रुद्राक्ष पूरे बिधि -बिधान से धारण करें , और उसके चमत्कारी गुणों का पूरा लाभ उठाए !!!
पौराणिक मान्यताएं हैं कि, शिव के नेत्रों से रुद्राक्ष का उद्भव हुआ है और यह हमारी हर तरह की समस्या को हरने की क्षमता रखता है। कहते हैं कि,रुद्राक्ष जितना छोटा हो, यह उतना ही ज्यादा प्रभावशाली होता है, सफलता, धन-संपत्ति, मान-सम्मान दिलाने में सहायक होता है रुद्राक्ष !
लेकिन हर चाहत के लिए अलग-अलग रुद्राक्ष को धारण किया जाता है। वैसे, रुद्राक्ष संबंधी कुछ नियम भी हैं, जैसे- रुद्राक्ष की जिस माला से आप जाप करते हैं, उसे धारण नहीं किया जाना चाहिए, रुद्राक्ष को किसी शुभ मुहूर्त में ही धारण करना चाहिए, इसे अंगूठी में नहीं जड़ाना चाहिए। कहते हैं कि,जो पूरे नियमों का ध्यान रख श्रद्धापूर्वक रुद्राक्ष को धारण करता है, उनकी सभी कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
कहा जाता है कि, जिन घरों में रुद्राक्ष की पूजा होती है, वहां मां लक्ष्मी का वास होता है, यह भगवान शंकर की प्रिय चीज मानी जाती है, जानें, कौन से फायदे के लिए कितने मुख वाले रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए ।
एकमुखी रुद्राक्ष – एकमुखी रुद्राक्ष को शिवजी का ही रूप माना जाता है, जिन लोगों को महालक्ष्मी की कृपा और सभी सुख-सुविधाएं चाहिए उन्हें एकमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। वैसे यह रुद्राक्ष आसानी से मिलता नहीं है। एकमुखी रुद्राक्ष को इस मंत्र (ऊँ ह्रीं नम:।।) के जप के साथ धारण करना चाहिए।
दोमुखी रुद्राक्ष – दोमुखी रुद्राक्ष को देवदेवेश्वर कहा गया है। सभी प्रकार की मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए इसे धारण करना चाहिए। धारण करने का मंत्र- ऊँ नम:।। इस मंत्र के साथ दोमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
तीनमुखी रुद्राक्ष – शिवपुराण के अनुसार तीनतीन मुखी रुद्राक्ष कठिन साधाना के बराबर फल देने वाला बताया गया है। जिन लोगों को विद्या प्राप्ति की अभिलाषा है, उन्हें मंत्र (ऊँ क्लीं नम:) के साथ तीनमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
चारमुखी रुद्राक्ष – चारमुखी रुद्राक्ष को ब्रह्मा का रूप माना गया है। ये रुद्राक्ष धारण करने वाले भक्त को धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसका मंत्र है- ऊँ ह्रीं नम:।। इस मंत्र के साथ चारमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
पांचमुखी रुद्राक्ष – जिन भक्तों को सभी परेशानियों से मुक्ति चाहिए और मनोवांछित फल प्राप्त करने की इच्छा है, उन्हें पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। इसका मंत्र है- ऊँ ह्रीं नम:।। इस मंत्र के साथ पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। यह रुद्राक्ष सभी प्रकार के पापों के प्रभाव को भी कम करता है।
छहमुखी रुद्राक्ष – यह रुद्राक्ष भगवान कार्तिकेय का रूप माना जाता है। कार्तिकेय भगवान शिव के पुत्र हैं। जो व्यक्ति इस रुद्राक्ष को दाहिनी बांह पर धारण करता है, उसे ब्रह्महत्या जैसे पापों से भी मुक्ति मिल जाती है। इसका मंत्र है- ऊँ ह्रीं हुं नम:। इस मंत्र के साथ यह रुद्राक्ष धारण करें।
सातमुखी रुद्राक्ष – जो लोग गरीबी से मुक्ति चाहते हैं, उन्हें सातमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। इस रुद्राक्ष को धारण करने से गरीब व्यक्ति धनवान बन सकता है। इसका मंत्र है- ऊँ हुं नम:। इस मंत्र के साथ यह रुद्राक्ष धारण करें।
आठमुखी रुद्राक्ष – शिवपुराण के अनुसार अष्टमुखी रुद्राक्ष भैरव महाराज का रूप माना जाता है। जो लोग इस रुद्राक्ष को धारण करते हैं, वे अकाल मृत्यु से शरीर का त्याग नहीं करते हैं। ऐसे लोग पूर्ण आयु जीते हैं। इसका मंत्र है- ऊँ हुं नम:। इस मंत्र के साथ यह रुद्राक्ष धारण करें।
