Description
“श्री बृहद्भागवतामृतम्” एक महान वैष्णव ग्रंथ है, जिसे श्री चैतन्य महाप्रभु के प्रमुख शिष्य श्रील सनातन गोस्वामी ने रचा था। यह ग्रंथ भागवत धर्म, भक्ति, और शुद्ध प्रेम की चरम स्थिति की व्याख्या करता है। इसमें भगवद् भक्ति की महिमा, भक्तों की श्रेणियाँ, और गोलोक वृंदावन की दिव्य लीलाओं का अद्भुत वर्णन किया गया है।
“श्री श्री बृहद्भागवतामृतम्” के तीन खंड हैं। ये पुस्तकें श्रील सनातन गोस्वामी द्वारा रचित हैं और गौड़ीय वेदांत प्रकाशन द्वारा प्रकाशित हैं।
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प्रथम खंड: भागवत भक्त की खोज – नारद मुनि की यात्रा के माध्यम से
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द्वितीय खंड: गोपकुमार की आध्यात्मिक यात्रा – विभिन्न लोकों के माध्यम से
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तृतीय खंड: (इस संस्करण में संभवतः एक परिशिष्ट या विशेष व्याख्यात्मक भाग)
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✨ पुस्तक की विशेषताएँ:
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भक्ति की गूढ़ व्याख्या: किस प्रकार से भक्ति सर्वोच्च लक्ष्य है और भक्तों के भेद – साधक, सिद्ध, प्रेमी भक्त आदि कैसे होते हैं।
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नारद जी की यात्रा: वे कौन है जो वास्तव में श्रीकृष्ण के सबसे प्रिय भक्त हैं, इस प्रश्न के उत्तर में वे ब्रह्मा, शिव, प्रहलाद, हनुमान, पांडव, उद्धव और अंततः गोपियों तक पहुँचते हैं।
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गोपकुमार की कथा: एक साधारण गोपकुमार की साधना, भक्ति और अंततः गोलोक वृंदावन में श्रीकृष्ण की सेवा प्राप्त करने तक की यात्रा।
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वैष्णव सिद्धांतों की गहराई: इसमें भक्तिरस, नामाभास, शुद्ध भक्ति, रागानुगा भक्ति जैसे जटिल विषयों को सरलता से समझाया गया है।
🕉️ इस ग्रंथ का महत्व:
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श्रीमद्भागवत का रस और सार इस ग्रंथ में सजीव हो उठता है।
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यह ग्रंथ न केवल ज्ञानवर्धक है, बल्कि भावपूर्ण और अनुभूति प्रधान भी है।
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वैष्णव साहित्य और भक्तियोग का गूढ़तम दर्शन प्रस्तुत करता है।
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