भगवान का हेतु रहित सौहार्द, महात्मा किसे कहते है?/ Bhagwan ka hetu rahit sauhard, mahatma kisse kahate hain?
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Description
‘महात्मा’ शब्द का अर्थ है ‘महान् आत्मा’ यानी सबका आत्मा ही जिसका आत्मा है | इस सिद्धान्त से ‘महात्मा’ शब्द वस्तुत: एक परमेश्वर के लिये ही शोभा देता है, क्योंकि सबके आत्मा होने के कारण वे ही महात्मा हैं | श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान् स्वयं कहते हैं-
अहमात्मा गुडाकेश सर्वभूताशयस्थितः । ( १० । २० )
‘हे अर्जुन ! मैं सब भूतप्राणियों के हृदय में स्थित सबका आत्मा हूँ |’
परन्तु जो पुरुष भगवान् को तत्त्व से जानता है अर्थात् भगवान् को प्राप्त हो जाता है वह भी महात्मा ही है, अवश्य ही ऐसे महात्माओं का मिलना बहुत ही दुर्लभ है |
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