नौमुखी रुद्राक्ष – यह रुद्राक्ष महाशक्ति के नौ रूपों का प्रतीक है। जो लोग नौमुखी रुद्राक्ष धारण करते हैं, वे सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त करते हैं। इन लोगों को समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है। इसका मंत्र है- ऊँ ह्रीं हुं नम:। इस मंत्र के साथ यह रुद्राक्ष धारण करें।
दसमुखी रुद्राक्ष – जो लोग अपनी सभी इच्छाएं पूरी करना चाहते हैं, वे दसमुखी रुद्राक्ष पहन सकते हैं। यह रुद्राक्ष भगवान विष्णु का प्रतीक है। इसका मंत्र है- ऊँ ह्रीं नम:। इस मंत्र के साथ यह रुद्राक्ष धारण करें।
ग्यारहमुखी रुद्राक्ष – शिवपुराण के अनुसार ग्यारहमुखी रुद्राक्ष भगवान शिव के अवतार रुद्रदेव का रूप है। जो व्यक्ति इस रुद्राक्ष को धारण करता है, वह सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करता है। शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। इसका मंत्र है- ऊँ ह्रीं हुं नम:। इस मंत्र के साथ ये रुद्राक्ष धारण करें।
बारहमुखी रुद्राक्ष – जो लोग बाहरमुखी रुद्राक्ष धारण करते हैं, उन्हें बारह आदित्यों की विशेष कृपा प्राप्त होती है। बारहमुखी रुद्राक्ष विशेष रूप से बालों में धारण करना चाहिए। इसका मंत्र है- ऊँ क्रौं क्षौं रौं नम:। इस मंत्र के साथ यह रुद्राक्ष धारण करें।
तेरहमुखी रुद्राक्ष – इस रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति भाग्यशाली बन सकता है। तेरहमुखी रुद्राक्ष से धन लाभ होता है। इसका मंत्र है- ऊँ ह्रीं नम:। इस मंत्र के साथ यह रुद्राक्ष धारण करें।
चौदहमुखी रुद्राक्ष – इस रुद्राक्ष को भी शिवजी का रूप माना गया है। इसे धारण करने वाले व्यक्ति को सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है। इस रुद्राक्ष को मस्तक पर धारण करना चाहिए। इसका मंत्र है- ऊँ नम:। इस मंत्र के साथ यह रुद्राक्ष धारण करें।
रुद्राक्ष धारण करने के हैं, कई लाभ ।
लेकिन पहले जान लें, उसके नियम-का
विज्ञान ने भी माना रुद्राक्ष धारण करने से होते हैं कई लाभ, हृदय रोग भी होता है दूर।
रुद्राक्ष भगवान शिव के अंग का प्रतीक माना गया है, इसे धारण करने वाले के जीवन में कोई समस्याएं नहीं आती हैं। इसे धारण करने वाले को अपने जीवन में कई नियम लागू करने पड़ते हैं, इसे कोई भी नहीं पहन सकता है। इसे अधिकतर गले में पहना जाता है।
रुद्राक्ष भिन्न-भिन्न तरह के होते हैं और हर रुद्राक्ष के अलग-अलग फायदे होते हैं। ऐसा नहीं है कि हर रुद्राक्ष को धारण करने के भी नियम अलग-अलग होते हैं। आपको बता दें कि सभी तरह के रुद्राक्ष धारण करने के एक जैसे ही नियम होते हैं। रुद्राक्ष हमारे जीवन में सभी तरह की सुख-समृधि लाता है पर इसे धारण करने के नियमों को अगर अपनाया ना जाए तो कई बार ये रुद्राक्ष आपके कई नुकसान करवा सकता है।
रुद्राक्ष धारण करने के नियम:—–
– एकमुखी रुद्राक्ष को पीतल के बर्तन में रख कर उसपर 108 बिल्वपत्र लेकर चन्दन से ॐ नम: शिवाय मंत्र लिखकर उसे रात्रि भर के लिए छोड़ दें। इसके बाद ही धारण करें।
– रुद्राक्ष धारण करने के बाद अंडे, मांस, मदिरा, लहसुन, प्याज को त्याग देना चाहिए।
– रुद्राक्ष शिवलिंग अथवा शिव प्रतिमा से स्पर्श कराकर ही धारण करना चाहिए।
– रुद्राक्ष धारण करने के बाद सुबह-शाम भगवान शंकर का पूजन और ॐ नम: शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए।
– रुद्राक्ष धारण करने पर व्यक्ति को झूठ बोलने की आदत को छोड़ देना चाहिए, इससे भगवान शिव रूष्ट हो सकते हैं।
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