• "श्रीराधाबल्लभ अष्टयाम" एक अत्यंत भावपूर्ण एवं भक्तिमय ग्रंथ है, जो श्रीराधाबल्लभ संप्रदाय की उपासना पद्धति, लीला-स्मरण और अष्टयाम सेवा की दिव्य परंपरा का परिचय कराता है। यह पुस्तक उन भक्तों के लिए रत्नस्वरूप है, जो श्री राधा-कृष्ण की लीला-भक्ति में गहराई से डूबना चाहते हैं।


    🌸 मुख्य विषयवस्तु:

    • अष्टयाम लीला वर्णन (प्रातः से रात्रि तक श्री राधाकृष्ण की दिव्य लीलाओं का क्रमिक वर्णन)

    • रसिक नाम ध्वनि, प्रभुगुणगान, वियोगोत्सव ‘व्याकुलता’ जैसे भावप्रधान अंश

    • करुणा बेली, भृकुटि पदावली, प्रिय नामावली, विरहिणी उत्सव – भक्ति एवं विरह भाव से ओतप्रोत सामग्री


    🎵 पुस्तक की विशेषताएँ:

    • रसिक परंपरा की सुंदर प्रस्तुति जिसमें भक्तिरस की गहराइयाँ व्यक्त की गई हैं।

    • पदों, नामों और लीलाओं के माध्यम से श्रीराधा-कृष्ण के प्रति आत्मसमर्पण का मार्ग।

    • लीलास्मरण के साथ-साथ विरह भाव को प्रबलता से प्रस्तुत करती है।


    🙏 पुस्तक किसके लिए उपयुक्त है:

    • राधा बल्लभ संप्रदाय के अनुयायियों के लिए।

    • श्रीराधा-कृष्ण की अष्टयाम सेवा में रुचि रखने वाले साधकों के लिए।

    • भावभक्ति, लीला-स्मरण और रसविचार में रुचि रखने वाले अध्यात्मप्रेमियों के लिए।


    "श्रीराधाबल्लभ अष्टयाम" न केवल एक ग्रंथ है, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव है, जो भक्ति के उच्च शिखर तक ले जाने वाला साधन है। यह ग्रंथ ह्रदय को प्रेम और विरह के रस में डुबो देता है।

  • श्री राम नाम संकीर्तन की कहानी

     

    एक समय की बात है, काशी नगर में एक संत निवास करते थे, जो श्रीराम नाम संकीर्तन में लीन रहते थे। वे निरंतर "श्रीराम, जय राम, जय जय राम" का संकीर्तन करते और दूसरों को भी यही करने की प्रेरणा देते। उनकी भक्ति से प्रभावित होकर नगर के लोग भी राम नाम जपने लगे।

    एक दिन, एक दरिद्र ब्राह्मण संत के पास आया और अपनी दरिद्रता से मुक्ति का उपाय पूछने लगा। संत ने उसे प्रेमपूर्वक कहा, "हे वत्स! यदि तुम सच्चे हृदय से श्रीराम का नाम जपो और प्रतिदिन राम संकीर्तन करो, तो तुम्हारे सभी कष्ट दूर हो जाएंगे।"

    ब्राह्मण ने संत की बात मानी और प्रतिदिन श्रद्धा से राम नाम जपने लगा। कुछ ही समय में उसकी दरिद्रता दूर हो गई, और उसके जीवन में सुख-शांति आ गई।

    इसी प्रकार, श्रीराम नाम संकीर्तन का प्रभाव संपूर्ण नगर में फैल गया। लोग भजन-कीर्तन में लीन रहने लगे और उनके जीवन से सभी दुख, कष्ट, भय और विपत्तियाँ दूर हो गईं।

    शिक्षा:

    श्रीराम नाम संकीर्तन से जीवन में सुख-समृद्धि आती है, मन शुद्ध होता है और भक्त को भगवान श्रीराम की कृपा प्राप्त होती है। जो भी सच्चे मन से श्रीराम का नाम जपता है, उसके सभी दुख दूर हो जाते हैं।

