बृज की पाठ-पूजा/ Braj ki Path- Pooja

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भगवान् श्रीकृष्ण को ब्रजभाषा एवं ब्रजवासी सर्वाधिक प्रिय हैं। यही कारण है कि उन्होंने ब्रज को अपनी लीलाभूमि बनाया ब्रजवासियों की अपनी एक विशेषता है, वह है ‘स्वसुख का आत्यंतिक अभाव’। ब्रजवासियों की सब चेष्टाएँ, सब क्रियाएँ, सब भजन, यहाँ तक कि ब्रजगोपियाँ द्वारा स्वयं का श्रृंगार करना आदि आदि सभी श्रीकृष्ण के सुख के लिये है। अपने लिये, अपने सुख के लिये ब्रजवासी कभी कुछ नहीं करते। ऐसे ब्रजवासियों की भजन पद्धति, सदाचार पद्धति, नित्य पाठ के श्लोक, अष्टक आदि का समावेश है- इस उपादेय ग्रन्थरत्न में। ब्रज की वास्तविक भजन-पद्धति जानने हेतु अवश्य पढ़िये यह ग्रन्थ ‘ब्रज की पाठ पूजा’।

Description

भगवान् श्रीकृष्ण को ब्रजभाषा एवं ब्रजवासी सर्वाधिक प्रिय हैं। यही कारण है कि उन्होंने ब्रज को अपनी लीलाभूमि बनाया ब्रजवासियों की अपनी एक विशेषता है, वह है ‘स्वसुख का आत्यंतिक अभाव’। ब्रजवासियों की सब चेष्टाएँ, सब क्रियाएँ, सब भजन, यहाँ तक कि ब्रजगोपियाँ द्वारा स्वयं का श्रृंगार करना आदि आदि सभी श्रीकृष्ण के सुख के लिये है। अपने लिये, अपने सुख के लिये ब्रजवासी कभी कुछ नहीं करते। ऐसे ब्रजवासियों की भजन पद्धति, सदाचार पद्धति, नित्य पाठ के श्लोक, अष्टक आदि का समावेश है- इस उपादेय ग्रन्थरत्न में। ब्रज की वास्तविक भजन-पद्धति जानने हेतु अवश्य पढ़िये यह ग्रन्थ ‘ब्रज की पाठ पूजा’।

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