भगवच्चर्चा (छः भाग)/ Bhagvad Charccha (6 parts in one book)

250.00

आज गीताप्रेस गोरखपुर का नाम किसी भी भारतीय के लिए अनजाना नहीं है। सनातन हिंदू संस्कृति में आस्था रखने वाला दुनिया में शायद ही कोई ऐसा परिवार होगा जो गीता प्रेस गोरखपुर के नाम से परिचित नहीं होगा। इस देश में और दुनिया के हर कोने में रामायण, गीता, वेद, पुराण और उपनिषद से लेकर प्राचीन भारत के ऋषियों -मुनियों की कथाओं को पहुँचाने का एक मात्र श्रेय गीता प्रेस गोरखपुर के आदि-सम्पादक भाईजी श्रीहनुमान प्रसाद पोद्दार को है। प्रचार-प्रसार से दूर रहकर एक अकिंचन सेवक और निष्काम कर्मयोगी की तरह भाईजी ने हिंदू संस्कृति की मान्यताओं को घर-घर तक पहुँचाने में जो योगदान दिया है, इतिहास में उसकी मिसाल मिलना ही मुश्किल है।

ये गीता प्रेस गोरखपुर से श्री हनुमान प्रसादजी पोद्दार द्वारा लिखित और संपादित प्रमुख पुस्तक हैं।

यह सुन्दर चयन भगवच्चर्चा के नामसे जनताकी सेवामें प्रस्तुत किया जा रहा है।

Description

आज गीताप्रेस गोरखपुर का नाम किसी भी भारतीय के लिए अनजाना नहीं है। सनातन हिंदू संस्कृति में आस्था रखने वाला दुनिया में शायद ही कोई ऐसा परिवार होगा जो गीता प्रेस गोरखपुर के नाम से परिचित नहीं होगा। इस देश में और दुनिया के हर कोने में रामायण, गीता, वेद, पुराण और उपनिषद से लेकर प्राचीन भारत के ऋषियों -मुनियों की कथाओं को पहुँचाने का एक मात्र श्रेय गीता प्रेस गोरखपुर के आदि-सम्पादक भाईजी श्रीहनुमान प्रसाद पोद्दार को है। प्रचार-प्रसार से दूर रहकर एक अकिंचन सेवक और निष्काम कर्मयोगी की तरह भाईजी ने हिंदू संस्कृति की मान्यताओं को घर-घर तक पहुँचाने में जो योगदान दिया है, इतिहास में उसकी मिसाल मिलना ही मुश्किल है।

ये गीता प्रेस गोरखपुर से श्री हनुमान प्रसादजी पोद्दार द्वारा लिखित और संपादित प्रमुख पुस्तक हैं।

यह सुन्दर चयन भगवच्चर्चा के नामसे जनताकी सेवामें प्रस्तुत किया जा रहा है।

Additional information

Weight 1.5 g

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “भगवच्चर्चा (छः भाग)/ Bhagvad Charccha (6 parts in one book)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related products