तत्व चिन्तामणि -भाग -6/ Tatva Chintamani- Part-6

30.00

जयदयाल गोयन्दका (जन्म : सन् 1885 – निधन : 17 अप्रैल 1965) श्रीमद्भगवद् गीता के अनन्य प्रचारक थे। वे गीताप्रेस, गीता-भवन (ऋषीकेश, स्‍वर्गाश्रम), ऋषिकुल ब्रह्मचर्याश्रम (चूरू) आदि के संस्थापक थे।

उन्होंने गीता तथा अन्य धार्मिक ग्रन्थों का गहन अध्ययन करने के बाद अपना जीवन धर्म-प्रचार में लगाने का संकल्प लिया।वे अत्‍यन्‍त सरल तथा भगवद्विश्‍वासी थे। उनका कहना था कि यदि मेरे द्वारा किया जाने वाला कार्य अच्‍छा होगा तो भगवान उसकी सँभाल अपने आप करेंगे। बुरा होगा तो हमें चलाना नहीं है। उन्होंने गीता को शुद्ध भाषा में प्रकाशित करने के उद्देश्य से सन् 1923 में गोरखपुर में गीता प्रेस की स्थापना की।

उनके द्वारा रचित तत्व चिन्तामणि पुस्तक ने धार्मिक-साहित्य की अभिवृद्धि में अभूतपूर्व योगदान किया है।

तत्व चिन्तामणि मे हमारे कुछ आदर्श महापुरषों तथा साधन भजन सम्बन्धी कुछ महत्वपुर्ण विवेचनो का संग्रह किया गया है।

Description

जयदयाल गोयन्दका (जन्म : सन् 1885 – निधन : 17 अप्रैल 1965) श्रीमद्भगवद् गीता के अनन्य प्रचारक थे। वे गीताप्रेस, गीता-भवन (ऋषीकेश, स्‍वर्गाश्रम), ऋषिकुल ब्रह्मचर्याश्रम (चूरू) आदि के संस्थापक थे।

उन्होंने गीता तथा अन्य धार्मिक ग्रन्थों का गहन अध्ययन करने के बाद अपना जीवन धर्म-प्रचार में लगाने का संकल्प लिया।वे अत्‍यन्‍त सरल तथा भगवद्विश्‍वासी थे। उनका कहना था कि यदि मेरे द्वारा किया जाने वाला कार्य अच्‍छा होगा तो भगवान उसकी सँभाल अपने आप करेंगे। बुरा होगा तो हमें चलाना नहीं है। उन्होंने गीता को शुद्ध भाषा में प्रकाशित करने के उद्देश्य से सन् 1923 में गोरखपुर में गीता प्रेस की स्थापना की।

उनके द्वारा रचित तत्व चिन्तामणि पुस्तक ने धार्मिक-साहित्य की अभिवृद्धि में अभूतपूर्व योगदान किया है।

तत्व चिन्तामणि मे हमारे कुछ आदर्श महापुरषों तथा साधन भजन सम्बन्धी कुछ महत्वपुर्ण विवेचनो का संग्रह किया गया है।

Additional information

Weight 0.3 g

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “तत्व चिन्तामणि -भाग -6/ Tatva Chintamani- Part-6”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related products