स्वामी विवेकानंद साहित्य संचयन /Swami Vivekananda Sahitya Sanchayana
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“स्वामी विवेकानंद साहित्य संचयन” (Swami Vivekananda Sahitya Sanchayana)
“स्वामी विवेकानंद साहित्य संचयन” स्वामी विवेकानंद द्वारा लिखित और बोले गए विचारों का एक संकलन है, जिसमें उनके प्रमुख व्याख्यान, पत्र, लेख, और संवाद शामिल हैं। यह पुस्तक भारतीय संस्कृति, धर्म, योग, समाज सुधार, शिक्षा, और राष्ट्रवाद पर उनके गहरे विचारों को प्रस्तुत करती है।
पुस्तक की मुख्य विशेषताएँ (मुख्य विषय)
1. भारतीय आध्यात्मिकता और वेदांत
- स्वामी विवेकानंद के व्याख्यान वेदांत, उपनिषद और भगवद गीता पर केंद्रित हैं।
- वे बताते हैं कि आध्यात्मिकता ही भारत की आत्मा है और यह विश्व को मार्गदर्शन दे सकती है।
2. कर्मयोग, ज्ञानयोग, भक्तियोग, और राजयोग
- उन्होंने योग के चार मार्गों (कर्मयोग, ज्ञानयोग, भक्तियोग, और राजयोग) की व्याख्या की है।
- इन योगों को अपनाकर कोई भी व्यक्ति आध्यात्मिक और मानसिक रूप से समृद्ध हो सकता है।
3. राष्ट्रवाद और भारत का पुनरुत्थान
- वे भारतीय युवाओं से स्वाभिमान और आत्मनिर्भरता की भावना विकसित करने का आग्रह करते हैं।
- वे भारत के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए शिक्षा और सेवा को अनिवार्य मानते हैं।
4. शिक्षा और समाज सुधार
- वे ऐसी शिक्षा प्रणाली की वकालत करते हैं, जो केवल डिग्री नहीं बल्कि चरित्र निर्माण और आत्मनिर्भरता सिखाए।
- वे जातिवाद, अंधविश्वास, और लैंगिक असमानता के खिलाफ हैं और समानता और स्वतंत्रता की बात करते हैं।
5. पश्चिम और भारत की तुलना
- वे पश्चिम की वैज्ञानिक उपलब्धियों की सराहना करते हैं, लेकिन भारत की आध्यात्मिक श्रेष्ठता को भी रेखांकित करते हैं।
- वे मानते हैं कि विज्ञान और आध्यात्मिकता का संतुलन भारत को आगे ले जाएगा।
Description
“स्वामी विवेकानंद साहित्य संचयन” (Swami Vivekananda Sahitya Sanchayana)
“स्वामी विवेकानंद साहित्य संचयन” स्वामी विवेकानंद द्वारा लिखित और बोले गए विचारों का एक संकलन है, जिसमें उनके प्रमुख व्याख्यान, पत्र, लेख, और संवाद शामिल हैं। यह पुस्तक भारतीय संस्कृति, धर्म, योग, समाज सुधार, शिक्षा, और राष्ट्रवाद पर उनके गहरे विचारों को प्रस्तुत करती है।
पुस्तक की मुख्य विशेषताएँ (मुख्य विषय)
1. भारतीय आध्यात्मिकता और वेदांत
- स्वामी विवेकानंद के व्याख्यान वेदांत, उपनिषद और भगवद गीता पर केंद्रित हैं।
- वे बताते हैं कि आध्यात्मिकता ही भारत की आत्मा है और यह विश्व को मार्गदर्शन दे सकती है।
2. कर्मयोग, ज्ञानयोग, भक्तियोग, और राजयोग
- उन्होंने योग के चार मार्गों (कर्मयोग, ज्ञानयोग, भक्तियोग, और राजयोग) की व्याख्या की है।
- इन योगों को अपनाकर कोई भी व्यक्ति आध्यात्मिक और मानसिक रूप से समृद्ध हो सकता है।
3. राष्ट्रवाद और भारत का पुनरुत्थान
- वे भारतीय युवाओं से स्वाभिमान और आत्मनिर्भरता की भावना विकसित करने का आग्रह करते हैं।
- वे भारत के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए शिक्षा और सेवा को अनिवार्य मानते हैं।
4. शिक्षा और समाज सुधार
- वे ऐसी शिक्षा प्रणाली की वकालत करते हैं, जो केवल डिग्री नहीं बल्कि चरित्र निर्माण और आत्मनिर्भरता सिखाए।