    "राम नाम की महिमा अपरंपार है, जो इसका जप करता है, वह भवसागर से पार हो जाता है

  • श्री राम नाम संकीर्तनम् (Shri Ram Naam Sankirtanam) एक अत्यंत पवित्र और भक्तिपूर्ण आध्यात्मिक गतिविधि है जिसमें भक्तगण भगवान श्रीराम के नाम का सामूहिक रूप से कीर्तन (भजन, गान) करते हैं। इसका उद्देश्य भगवान राम के पावन नाम का गुणगान कर, भक्ति, श्रद्धा और शांति का अनुभव करना होता है।

    श्री राम नाम संकीर्तन का हिंदी में विवरण:

    श्री राम नाम संकीर्तन का अर्थ है - "श्रीराम" नाम का उच्चारण, गायन और स्मरण करते हुए भक्ति भाव से कीर्तन करना। यह कीर्तन मुख्यतः "राम राम" या "श्रीराम जय राम जय जय राम" जैसे मंत्रों या भजनों के रूप में होता है। इसमें एक व्यक्ति या समूह मिलकर ताल, ढोलक, मंजीरा आदि के साथ भक्ति में लीन होकर गाते हैं।

    विशेषताएँ:

    1. भक्ति का माध्यम – यह एक सरल पर अत्यंत प्रभावशाली साधना है जिसमें किसी विशेष नियम की आवश्यकता नहीं होती।

    2. मानसिक शांति – श्रीराम नाम के उच्चारण से मन को अत्यधिक शांति मिलती है और तनाव दूर होता है।

    3. सामूहिक ऊर्जा – सामूहिक कीर्तन से एक विशेष प्रकार की आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है।

    4. कल्याणकारी प्रभावरामनाम का संकीर्तन पापों का नाश करता है और मोक्ष की प्राप्ति में सहायक होता है।

    प्रसिद्ध पंक्तियाँ (उदाहरण):

    • "श्रीराम जय राम जय जय राम"

    • "राम नाम की लूट है, लूट सके तो लूट"

    • "भज मन राम चरन सुखदाई"

  • "श्री रामकृष्ण : वेदांत के आलोक में"

    यह पुस्तक श्री रामकृष्ण परमहंस के जीवन, उनके अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभवों और उनके वेदांत दर्शन में योगदान को प्रकाश में लाती है। श्री रामकृष्ण ने अपने जीवन में विभिन्न धार्मिक परंपराओं को आत्मसात कर यह सिद्ध किया कि सभी आध्यात्मिक मार्ग सत्य की ओर ले जाते हैं। उन्होंने अद्वैत वेदांत को अपने जीवन में प्रत्यक्ष अनुभव किया और सरल भाषा में गूढ़ आध्यात्मिक रहस्यों को जनसामान्य तक पहुँचाया।

    इस पुस्तक में उनके उपदेशों, शिक्षाओं और जीवन प्रसंगों का संकलन है, जो वेदांत की गहरी व्याख्या प्रस्तुत करता है। यह ग्रंथ उन पाठकों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है जो वेदांत के सिद्धांतों को जीवन में उतारना चाहते हैं और रामकृष्ण परमहंस की शिक्षाओं को समझना चाहते हैं।

    क्या आप इस पुस्तक की अधिक विस्तृत जानकारी चाहते हैं?

