कर्म-रहस्य/ Karm Rahassya

20.00

Description

वर्तमान समयमें ‘कर्म’ सम्बन्धी’ कई भ्रम लोगोंमें फैले हुए हैं। इसलिये इसको समझनेकी वर्तमानमें बड़ी आवश्यकता है। हमारे परमश्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराजने श्रीमद्भगवद्गीताकी ‘साधक-संजीवनी’ हिन्दी-टीकायें इसका बड़े सुन्दर और सरल ढंगसे विवेचन किया है । उसीको इस पुस्तकके रूपमें अलगसे प्रकाशित किया जा रहा है। प्रत्येक भाई-बहनको यह पुस्तक स्वयं भी पढ़नी चाहिये तथा दूसरोंको भी पढ़नेके लिये प्रेरित करना चाहिये। इस पुस्तकके पढ़नेसे कर्मसे सम्बन्धित अनेक शंकाओंका समाधान हो सकता है।

कर्म-रहस्य

पुरुष और प्रकृति-ये दो हैं। इनमेंसे पुरुषमें कभी परिवर्तन नहीं होता और प्रकृति कभी परिवर्तनरहित नहीं होती। जब यह पुरुष प्रकृतिके साथ सम्बन्ध जोड़ लेता है, तब प्रकृतिकी क्रिया पुरुषका ‘कर्म’ बन जाती है; क्योंकि प्रकृतिके साथ सम्बन्ध माननेसे तादात्म्य हो जाता है। तादात्म्य होनेसे जो प्राकृत वस्तुएँ प्राप्त हैं, उनमें ममता होती है और उस ममताके कारण अप्राप्त वस्तुओंकी कामना होती है। इस प्रकार जबतक कामना, ममता और तादात्म्य रहता है, तबतक जो कुछ परिवर्तनरूप क्रिया होती है, उसका नाम ‘कर्म’ है।

तादात्म्यके टूटनेपर वही कर्म पुरुषके लिये ‘अकर्म’ हो जाता है अर्थात् वह कर्म क्रियामात्र रह जाता है, उसमें फलजनकता नहीं रहती-यह ‘कर्ममें अकर्म’ है। अकर्म- अवस्थामें अर्थात् स्वरूपका अनुभव होनेपर उस महापुरुषके शरीरसे जो क्रिया होती रहती है, वह ‘ अकर्ममें कर्म ‘ हैं।’ तात्पर्य यह हुआ कि अपने निर्लिप्त स्वरूपका अनुभव न होनेपर भी वास्तवमें सब क्रियाएँ प्रकृति और उसके कार्य शरीरमें होती हैं; परन्तु प्रकृति या शरीरसे अपनी पृथक्ताका अनुभव न होनेसे वे क्रियाएँ ‘कर्म’ बन जाती हैं।’

कर्म तीन तरहके होते हैं-क्रियमाण, संचित और प्रारब्ध। अभी वर्तमानमें जो कर्म किये जाते हैं, वे ‘क्रियमाण’ कर्म कहलाते हैं। वर्तमानसे पहले इस जन्ममें किये हुए अथवा पहलेके अनेक मनुष्यजन्मोंमें किये हुए जो कर्म संगृहीत हैं, वे ‘संचित’ कर्म कहलाते हैं। सचितमेंसे जो कर्म फल देनेके लिये प्रस्तुत (उन्मुख) हो गये हैं अर्थात् जन्म, आयु और अनुकूल-प्रतिकूल परिस्थितिके रूपमें परिणत होनेके लिये सामने आ गये हैं, वे ‘प्रारब्ध’ कर्म कहलाते हैं।

Additional information

Weight 0.2 kg

Reviews

There are no reviews yet.

Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.