"साधन-सुधा-निधि" पुस्तक उन दिव्य प्रवचनों और लेखों का संकलन है जो स्वामी रामसुखदास जी महाराज द्वारा दिए गए, किंतु पूर्व में प्रकाशित ग्रंथ "साधन-सुधा-सिंधु" में सम्मिलित नहीं हो पाए थे। यह पुस्तक वास्तव में साधकों के लिए एक अमूल्य निधि है, जिसमें आत्मिक साधना, व्यावहारिक धर्म, और भगवद्भक्ति की अमृत वर्षा है।
🌼 मुख्य विषयवस्तु:
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जीवन को साधना में कैसे बदलें — दिनचर्या से लेकर विचारों तक।
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ईश्वर की ओर बढ़ने के मार्ग — शरणागति, नम्रता, श्रद्धा और भक्ति का महत्त्व।
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मानव जीवन की सार्थकता — सत्संग, सेवा, त्याग और ध्यान के माध्यम से।
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दैनंदिन संघर्षों में आत्मिक संतुलन — क्रोध, लोभ, मोह से मुक्त होने के उपाय।
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शास्त्रों की सरल व्याख्या — गीता, उपनिषद और संतवाणी के आधार पर।
🌷 पुस्तक की विशेषताएँ:
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गूढ़ विषयों की अत्यंत सरल भाषा में व्याख्या।
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हर पृष्ठ साधकों के लिए एक दीपक के समान।
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प्रवचन शैली में आत्मीयता और प्रेरणा।
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पूर्ववर्ती ग्रंथ 'साधन-सुधा-सिंधु' के पूरक रूप में यह पुस्तक।
🙏 यह पुस्तक किसके लिए उपयुक्त है:
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जो आध्यात्मिक जीवन को व्यावहारिक जीवन में लाना चाहते हैं।
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जो शुद्ध साधना के मार्ग पर चलना चाहते हैं।
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गीता और रामसुखदास जी के भक्त व अनुयायी।
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ईश्वर-प्राप्ति की सच्ची आकांक्षा रखने वाले साधक।
"साधन-सुधा-निधि" वास्तव में एक ऐसी आध्यात्मिक संपत्ति है जो जीवन को परम उद्देश्य की ओर ले जाने वाली अमूल्य कुंजी प्रदान करती है। यह पुस्तक गीता प्रेस की उन अनुपम कृतियों में से है, जो हर साधक के पास होनी चाहिए।