  • श्री रामकृष्ण परमहंस का जीवन एक दिव्य प्रेरणा और आध्यात्मिकता की मिसाल है। वे 19वीं शताब्दी के महान संत, योगी और विचारक थे, जिन्होंने भक्ति, ज्ञान और कर्म के अद्वितीय समन्वय को अपनाया। उनका जन्म 18 फरवरी 1836 को पश्चिम बंगाल के कामारपुकुर गाँव में हुआ था। उनका मूल नाम गदाधर चट्टोपाध्याय था।

    रामकृष्ण परमहंस ने अपने जीवन में विभिन्न धर्मों और साधना मार्गों को अपनाया और अनुभव किया कि सभी रास्ते एक ही परम सत्य की ओर ले जाते हैं। वे माँ काली के परम भक्त थे और उन्हें सजीव रूप में अनुभव करते थे। उन्होंने अद्वैत वेदांत, इस्लाम, और ईसाई धर्म की भी साधना की और निष्कर्ष निकाला कि "जितने मत, उतने पथ" यानी सभी धर्म एक ही परम सत्य की ओर ले जाते हैं।

    उनकी शिक्षाएँ सरल, व्यावहारिक और प्रेम से परिपूर्ण थीं। वे कहते थे कि ईश्वर की प्राप्ति प्रेम, भक्ति और निष्कपट हृदय से संभव है। वे साधारण लोगों से सरल भाषा में बात करते थे और दृष्टांतों (कथाओं) के माध्यम से गूढ़ आध्यात्मिक विषयों को समझाते थे।

    स्वामी विवेकानंद उनके प्रमुख शिष्य थे, जिन्होंने उनके संदेशों को पूरे विश्व में फैलाया। रामकृष्ण परमहंस का महाप्रयाण 16 अगस्त 1886 को हुआ, लेकिन उनकी शिक्षाएँ आज भी लाखों लोगों को प्रेरित कर रही हैं। उनका जीवन प्रेम, त्याग और ईश्वर के प्रति अनन्य समर्पण का अद्वितीय उदाहरण है।

  • श्री रामकृष्ण कथा चित्रमाला – बच्चों के लिए प्रेरणादायक पुस्तक

    "श्री रामकृष्ण कथा चित्रमाला" एक बालोपयोगी पुस्तक है, जो महान संत श्री रामकृष्ण परमहंस के जीवन, उपदेशों और आध्यात्मिक शिक्षाओं को आसान भाषा और चित्रों के माध्यम से प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक विशेष रूप से बच्चों और युवाओं के लिए तैयार की गई है ताकि वे धर्म, भक्ति और नैतिक मूल्यों को सरलता से समझ सकें।

    मुख्य विशेषताएँ

    1. सरल और रोचक भाषा – पुस्तक में सरल हिंदी में कहानियाँ और शिक्षाएँ दी गई हैं, जिससे बच्चे आसानी से समझ सकते हैं।
    2. चित्रों के माध्यम से प्रस्तुति – इस पुस्तक में सुंदर चित्रों के द्वारा श्री रामकृष्ण परमहंस के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं को दर्शाया गया है
    3. नैतिक और आध्यात्मिक शिक्षा – इसमें श्री रामकृष्ण के उपदेशों को बच्चों की मानसिकता के अनुरूप प्रस्तुत किया गया है, जिससे वे धर्म, भक्ति, सत्य और सेवा का महत्व समझ सकें।
    4. संक्षिप्त जीवन परिचय – पुस्तक श्री रामकृष्ण परमहंस के जन्म, तपस्या, भक्ति, साधना और आध्यात्मिक योगदान को सरल तरीके से बताती है।
    5. प्रेरणादायक कहानियाँ – इसमें उनकी शिक्षा, माँ काली के प्रति उनकी भक्ति, विवेकानंद के साथ उनके संवाद और उनके जीवन से जुड़े प्रेरक प्रसंग संकलित हैं।

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    "श्री रामकृष्ण-कथित बोधकथाएँ" (Sri Ramakrishna-Kathit Bodhakathayen)

