परिचय:
उत्तर-रामचरितम्संस्कृत साहित्य का एक प्रमुख नाटक है, जिसकी रचना प्रसिद्ध कवि भवभूति ने की थी। यह नाटक रामकथा पर आधारित है और इसमें विशेष रूप से श्रीराम के राज्याभिषेक के बाद के जीवन की घटनाओं को दर्शाया गया है।
कथावस्तु:
इस नाटक में कुल सात अंकों में विभाजित कथा प्रस्तुत की गई है। इसमें मुख्य रूप से श्रीराम और सीता के वियोग और पुनर्मिलन का मार्मिक चित्रण किया गया है। इसमें राम के राज्यकाल में सीता का वनवास, लव-कुश की कथा और अंततः राम-सीता के पुनर्मिलन को अत्यंत भावनात्मक ढंग से दर्शाया गया है।
मुख्य विशेषताएँ:
- करुण रस की प्रधानता – यह नाटक अपनी मार्मिकता और संवेदनशीलता के कारण अत्यंत प्रसिद्ध है।
- उच्च कोटि की काव्यशैली – भवभूति की भाषा अत्यंत सरस और प्रभावशाली है।
- चरित्र चित्रण – राम, सीता, लव-कुश और वाल्मीकि जैसे पात्रों का गहन मनोवैज्ञानिक चित्रण किया गया है।
- न्याय और धर्म का संघर्ष – राम के चरित्र में एक राजा और पति के कर्तव्यों के बीच द्वंद्व को दर्शाया गया है।
- प्रेरणादायक संदेश – यह नाटक हमें प्रेम, त्याग और कर्तव्य के महत्त्व का बोध कराता है।
निष्कर्ष:
उत्तर-रामचरितम् केवल एक नाटक नहीं, बल्कि मानवीय संवेदनाओं और धर्म के आदर्शों का उत्कृष्ट संगम है। यह भवभूति की प्रतिभा का एक अमर उदाहरण है और आज भी इसे संस्कृत साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है।