Description
आचार्य विनोबाजी के गीता प्रवचन तथा गीताई नामक समश्लोकी अनुवाद अत्यंत लोकप्रिय हुए हैं। संसार की सभी प्रगल्भ भाषाओं में गीता के अनुवाद हो चुके हैं। गीता की इस योग्यता तथा मान्यता के कारण संस्कृत भाषा में रामगीता, शिवगीता, गुरुगीता हंसगीता, पांडवगीता, आदि 17 प्राचीन प्रसिद्ध गीता ग्रंथ प्रचलित हुए तथा आधुनिक काल में रमणगीता इत्यादि दो सौ से अधिक “गीता’ संज्ञक ग्रंथ निर्माण हुए हैं। श्रीमद्भगवद्गीता के प्रभाव से “दूतकाव्य” के समान गीता एक पृथगात्म वाङ्मयप्रकार ही संस्कृत वाङ्मय के क्षेत्र में हो गया है। गीता – सन 1960 में के. वेंकटराव के सम्पादकत्व में इस मासिक पत्रिका का प्रकाशन उडुपी से प्रारंभ हुआ। यह संस्कृत पत्रिका कत्रड लिपी में प्रकाशित होती थी। इसका वार्षिक मूल्य तीन रुपये था। गीतांजलि – रवींद्रनाथ टैगोर की प्रस्तुत सुप्रसिद्ध काव्य रचना एवं कथा उपन्यास आदि बंगाली साहित्य का अनुवाद पद्यवाणी, मंजूषा आदि संस्कृत पत्रिकाओं में प्रकाशित हुआ।
Additional information
Weight | 0.3 kg |
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