एक बार श्री राधारानी श्री सेवाकुंज में रास में आने में बहुत देर लगा दी तोश्यामसुंदर उनकी विरह में रोने लगे जब स्वामिनी को बहुत देर हो गयी तब श्यामसुंदर धीरता ना रख सके और सखीयो से पूछने लगेपरंतु थोड़ी ही देर में स्वामिनी रासमंडल में पधारी तभी श्याम मान ठान कर बैठ गएस्वामिनी बोलीललिताजी इन महाराज को क्या हुआमुँह फुलाय काहे बैठे हैललिता जी ने पूरी कथा सुना दीस्वामिनी मुस्कुराते हुए श्याम के चिबुक पर हाथ लगाया जैसे ही लगायाश्याम के चिबुक पर ” दाल चावल” लग गएश्याम और मान ठान बैठेबोले एक तो ” देर से और अब हमारे मुख पर दाल भात्त” लगाय सखियों से मज़ाक़ करवाओगीस्वामिनी मुस्कुरा के बोली” ललिताजी एक बात बताओ” यह सब जो बाबा लोग है जो जितने भी भजनानंदी है यह सब अपना घरबार छोड़ ब्रज रज में भजन करने आवे, इन्हें यहाँ लाने वाला कौन हैललिता जी बोले – यही आपके श्यामसुंदरतो ललिताजी क्या इनका ” कर्तव्य नहीं बनता के जो इनके नाम का पान करने घर छोड़ भजन करने वृंदावन आए और इनके नाम कीर्तन करे तो इन्हें उनका ख़याल रखना चाइएअब आज ” इतनी घनघोर वर्षा हुई के वृंदावन के आज दस महात्मा कहीं मधुकरी करने ना जा सकेतब वो सोचे ” जैसे ठाकुरजी की इच्छा” बोले ख़ाली पेट सोने लगेतभी मैं वहीं से गुज़र रही थी रासमंडल के लिएमैंने तभी ” जल्दी जल्दी उन दस महात्माओं के लिए दाल भात्त बनायी और अपने हाथो से परोस आयी और कहा ” बाबा मोहे मेरी मैया ने भेजा है आप मधुकरी करने को ना गए नातभी मोहे देर हो गयी और जल्दी जल्दी में अपने हाथ ना धो सकी तो हाथ में दालभात्त लगा ही रह गयायह सुन श्याम रोने लगे और चरण में पड़कर बोलेस्वामिनी ” वैराग्य उत्पन्न करा घर बार छुड़ानायह मेरा काम हैंपरंतुउन सब को प्रेम , दुलार , सम्मान उनकी रक्षा करना उन्हें अपनी गोद में लेकर ” बार बार कहना कृपा होगी होगी होगी मैं हूँ ना” यह सब तो आप ही करना जानती होश्याम सखियाँ मंजरिया लता पुष्प पशु पक्षी कण कण बोल उठा” श्री राधा श्री राधा श्री राधाअच्छी है ना स्वामिनी हमारीश्री करूणामई लाडली जू की जय हो
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