- वे जातिवाद, अंधविश्वास, और लैंगिक असमानता के खिलाफ हैं और समानता और स्वतंत्रता की बात करते हैं।
5. पश्चिम और भारत की तुलना
- वे पश्चिम की वैज्ञानिक उपलब्धियों की सराहना करते हैं, लेकिन भारत की आध्यात्मिक श्रेष्ठता को भी रेखांकित करते हैं।
- वे मानते हैं कि विज्ञान और आध्यात्मिकता का संतुलन भारत को आगे ले जाएगा।
यह पुस्तक क्यों पढ़ें?
स्वामी विवेकानंद के गहन विचारों और शिक्षाओं को समझने के लिए।
आध्यात्मिकता, योग, शिक्षा, और समाज सुधार पर उनकी दृष्टि को जानने के लिए।
स्वामी विवेकानंद के राष्ट्रवाद और भारतीय पुनर्जागरण पर विचारों से प्रेरणा पाने के लिए।
भारत और विश्व के समक्ष सामाजिक और आध्यात्मिक चुनौतियों के समाधान खोजने के लिए।
निष्कर्ष
“स्वामी विवेकानंद साहित्य संचयन” केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि एक प्रेरणादायक ग्रंथ है, जो आध्यात्मिकता, शिक्षा, राष्ट्रवाद और सामाजिक सुधार के माध्यम से जीवन को दिशा देने में सहायक है। उनके विचार आज भी वैसे ही प्रासंगिक हैं जैसे उनके समय में थे।
“Swami Vivekananda Sahitya Sanchayana”
“Swami Vivekananda Sahitya Sanchayana” is a compilation of Swami Vivekananda’s writings, speeches, letters, and dialogues, covering Indian spirituality, Vedanta, Yoga, social reforms, education, and nationalism.
Key Themes of the Book
1. Indian Spirituality and Vedanta
- Swami Vivekananda’s lectures emphasize Vedanta, Upanishads, and Bhagavad Gita.
- He explains how spirituality is the soul of India and can guide the world.
2. The Four Paths of Yoga
- He elaborates on the four main paths of Yoga – Karma Yoga, Jnana Yoga, Bhakti Yoga, and Raja Yoga.
- He believes these yogic practices can lead to mental and spiritual development.
3. Nationalism and India’s Revival
- He urges Indian youth to develop self-respect and self-reliance.
- He stresses that education and service are the key to India’s social and economic upliftment.
4. Education and Social Reforms
- He advocates for an education system that builds character and practical skills rather than just degrees.
- He opposes casteism, superstitions, and gender inequality and promotes equality and freedom.
5. India and the West – A Balance of Science and Spirituality
- He appreciates the scientific advancements of the West but emphasizes India’s spiritual wisdom.
- He believes balancing science with spirituality is the way forward for India.
Why Read This Book?
To gain deep insights into Swami Vivekananda’s philosophy and teachings.
To understand his vision on spirituality, yoga, education, and social transformation.
To get inspired by his ideas on nationalism and India’s revival.
To explore solutions to modern-day challenges through his wisdom.
Conclusion
“Swami Vivekananda Sahitya Sanchayana” is not just a book but a guide to life, spirituality, and national progress. His teachings remain as relevant today as they were in his time.
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