा —
"महाराज! भगवान तो सबके हैं, फिर कुछ लोगों को ही उनकी कृपा क्यों मिलती है?"
संत मुस्कराए और बोले —
"बेटा! सूर्य तो सबके लिए चमकता है, पर जो अपनी आँखें खोलकर उसकी ओर देखता है, वही प्रकाश पाता है।
उसी प्रकार, जो सच्चे मन से, विश्वासपूर्वक और विनम्रता से भक्ति करता है, भगवान की कृपा उसी पर प्रकट होती है।"
संदेश: भगवान सबके हैं, पर उनका अनुभव वही करता है जो सच्चे मन से उन्हें पुकारता है।
📚 कहाँ मिलेंगे हनुमान प्रसाद जी के सरस प्रसंग?
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गीताप्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित:
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‘कल्याण’ पत्रिका (वर्ष–संख्या जैसे: भक्तिसंकल्पांक, संत अंक, नाममहिमा अंक आदि)
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भक्त चरित्र, महापुरुषों की जीवनगाथाएं, संतों के प्रेरक प्रसंग
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सत्संग सुधा, रामकथा, कृष्णलीला आदि
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