    "श्री रामकृष्ण-कथित बोधकथाएँ" पुस्तक श्री रामकृष्ण परमहंस द्वारा सुनाई गई शिक्षाप्रद कहानियों (बोधकथाओं) का संकलन है। इन कहानियों के माध्यम से उन्होंने आध्यात्मिक सत्य, नैतिकता, भक्ति, और जीवन मूल्यों को सरल, सहज और रोचक ढंग से समझाया। ये कथाएँ किसी भी जिज्ञासु व्यक्ति को आध्यात्मिकता, ईश्वर भक्ति, और मानव सेवा का गहरा संदेश देती हैं।

    पुस्तक की मुख्य विशेषताएँ

    1. सरल और रोचक कहानियाँ

    • श्री रामकृष्ण ने अपने शिष्यों और अनुयायियों को आसान और व्यावहारिक भाषा में गूढ़ आध्यात्मिक सिद्धांत समझाने के लिए बोधकथाओं का उपयोग किया।
    • हर कथा में एक गहरा आध्यात्मिक संदेश छुपा होता है, जो पाठक को आत्मचिंतन के लिए प्रेरित करता है।

    2. धर्म, भक्ति और ज्ञान का समन्वय

    • ये कहानियाँ वेदांत, भक्तियोग, कर्मयोग, और ज्ञानयोग के सिद्धांतों को सरल रूप में प्रस्तुत करती हैं।
    • ईश्वर प्रेम, अहंकार का त्याग, और निस्वार्थ सेवा इन कहानियों के मुख्य विषय हैं।

    3. व्यावहारिक जीवन के लिए प्रेरणा

    • हर कहानी जीवन के किसी न किसी महत्वपूर्ण सत्य को उजागर करती है, जिससे व्यक्ति अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकता है
    • स्वामी विवेकानंद ने भी इन कहानियों को अपनी शिक्षा में महत्वपूर्ण स्थान दिया।
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    'श्री रामकृष्ण वचनामृत प्रसंग' (Shri Ramakrishna Vachanamrit Prasang) एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक ग्रंथ है, जो श्री रामकृष्ण परमहंस के उपदेशों और शिक्षाओं पर आधारित है। यह पुस्तक उनके संवादों और विचारों की व्याख्या प्रस्तुत करती है, जिससे पाठक उनके आध्यात्मिक संदेशों को गहराई से समझ सकते हैं।

    पुस्तक का विवरण

    पुस्तक की विशेषताएँ

    1. श्री रामकृष्ण के उपदेशों की गहन व्याख्या:
      स्वामी भूतेशानन्द ने श्री रामकृष्ण के उपदेशों की गहराई से व्याख्या की है, जिससे उनके विचारों और शिक्षाओं को समझना आसान हो जाता है।

    2. आध्यात्मिक साधकों के लिए उपयोगी:
      यह पुस्तक उन लोगों के लिए अत्यंत उपयोगी है जो श्री रामकृष्ण परमहंस की शिक्षाओं को अपने जीवन में लागू करना चाहते हैं।

    3. वेदांत और आधुनिक विचारों का समन्वय:
      पुस्तक में श्री रामकृष्ण के उपदेशों को वेदांत और अन्य शास्त्रीय दृष्टिकोणों के साथ जोड़ा गया है, जिससे उनका गूढ़ अर्थ स्पष्ट होता है।

    4. सरल और प्रभावी भाषा:
      यह पुस्तक सरल हिंदी भाषा में लिखी गई है, ताकि साधारण पाठक भी इसे आसानी से समझ सकें।

    यह ग्रंथ उन सभी के लिए एक मूल्यवान स्रोत है, जो आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में बढ़ना चाहते हैं और श्री रामकृष्ण परमहंस के संदेशों को अपने जीवन में अपनाना चाहते हैं।

  • "श्री रामकृष्ण वचनामृत प्रसंग भाग 2" (Swami Bhuteshananda द्वारा) एक अत्यंत प्रभावशाली ग्रंथ है जो श्री रामकृष्ण परमहंस के गहन आध्यात्मिक संवादों का संग्रह है। यह भाग मुख्यतः उनके अंतरंग शिष्यों और साधकों के साथ हुए वार्तालापों पर केंद्रित है, जिनमें गहन तत्वचिंतन, भक्ति और ईश्वर-साक्षात्कार की अनुभूतियों का वर्णन है।

