श्रीभरत चरित/ Shri Bharat Charit

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“श्रीभरत चरित्र” केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि त्याग, भक्ति, मर्यादा और निःस्वार्थ प्रेम का अनुपम आदर्श है। यह पुस्तक भगवान श्रीराम के अनुज श्रीभरत जी के विलक्षण और पूज्य जीवन का अत्यंत प्रभावशाली, भावप्रवण और शिक्षाप्रद चित्रण प्रस्तुत करती है।

लेखक हनुमानप्रसाद पोद्दार जी,  ने इस चरित्र को जिस तरह आत्मिक गहराई और सरल भक्ति से संजोया है, वह इसे केवल कथा नहीं, बल्कि एक जीवन-दर्शन बना देता है।


📖 पुस्तक की विषयवस्तु और सार:

“रामायण” की कथा जितनी श्रीराम के आदर्शों से महान है, उतनी ही भरत जी के चरित्र से दिव्य और पावन बनती है। यह ग्रंथ विशेष रूप से उन क्षणों को केंद्र में रखता है जब:

  • माता कैकेयी के कहने पर श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास होता है।

  • भरत जी अयोध्या लौटने पर इस षड्यंत्र को जानकर आहत होते हैं।

  • वे राज्य स्वीकार करने से इनकार करते हैं और श्रीराम को मनाने के लिए नंदीग्राम से चित्रकूट तक पदयात्रा करते हैं।

  • श्रीराम का वियोग उन्हें भीतर तक विदीर्ण करता है, पर वे राजपद पर बैठने की बजाय श्रीराम की चरणपादुका को अयोध्या की गद्दी पर रखकर स्वयं वनवासी व्रतधारी बन जाते हैं।

  • वे 14 वर्षों तक नंदीग्राम में एक तपस्वी की भाँति जीवन जीते हैं, राज्य की सेवा करते हैं और श्रीराम की प्रतीक्षा में आँसू बहाते हैं।


🌺 भरत जी का चरित्र – भारतीय संस्कृति का आदर्श स्तंभ:

भरत जी का जीवन एक प्रेरणापुंज है, जो दिखाता है कि सच्चा प्रेम क्या होता है – निःस्वार्थ, निरहंकार, और पूर्ण समर्पण से युक्त।

  • जहाँ अन्य कथाओं में सत्ता के लिए युद्ध और छल होते हैं, वहीं भरत जी का आचरण राजनीति से पूर्ण विरक्ति और धर्मनिष्ठ सेवा का दिग्दर्शक बनता है।

  • उनके भीतर कोई क्रोध नहीं, माता कैकेयी के प्रति भी केवल विनम्रता और करुणा है।

  • श्रीराम के लिए उनका प्रेम ईश्वर के प्रति भक्ति का ही रूप है।


🌼 पुस्तक की विशेषताएँ:

  • श्रीराम-भरत संवादों का हृदयस्पर्शी वर्णन

  • जीवन-मूल्यों का सुंदर चित्रण: त्याग, कर्तव्य, भक्ति, प्रेम और सेवा

  • संस्कारित भाषा और हनुमानप्रसाद पोद्दार जी की सौम्य शैली

  • परिवार, समाज और राष्ट्र के लिए नैतिक आदर्श स्थापित करने वाली रचना

  • कथा शैली में सहज, प्रवाहपूर्ण एवं भावनात्मक प्रस्तुति


🔱 पुस्तक क्यों पढ़ें?

“श्रीभरत चरित्र” एक ऐसी पुस्तक है जो वर्तमान युग के युवाओं, समाज सेवकों, और राजनेताओं के लिए धार्मिक मर्यादा और नैतिक मूल्यों का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करती है। भरत जी जैसे नायक केवल कथा-पात्र नहीं, बल्कि भारत की आत्मा के प्रतीक हैं – जिन्होंने त्याग को जीवन का श्रृंगार बनाया और भक्ति को सत्ता से ऊपर रखा।

यह ग्रंथ पढ़ते हुए पाठक स्वयं को उस नंदीग्राम के धूलभरे मार्गों पर पाता है जहाँ भरत जी प्रभु श्रीराम की चरणपादुका के आगे श्रद्धा से नत हो जाते हैं। यह केवल कथा नहीं – यह हृदय की शुद्धि और आत्मा का जागरण है।

