Description
परमात्मा शब्द दो शब्दों ‘परम’ तथा `आत्मा’ की सन्धि से बना है। परम का अर्थ सर्वोच्च एवं आत्मा से अभिप्राय है चेतना, जिसे प्राण शक्ति भी कहा जाता है। आधुनिक हिन्दी में ये शब्द भगवान का ही मतलब रखता है। परमात्मा का अर्थ परम आत्मा से हैं परम का अर्थ होता है सबसे श्रेष्ठ यानी सबसे श्रेष्ठ आत्मा, आत्मा का अर्थ होता है हर प्राणी के अंदर विराजमान चेतना के रूप में एक चेतन स्वरूप तो इसका अभिप्राय हुआ कि परमात्मा एक आत्मा है और वह आत्मा सबसे बड़ी है और सबसे शुद्ध और पवित्र है।
श्री भागवत सन्दर्भ (षट् सन्दर्भ) और दूसरा है- श्री गोपाल चम्पू | श्रीभागवत सन्दर्भ सिद्धांत ग्रन्थ है और श्री गोपाल चम्पू लीला ग्रन्थ है| श्रीभागवत सन्दर्भ ग्रन्थ क्रमशः 6 भागों- श्री तत्त्व सन्दर्भ, श्रीभगवत सन्दर्भ, श्री परमात्म सन्दर्भ, श्री कृष्ण सन्दर्भ, श्री भक्ति सन्दर्भ व श्री प्रीति सन्दर्भ में विभक्त होने के कारण श्री षट् सन्दर्भ भी कहलाता है | प्रथम चार सन्दर्भों में सम्बन्ध तत्त्व का ज्ञान वर्णित है, पांचवे भक्ति सन्दर्भ में अभिधेय तत्व और छठे प्रीति सन्दर्भ में प्रयोजन तत्त्व का ज्ञान वर्णित है| अतः कृष्ण तत्त्व का सर्वश्रेष्ठ प्रतिपादन करने से ही श्रील जीव गोस्वामी पाद जी गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय के ‘तत्त्वाचार्य’ कहलाते हैं| इन्होने ही वेदांत के चरमसिद्धांत ‘अचिन्त्यभेदाभेद’ की भी विशद व्याख्या की है जो की चैतन्य महाप्रभु द्वारा प्रतिपादित वेदांत सिद्धांत है|
Reviews
There are no reviews yet.