विवेक चूड़ामणि/Vivek Chudamani

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‘विवेक चूड़ामणि’, जिसका अर्थ है “विवेक रूपी रत्नों का मुकुट”, आदि शंकराचार्य द्वारा रचित वेदान्त दर्शन का एक अद्वितीय ग्रंथ है। यह ग्रंथ अद्वैत वेदान्त के मूल सिद्धांतों को सरल, संवादात्मक और सुस्पष्ट रूप में प्रस्तुत करता है, जो कि आत्मा की वास्तविकता, मोक्ष का स्वरूप, ब्रह्मज्ञान, और संसार से वैराग्य जैसे गूढ़ विषयों पर आधारित है।

गीता प्रेस का यह संस्करण इस महान ग्रंथ को हिन्दीभाषी पाठकों के लिए एक सुंदर अनुवाद के साथ प्रस्तुत करता है, जो सरल भाषा में जटिल दार्शनिक बातों को भी सहजता से समझने में सहायता करता है।


🔍 ग्रंथ की रचना और विषयवस्तु:

यह ग्रंथ गुरु और शिष्य के संवाद के रूप में रचित है, जिसमें एक जिज्ञासु शिष्य अपने गुरु से आत्मज्ञान, जीवन का उद्देश्य और मुक्ति के साधन के विषय में प्रश्न करता है। शंकराचार्यजी शिष्य को उत्तर देते हुए आत्मा और ब्रह्म की एकता का विवेचन करते हैं।

प्रमुख विषय:

  1. मानव जन्म का दुर्लभ सौभाग्य:
    यह बताया गया है कि मानव जन्म, सत्संग, और आत्मज्ञान की प्राप्ति परम दुर्लभ है।

  2. साधन चतुष्टय:
    विवेक (नित्य-अनित्य का भेद), वैराग्य (भोगों की निस्सारता की अनुभूति), षट्सम्पत्ति (शम, दम आदि), और मुमुक्षुत्व (मोक्ष की तीव्र इच्छा) — आत्मज्ञान के लिए अनिवार्य हैं।

  3. गुरु की महिमा और आवश्यकता:
    गुरु को आत्मज्ञान का प्रदाता और अज्ञान को काटने वाला बताया गया है।

  4. ब्रह्म का स्वरूप:
    ब्रह्म निराकार, निरगुण, चैतन्यमय और साक्षी स्वरूप है। वह अजन्मा, अव्यय, और नित्य है।

  5. माया और संसार का मिथ्यात्व:
    संसार केवल माया का प्रभाव है; आत्मा ब्रह्मस्वरूप है, जो इससे परे है।

  6. पंचकोश विवेक:
    अन्नमय, प्राणमय, मनोमय, विज्ञानमय और आनन्दमय — इन पाँच कोशों के पार जाकर आत्मा का साक्षात्कार होता है।

  7. ज्ञान की प्राप्ति और लक्षण:
    आत्मज्ञान ही परम मोक्ष का मार्ग है। ज्ञानी पुरुष की स्थिति, विचार और आचरण का विस्तारपूर्वक वर्णन।

  8. जीवन्मुक्त की अवस्था:
    वह ज्ञानी जो शरीरधारी होते हुए भी ब्रह्म में स्थित रहता है — उसे जीवन्मुक्त कहा गया है। वह समदर्शी, शान्त और निरहंकारी होता है।


🌼 गीता प्रेस संस्करण की विशेषताएँ:

  • मूल संस्कृत श्लोकों के साथ सरल हिन्दी टीका।

  • पाठकों को आत्मा और ब्रह्म की एकता को अनुभव कराने हेतु मार्गदर्शक ग्रंथ।

  • आध्यात्मिक साधकों, विद्यार्थियों और दर्शन प्रेमियों के लिए विशेष उपयोगी।

  • अत्यंत अल्प मूल्य में जीवन रूपांतरित करने वाली अमूल्य सामग्री।


📚 क्यों पढ़ें यह पुस्तक?