Description

“श्रीभरत चरित्र” केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि त्याग, भक्ति, मर्यादा और निःस्वार्थ प्रेम का अनुपम आदर्श है। यह पुस्तक भगवान श्रीराम के अनुज श्रीभरत जी के विलक्षण और पूज्य जीवन का अत्यंत प्रभावशाली, भावप्रवण और शिक्षाप्रद चित्रण प्रस्तुत करती है।

लेखक हनुमानप्रसाद पोद्दार जी,  ने इस चरित्र को जिस तरह आत्मिक गहराई और सरल भक्ति से संजोया है, वह इसे केवल कथा नहीं, बल्कि एक जीवन-दर्शन बना देता है।


📖 पुस्तक की विषयवस्तु और सार:

“रामायण” की कथा जितनी श्रीराम के आदर्शों से महान है, उतनी ही भरत जी के चरित्र से दिव्य और पावन बनती है। यह ग्रंथ विशेष रूप से उन क्षणों को केंद्र में रखता है जब:

  • माता कैकेयी के कहने पर श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास होता है।

  • भरत जी अयोध्या लौटने पर इस षड्यंत्र को जानकर आहत होते हैं।

  • वे राज्य स्वीकार करने से इनकार करते हैं और श्रीराम को मनाने के लिए नंदीग्राम से चित्रकूट तक पदयात्रा करते हैं।

  • श्रीराम का वियोग उन्हें भीतर तक विदीर्ण करता है, पर वे राजपद पर बैठने की बजाय श्रीराम की चरणपादुका को अयोध्या की गद्दी पर रखकर स्वयं वनवासी व्रतधारी बन जाते हैं।

  • वे 14 वर्षों तक नंदीग्राम में एक तपस्वी की भाँति जीवन जीते हैं, राज्य की सेवा करते हैं और श्रीराम की प्रतीक्षा में आँसू बहाते हैं।


🌺 भरत जी का चरित्र – भारतीय संस्कृति का आदर्श स्तंभ:

भरत जी का जीवन एक प्रेरणापुंज है, जो दिखाता है कि सच्चा प्रेम क्या होता है – निःस्वार्थ, निरहंकार, और पूर्ण समर्पण से युक्त।

  • जहाँ अन्य कथाओं में सत्ता के लिए युद्ध और छल होते हैं, वहीं भरत जी का आचरण राजनीति से पूर्ण विरक्ति और धर्मनिष्ठ सेवा का दिग्दर्शक बनता है।

  • उनके भीतर कोई क्रोध नहीं, माता कैकेयी के प्रति भी केवल विनम्रता और करुणा है।

  • श्रीराम के लिए उनका प्रेम ईश्वर के प्रति भक्ति का ही रूप है।


🌼 पुस्तक की विशेषताएँ:

  • श्रीराम-भरत संवादों का हृदयस्पर्शी वर्णन

  • जीवन-मूल्यों का सुंदर चित्रण: त्याग, कर्तव्य, भक्ति, प्रेम और सेवा

  • संस्कारित भाषा और हनुमानप्रसाद पोद्दार जी की सौम्य शैली

  • परिवार, समाज और राष्ट्र के लिए नैतिक आदर्श स्थापित करने वाली रचना

  • कथा शैली में सहज, प्रवाहपूर्ण एवं भावनात्मक प्रस्तुति


🔱 पुस्तक क्यों पढ़ें?

“श्रीभरत चरित्र” एक ऐसी पुस्तक है जो वर्तमान युग के युवाओं, समाज सेवकों, और राजनेताओं के लिए धार्मिक मर्यादा और नैतिक मूल्यों का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करती है। भरत जी जैसे नायक केवल कथा-पात्र नहीं, बल्कि भारत की आत्मा के प्रतीक हैं – जिन्होंने त्याग को जीवन का श्रृंगार बनाया और भक्ति को सत्ता से ऊपर रखा।

यह ग्रंथ पढ़ते हुए पाठक स्वयं को उस नंदीग्राम के धूलभरे मार्गों पर पाता है जहाँ भरत जी प्रभु श्रीराम की चरणपादुका के आगे श्रद्धा से नत हो जाते हैं। यह केवल कथा नहीं – यह हृदय की शुद्धि और आत्मा का जागरण है।

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