स्वामी विवेकानंद का जीवन / swami Vivekanand-Ki-Jivani.

स्वामी विवेकानंद का जीवन (विवेकानंद की जीवनी)

परिचय:

स्वामी विवेकानंद भारत के महान संत, विचारक और योगी थे। उन्होंने अपने ज्ञान, विचारधारा और कर्म से न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में आध्यात्मिकता और मानवता का संदेश फैलाया। उनका असली नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। वे रामकृष्ण परमहंस के प्रमुख शिष्य थे और उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की।

प्रारंभिक जीवन:

स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता (तत्कालीन कलकत्ता) में हुआ था। उनके पिता, विश्वनाथ दत्त, एक प्रसिद्ध वकील थे, और माता, भुवनेश्वरी देवी, धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं। बचपन से ही नरेंद्र में गहरी जिज्ञासा और आध्यात्मिकता के प्रति झुकाव था।

आध्यात्मिक मार्ग:

नरेंद्रनाथ की मुलाकात रामकृष्ण परमहंस से हुई, जिन्होंने उन्हें सच्चे गुरु का मार्गदर्शन दिया। उन्होंने नरेंद्र को आत्मज्ञान और सेवा का महत्व समझाया। रामकृष्ण परमहंस के निधन के बाद, नरेंद्र ने संन्यास धारण कर लिया और विवेकानंद नाम से प्रसिद्ध हुए।

विश्व धर्म महासभा (1893):

1893 में, स्वामी विवेकानंद ने अमेरिका के शिकागो में विश्व धर्म महासभा में भारत का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने अपने प्रसिद्ध भाषण की शुरुआत “मेरे अमेरिकी भाइयों और बहनों” से की, जिसने पूरे विश्व को भारतीय संस्कृति और वेदांत दर्शन से परिचित कराया। उनका यह भाषण आज भी ऐतिहासिक माना जाता है।

रामकृष्ण मिशन की स्थापना:

भारत लौटने के बाद, स्वामी विवेकानंद ने 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। इसका उद्देश्य गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा करना, शिक्षा का प्रचार करना और भारतीय संस्कृति का पुनर्जागरण करना था।

मृत्यु:

स्वामी विवेकानंद का जीवन बहुत प्रेरणादायक था, लेकिन उनका शरीर ज्यादा समय तक उनका साथ नहीं दे सका। 4 जुलाई 1902 को मात्र 39 वर्ष की आयु में उन्होंने महासमाधि ले ली।

उपसंहार:

स्वामी विवेकानंद का जीवन हमें यह सिखाता है कि सेवा, ज्ञान और आत्मविश्वास के साथ हम किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। उनका प्रसिद्ध उद्धरण “उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए” आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करता है।

Description

Swami Vivekananda’s    

Swami Vivekananda was a great saint, philosopher, and yogi of India. Through his wisdom, ideology, and actions, he spread the message of spirituality and humanity not only in India but across the world. His real name was Narendranath Datta. He was the chief disciple of Ramakrishna Paramhansa and founded the Ramakrishna Mission.

Early Life:

Swami Vivekananda was born on January 12, 1863, in Kolkata (then Calcutta), India. His father, Vishwanath Datta, was a well-known lawyer, and his mother, Bhuvaneshwari Devi, was a deeply religious woman. From childhood, Narendra displayed a keen interest in spirituality and was highly inquisitive.

Spiritual Journey:

Narendra met Ramakrishna Paramhansa, who became his spiritual mentor. Ramakrishna guided him toward self-realization and service to humanity. After Ramakrishna’s passing, Narendra renounced worldly life and took up monastic life, assuming the name Swami Vivekananda.

Parliament of World Religions (1893):

In 1893, Swami Vivekananda represented India at the Parliament of World Religions in Chicago, USA. His speech, beginning with “My dear American brothers and sisters”, introduced the world to Indian spirituality and Vedanta philosophy. His speech remains historic and widely celebrated.

Establishment of Ramakrishna Mission:

After returning to India, Swami Vivekananda established the Ramakrishna Mission in 1897. The mission aimed to serve the poor, promote education, and revive Indian culture and spirituality.

Death:

Swami Vivekananda’s life was short but impactful. On July 4, 1902, at the age of 39, he attained Mahasamadhi (spiritual liberation).

Conclusion:

Swami Vivekananda’s life teaches us the importance of service, knowledge, and self-confidence. His famous quote, “Arise, awake, and stop not till the goal is reached”, continues to inspire millions worldwide

स्वामी विवेकानंद का जीवन (विवेकानंद की जीवनी)

परिचय:

स्वामी विवेकानंद भारत के महान संत, विचारक और योगी थे। उन्होंने अपने ज्ञान, विचारधारा और कर्म से न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में आध्यात्मिकता और मानवता का संदेश फैलाया। उनका असली नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। वे रामकृष्ण परमहंस के प्रमुख शिष्य थे और उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की।

प्रारंभिक जीवन:

स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता (तत्कालीन कलकत्ता) में हुआ था। उनके पिता, विश्वनाथ दत्त, एक प्रसिद्ध वकील थे, और माता, भुवनेश्वरी देवी, धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं। बचपन से ही नरेंद्र में गहरी जिज्ञासा और आध्यात्मिकता के प्रति झुकाव था।

आध्यात्मिक मार्ग:

नरेंद्रनाथ की मुलाकात रामकृष्ण परमहंस से हुई, जिन्होंने उन्हें सच्चे गुरु का मार्गदर्शन दिया। उन्होंने नरेंद्र को आत्मज्ञान और सेवा का महत्व समझाया। रामकृष्ण परमहंस के निधन के बाद, नरेंद्र ने संन्यास धारण कर लिया और विवेकानंद नाम से प्रसिद्ध हुए।

विश्व धर्म महासभा (1893):

1893 में, स्वामी विवेकानंद ने अमेरिका के शिकागो में विश्व धर्म महासभा में भारत का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने अपने प्रसिद्ध भाषण की शुरुआत “मेरे अमेरिकी भाइयों और बहनों” से की, जिसने पूरे विश्व को भारतीय संस्कृति और वेदांत दर्शन से परिचित कराया। उनका यह भाषण आज भी ऐतिहासिक माना जाता है।

रामकृष्ण मिशन की स्थापना:

भारत लौटने के बाद, स्वामी विवेकानंद ने 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। इसका उद्देश्य गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा करना, शिक्षा का प्रचार करना और भारतीय संस्कृति का पुनर्जागरण करना था।

मृत्यु:

स्वामी विवेकानंद का जीवन बहुत प्रेरणादायक था, लेकिन उनका शरीर ज्यादा समय तक उनका साथ नहीं दे सका। 4 जुलाई 1902 को मात्र 39 वर्ष की आयु में उन्होंने महासमाधि ले ली।

उपसंहार:

स्वामी विवेकानंद का जीवन हमें यह सिखाता है कि सेवा, ज्ञान और आत्मविश्वास के साथ हम किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। उनका प्रसिद्ध उद्धरण “उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए” आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करता है।

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