    स्वामी भूतेशानंद, जो रामकृष्ण मिशन के 12वें अध्यक्ष रहे, उन्होंने वचनामृत के इन प्रसंगों को अत्यंत सरल, सुलभ भाषा में व्याख्यायित किया है। उनके स्पष्टीकरण शास्त्रीय ज्ञान को आम जनमानस के लिए सहज और उपयोगी बनाते हैं। पुस्तक में श्री रामकृष्ण के दैनिक जीवन की घटनाओं, उनके भाव-समाधि के क्षणों, भक्तों को दिए गए मार्गदर्शन और उनके सहज अद्वैत अनुभवों का विवरण दिया गया है।

    यह पुस्तक केवल उपदेश नहीं, बल्कि जीवंत अनुभव है – एक ऐसा स्रोत जो साधक के भीतर आत्मबोध और भक्ति दोनों को जगाने में समर्थ है। इसका प्रत्येक प्रसंग पाठक को ध्यान, भक्ति और आत्मनिरीक्षण की ओर ले जाता है।

    "श्री रामकृष्ण वचनामृत प्रसंग भाग 2" स्वामी भूतेशानंद द्वारा संपादित एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक ग्रंथ है, जो श्री रामकृष्ण परमहंस के उपदेशों और वार्तालापों का संग्रह है। यह पुस्तक हिंदी में उपलब्ध है और इसमें 186 पृष्ठ हैं। इसे 2022 में अद्वैत आश्रम द्वारा प्रकाशित किया गया था।

    इस भाग में, स्वामी भूतेशानंद ने श्री रामकृष्ण के उपदेशों को सरल और स्पष्ट भाषा में प्रस्तुत किया है, जिससे पाठकों को उनके आध्यात्मिक विचारों को समझने में सहायता मिलती है। पुस्तक में भक्ति, ध्यान, ईश्वर-दर्शन, गुरु-शिष्य संबंध, और आत्मज्ञान जैसे विषयों पर गहन चर्चा की गई है।

    📚 पुस्तक की विशेषताएँ

    यह ग्रंथ श्री रामकृष्ण परमहंस के उपदेशों का संग्रह है, जिसे स्वामी भूतेशानंद ने संकलित किया है। पुस्तक में आध्यात्मिक वार्तालाप, भक्ति, ध्यान, और ईश्वर दर्शन के उपायों पर गहन चर्चा की गई है। यह साधकों के लिए एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शक है, जो आत्मिक उन्नति की दिशा में अग्रसर होना चाहते हैं

    Sri Ramakrishna Vachanamrut Prasanga Part 2" (by Swami Bhuteshananda) is a highly influential book which is a collection of profound spiritual conversations of Sri Ramakrishna Paramahamsa. This part mainly focuses on his conversations with his close disciples and seekers, which describe deep philosophical contemplation, devotion and experiences of God-realization. Swami Bhuteshananda, who was the 12th President of the Ramakrishna Mission, has explained these Vachanamrut Prasanga in a very simple, accessible language. His explanations make the classical knowledge easy and useful for the common man. The book details the events of Sri Ramakrishna's daily life, his moments of bhava-samadhi, guidance given to devotees and his spontaneous non-dual experiences. This book is not just a sermon, but a living experience - a source capable of awakening both self-realization and devotion within the seeker. Each episode leads the reader to meditation, devotion and introspection. ​"Shri Ramakrishna Vachanamrit Prasanga Part 2" is an important spiritual text edited by Swami Bhuteshananda, which is a collection of teachings and conversations of Sri Ramakrishna Paramhansa. This book is available in Hindi and has 186 pages. It was published by Advaita Ashram in 2022. ​ In this part, Swami Bhuteshananda has presented the teachings of Sri Ramakrishna in simple and clear language, which helps readers to understand his spiritual ideas. The book has an in-depth discussion on topics like devotion, meditation, God-vision, Guru-disciple relationship, and enlightenment. 📚 Features of the book This text is a collection of teachings of Sri Ramakrishna Paramhansa, compiled by Swami Bhuteshananda. The book has an in-depth discussion on spiritual conversations, devotion, meditation, and God-vision. It is an important guide for seekers who want to move towards spiritual advancement
  • 1. श्री रामकृष्ण परमहंस (1836–1886)

