शरणागति/ Sharanagati

20.00

Description

शरणागति प्रभु प्राप्ति का निरपेक्ष साधन है। एक ही बार पूर्ण मनोयोग से की गई शरणागति अपना परिपूर्ण फल देने में समर्थ है। शरणागति अपनी आवृत्ति की अपेक्षा भी नहीं रखती। शरणागति दो प्रकार की होती है-स्वतंत्र तथा आंगिक। स्वतंत्र शरणागति निरपेक्ष साधन है, जिसमें किसी आंगिक साधन की अपेक्षा नहीं रहती, जबकि आंगिक शरणागति जिस साधन के अंग रूप में की जाती है उसे पुष्ट करती है। स्वतंत्र शरणागति भले ही अन्य साधनों की अपेक्षा न रखती हो, परंतु अपने अंगों की पूर्णता की अपेक्षा रखती है। अनुकूलता का संकल्प, प्रतिकूलता का निवारण, प्रभु द्वारा रक्षा का सुदृढ़ विश्वास, रक्षक के रूप में प्रभु का वरण, आत्मसमर्पण और दीनता इन छह तत्वों के योग से पूर्णत्व प्राप्त करने के कारण शरणागति को षडंग कहा जाता है।

Additional information

Weight 0.4 kg

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