सुखी होने के उपाय/ Sukhi hone ke Upaya

35.00

Description

श्री भाईजी की स्थिति बहुत कम लोग ही जान सके लेकिन उनके जीवन और कार्य को देखकर अगणित लोग आकर्षित हुए और अपने लोकाचार और साधना के सम्बन्ध में मार्गदर्शन चाहते| ऐसे ही लोगों के आग्रह पर श्री भाईजी को अपना कुछ अमूल्य समय प्रतिदिन इस कार्य के लिए देना पड़ता| धीरे-धीरे यह प्रवचन, सत्संग का कार्यक्रम बन गया | ये प्रवचन अतिशय मार्मिक और हृदयस्पर्शी है जिनमें गूढ़ तत्वों की सरलतम व्याख्या है जिन्हें कोई सच्चा जिज्ञासु हृदयगम कर ले तो उसका जीवन निश्चित रूप से परिवर्तित हो जायेगा|

Additional information

Weight 0.2 kg

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