    जीवनी:
    श्री रामकृष्ण परमहंस का जन्म 18 फरवरी 1836 को पश्चिम बंगाल के कामारपुकुर गाँव में हुआ था। बचपन से ही वे अत्यंत भावुक, आध्यात्मिक और सरल स्वभाव के थे। दक्षिणेश्वर काली मंदिर में पुजारी के रूप में सेवा करते हुए, उन्होंने माँ काली के साक्षात् दर्शन किए। उन्होंने विभिन्न धार्मिक साधनाएँ अपनाईं — हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई साधनाएँ — और अंततः यह अनुभव किया कि सभी धर्म एक ही सत्य की ओर ले जाते हैं। वे जीवन भर परमात्मा के प्रेम, भक्ति और साधना के संदेशवाहक रहे।

    संदेश:

    • "जितने मत, उतने मार्ग।"

    • "ईश्वर को पाने के लिए सच्ची तड़प और प्रेम चाहिए।"

    • "धर्म का सार है — ईश्वर का अनुभव करना।"


    2. श्री माँ शारदा देवी (1853–1920)

    जीवनी:
    श्री माँ शारदा देवी का जन्म 22 दिसंबर 1853 को पश्चिम बंगाल के जयरामबाटी गाँव में हुआ था। वे श्री रामकृष्ण परमहंस की धर्मपत्नी थीं, किंतु उनका संबंध सांसारिक से अधिक आध्यात्मिक था। उन्होंने अपने जीवन में करुणा, सेवा, सहनशीलता और साधना का आदर्श प्रस्तुत किया। श्री माँ ने रामकृष्ण मिशन के कार्यों को आगे बढ़ाया और अनगिनत शिष्यों को मातृवत प्रेम प्रदान किया।

    संदेश:

    • "सभी को मातृभाव से देखो।"

    • "अगर तुम किसी की गलती नहीं देख सकते, तो उसे सच्चा प्रेम दे सकते हो।"

    • "अपने ऊपर विश्वास रखो, ईश्वर पर विश्वास रखो।"


    3. स्वामी विवेकानंद (1863–1902)

    जीवनी:
    स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ। बचपन में उनका नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। वे बचपन से ही जिज्ञासु, निर्भीक और सत्य की खोज में लगे रहे। श्री रामकृष्ण परमहंस से दीक्षा प्राप्त कर उन्होंने अद्वैत वेदांत का गहन अध्ययन किया और विश्वभर में भारतीय अध्यात्म का प्रचार किया। 1893 में शिकागो के विश्व धर्म महासभा में उनके ऐतिहासिक भाषण ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई।

    संदेश:

    • "उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए।"

    • "शक्ति ही जीवन है, दुर्बलता मृत्यु है।"

    • "अपने भीतर ईश्वर को देखो और सब प्राणियों में भी उसी को अनुभव करो।

  • श्री विष्णु सहस्रनाम स्तोत्रम् 

    श्री विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र ग्रंथ है, जिसमें भगवान विष्णु के 1000 नामों का संकलन है। यह महाभारत के अनुशासन पर्व (अध्याय 149) में वर्णित है और इसे भीष्म पितामह ने कुरुक्षेत्र में युधिष्ठिर को सुनाया था। इस स्तोत्र का पाठ करने से शांति, समृद्धि, सुख और मोक्ष की प्राप्ति होती है।


