Description
ऋग्वेद अग्नि इंद्र सूर्य वरुण वायु रुद्र आदि देवताओ का ज्ञान ( सेट ऑफ़ ४ बुक )
ऋग्वेद की ऋचाओं में देवताओं की प्रार्थना, स्तुतियां और देवलोक में उनकी स्थिति का वर्णन है। इसमें जल चिकित्सा, वायु चिकित्सा, सौर चिकित्सा, मानस चिकित्सा और हवन द्वारा चिकित्सा का आदि की भी जानकारी मिलती है। ऋग्वेद में च्यवनऋषि को पुनः युवा करने की कथा भी मिलती है।ऋग्वेद में ‘धर्म‘ शब्द विशेषण या संज्ञा के रूप में प्रयुक्त हुआ है । अथर्ववेद में ‘धर्म‘ शब्द का प्रयोग ‘धार्मिक क्रिया – संस्कार करने से अर्जित गुण’ के अर्थ में हुआ है । ऐतरेय ब्राह्मण में ‘धर्म‘ शब्द सकल धार्मिक कर्त्तव्यों के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है ।
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