मातृशक्ति का घोर अपमान/Matrushakti ka ghor Apman

25.00

“मातृशक्तिका घोर अपमान एक अत्यंत संवेदनशील और सामाजिक चेतना को झकझोरने वाली पुस्तक है जो वर्तमान समाज में माँ और मातृत्व की उपेक्षा, अनादर और अपमान को लेकर लिखी गई है। इसमें स्वामी रामसुखदास जी ने मातृशक्ति की महिमा, उसके प्रति श्रद्धा, सम्मान और कृतज्ञता प्रकट करने के आवश्यक भावों को अत्यंत मार्मिक शैली में प्रस्तुत किया है।

यह पुस्तक समाज के उस बढ़ते पतन की ओर संकेत करती है जहाँ माँ जैसे पवित्र शब्द का आदर करना भी लोग भूलते जा रहे हैं। इसमें बताया गया है कि जिस देश में माता को देवतुल्य माना जाता है, वहाँ यदि उसका अपमान होता है, तो उसका परिणाम केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामाजिक और राष्ट्रीय स्तर पर भी दुखद होता है।


मुख्य विषय-वस्तु:

  • मातृत्व की गरिमा और उसका अध्यात्मिक महत्व

  • वर्तमान समाज में माँ का अनादर क्यों बढ़ रहा है?

  • पारिवारिक विघटन और मातृशक्ति की उपेक्षा

  • धर्मग्रंथों, संतों और शास्त्रों में मातृत्व की भूमिका

  • माँ के सम्मान की रक्षा कैसे करें?


पाठकों के लिए संदेश:

यह पुस्तक पाठकों को आत्ममंथन करने पर विवश करती है कि क्या हम वास्तव में अपनी माता के प्रति श्रद्धा और सम्मान रखते हैं?
यह एक प्रेरणात्मक कृति है जो हर आयु वर्ग के व्यक्ति को मातृत्व की सेवा और पूजन के लिए प्रेरित करती है।

Description

“मातृशक्तिका घोर अपमान एक अत्यंत संवेदनशील और सामाजिक चेतना को झकझोरने वाली पुस्तक है जो वर्तमान समाज में माँ और मातृत्व की उपेक्षा, अनादर और अपमान को लेकर लिखी गई है। इसमें स्वामी रामसुखदास जी ने मातृशक्ति की महिमा, उसके प्रति श्रद्धा, सम्मान और कृतज्ञता प्रकट करने के आवश्यक भावों को अत्यंत मार्मिक शैली में प्रस्तुत किया है।

यह पुस्तक समाज के उस बढ़ते पतन की ओर संकेत करती है जहाँ माँ जैसे पवित्र शब्द का आदर करना भी लोग भूलते जा रहे हैं। इसमें बताया गया है कि जिस देश में माता को देवतुल्य माना जाता है, वहाँ यदि उसका अपमान होता है, तो उसका परिणाम केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामाजिक और राष्ट्रीय स्तर पर भी दुखद होता है।


मुख्य विषय-वस्तु:

  • मातृत्व की गरिमा और उसका अध्यात्मिक महत्व

  • वर्तमान समाज में माँ का अनादर क्यों बढ़ रहा है?

  • पारिवारिक विघटन और मातृशक्ति की उपेक्षा

  • धर्मग्रंथों, संतों और शास्त्रों में मातृत्व की भूमिका

  • माँ के सम्मान की रक्षा कैसे करें?


पाठकों के लिए संदेश:

यह पुस्तक पाठकों को आत्ममंथन करने पर विवश करती है कि क्या हम वास्तव में अपनी माता के प्रति श्रद्धा और सम्मान रखते हैं?
यह एक प्रेरणात्मक कृति है जो हर आयु वर्ग के व्यक्ति को मातृत्व की सेवा और पूजन के लिए प्रेरित करती है।

Reviews

There are no reviews yet.

Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.

Related products