  • यदि आप “मैं कौन हूँ?”, “इस जीवन का उद्देश्य क्या है?”, “मोक्ष क्या है और कैसे प्राप्त करें?” जैसे प्रश्नों के उत्तर चाहते हैं, तो यह ग्रंथ अमूल्य है।

  • यह न केवल वैदिक ज्ञान प्रदान करता है, बल्कि आत्मा की शुद्धता, आत्मविवेक और मुक्त जीवन की ओर प्रेरित करता है।

  • यह ग्रंथ वेदांत दर्शन को अभ्यास रूप में साधकों के सामने प्रस्तुत करता है।

Description

‘विवेक चूड़ामणि’, जिसका अर्थ है “विवेक रूपी रत्नों का मुकुट”, आदि शंकराचार्य द्वारा रचित वेदान्त दर्शन का एक अद्वितीय ग्रंथ है। यह ग्रंथ अद्वैत वेदान्त के मूल सिद्धांतों को सरल, संवादात्मक और सुस्पष्ट रूप में प्रस्तुत करता है, जो कि आत्मा की वास्तविकता, मोक्ष का स्वरूप, ब्रह्मज्ञान, और संसार से वैराग्य जैसे गूढ़ विषयों पर आधारित है।

गीता प्रेस का यह संस्करण इस महान ग्रंथ को हिन्दीभाषी पाठकों के लिए एक सुंदर अनुवाद के साथ प्रस्तुत करता है, जो सरल भाषा में जटिल दार्शनिक बातों को भी सहजता से समझने में सहायता करता है।


🔍 ग्रंथ की रचना और विषयवस्तु:

यह ग्रंथ गुरु और शिष्य के संवाद के रूप में रचित है, जिसमें एक जिज्ञासु शिष्य अपने गुरु से आत्मज्ञान, जीवन का उद्देश्य और मुक्ति के साधन के विषय में प्रश्न करता है। शंकराचार्यजी शिष्य को उत्तर देते हुए आत्मा और ब्रह्म की एकता का विवेचन करते हैं।

प्रमुख विषय:

  1. मानव जन्म का दुर्लभ सौभाग्य:
    यह बताया गया है कि मानव जन्म, सत्संग, और आत्मज्ञान की प्राप्ति परम दुर्लभ है।

  2. साधन चतुष्टय:
    विवेक (नित्य-अनित्य का भेद), वैराग्य (भोगों की निस्सारता की अनुभूति), षट्सम्पत्ति (शम, दम आदि), और मुमुक्षुत्व (मोक्ष की तीव्र इच्छा) — आत्मज्ञान के लिए अनिवार्य हैं।

  3. गुरु की महिमा और आवश्यकता:
    गुरु को आत्मज्ञान का प्रदाता और अज्ञान को काटने वाला बताया गया है।

  4. ब्रह्म का स्वरूप:
    ब्रह्म निराकार, निरगुण, चैतन्यमय और साक्षी स्वरूप है। वह अजन्मा, अव्यय, और नित्य है।

  5. माया और संसार का मिथ्यात्व:
    संसार केवल माया का प्रभाव है; आत्मा ब्रह्मस्वरूप है, जो इससे परे है।

  6. पंचकोश विवेक:
    अन्नमय, प्राणमय, मनोमय, विज्ञानमय और आनन्दमय — इन पाँच कोशों के पार जाकर आत्मा का साक्षात्कार होता है।

  7. ज्ञान की प्राप्ति और लक्षण:
    आत्मज्ञान ही परम मोक्ष का मार्ग है। ज्ञानी पुरुष की स्थिति, विचार और आचरण का विस्तारपूर्वक वर्णन।

  8. जीवन्मुक्त की अवस्था:
    वह ज्ञानी जो शरीरधारी होते हुए भी ब्रह्म में स्थित रहता है — उसे जीवन्मुक्त कहा गया है। वह समदर्शी, शान्त और निरहंकारी होता है।


🌼 गीता प्रेस संस्करण की विशेषताएँ:

  • मूल संस्कृत श्लोकों के साथ सरल हिन्दी टीका।

  • पाठकों को आत्मा और ब्रह्म की एकता को अनुभव कराने हेतु मार्गदर्शक ग्रंथ।

  • आध्यात्मिक साधकों, विद्यार्थियों और दर्शन प्रेमियों के लिए विशेष उपयोगी।

  • अत्यंत अल्प मूल्य में जीवन रूपांतरित करने वाली अमूल्य सामग्री।


📚 क्यों पढ़ें यह पुस्तक?

  • यदि आप “मैं कौन हूँ?”, “इस जीवन का उद्देश्य क्या है?”, “मोक्ष क्या है और कैसे प्राप्त करें?” जैसे प्रश्नों के उत्तर चाहते हैं, तो यह ग्रंथ अमूल्य है।

  • यह न केवल वैदिक ज्ञान प्रदान करता है, बल्कि आत्मा की शुद्धता, आत्मविवेक और मुक्त जीवन की ओर प्रेरित करता है।

  • यह ग्रंथ वेदांत दर्शन को अभ्यास रूप में साधकों के सामने प्रस्तुत करता है।

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