    1. श्री विष्णु सहस्रनाम का महत्त्व:

    • भगवान विष्णु को सृष्टि के पालनहार (संरक्षक) के रूप में पूजा जाता है।

    • सहस्रनाम में भगवान के विभिन्न स्वरूपों, गुणों और शक्तियों का वर्णन किया गया है।

    • इसका नियमित पाठ करने से मानसिक शांति, संकटों का निवारण और जीवन में सफलता मिलती है।

    • यह सभी कष्टों को दूर करने और मोक्ष प्रदान करने वाला माना जाता है।


    2. श्री विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र की रचना:

    (क) प्रारंभिक संवाद:

    • इसमें युधिष्ठिर और भीष्म पितामह के बीच संवाद है।

    • युधिष्ठिर प्रश्न पूछते हैं: "सबसे बड़ा धर्म क्या है? सबसे उत्तम भक्ति मार्ग कौन सा है?"

    • भीष्म उत्तर देते हैं कि भगवान विष्णु के 1000 नामों का पाठ करने से सभी दुखों का अंत होता है

    (ख) मुख्य स्तोत्र:

  • श्री शंकर चरित्र

    परिचय:
    "श्री शंकर चरित्र" हिंदू धर्म के महान संतों में से एक, भगवान शंकराचार्य के जीवन और उनके अद्वितीय योगदान का वर्णन करने वाला ग्रंथ है। यह पुस्तक आदि शंकराचार्य के जन्म, शिक्षा, अद्वैत वेदांत के प्रचार, उनके जीवन के प्रमुख घटनाक्रमों और आध्यात्मिक शिक्षाओं को विस्तार से प्रस्तुत करती है।

    मुख्य विषयवस्तु:

    1. जन्म और प्रारंभिक जीवन: आदि शंकराचार्य का जन्म केरल के कालड़ी गांव में हुआ था। बाल्यावस्था से ही वे असाधारण बुद्धिमान और धार्मिक प्रवृत्ति के थे।

    2. संन्यास ग्रहण: शंकराचार्य ने छोटी आयु में ही संन्यास लेकर वेदांत के गूढ़ रहस्यों को समझा और जगत के कल्याण हेतु यात्रा प्रारंभ की।

    3. अद्वैत वेदांत का प्रचार: उन्होंने अद्वैत वेदांत को पुनः प्रतिष्ठित किया, जो यह दर्शाता है कि आत्मा और ब्रह्म एक ही हैं।

    4. चार मठों की स्थापना: शंकराचार्य ने भारत के चारों दिशाओं में चार प्रमुख मठों की स्थापना की—शृंगेरी, द्वारका, ज्योतिर्मठ (बद्रीनाथ) और पुरी।

    5. ग्रंथों की रचना: उन्होंने उपनिषदों, भगवद गीता और ब्रह्मसूत्रों पर भाष्य लिखे, जिससे अद्वैत वेदांत को समझना सरल हुआ।

    6. मंदिरों और धार्मिक सुधार: शंकराचार्य ने हिंदू समाज में एकता स्थापित करने के लिए धार्मिक सुधार किए और कई प्रमुख मंदिरों का पुनरुद्धार किया।

    7. समाधि: छोटी आयु में ही उन्होंने काशी, बद्रीनाथ और अंततः केदारनाथ में अपना शरीर त्याग दिया।

    महत्व:
    "श्री शंकर चरित्र" शंकराचार्य के जीवन और शिक्षाओं को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। यह अद्वैत वेदांत, भक्ति, और धर्म की गहरी समझ प्रदान करता है।

     
    यह ग्रंथ हमें ज्ञान, भक्ति और आत्मज्ञान के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। आदि शंकराचार्य का जीवन सिद्ध करता है कि सच्चा ज्ञान और आत्मबोध ही मोक्ष का मार्ग है।

    क्या आप इस विषय पर विस्तृत विवरण चाहते हैं?